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    बल‍िया के नौरंगा में मिटता जा रहा गांव का अस्तित्व, फिर नदी में समा गए 24 मकान

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 12:37 PM (IST)

    बलिया के चक्की नौरंगा में गंगा का कटान जारी है जिससे 24 और मकान नदी में समा गए। अब तक 106 घर गंगा में विलीन हो चुके हैं जिससे कई परिवार बेघर हो गए हैं। पीड़ितों के लिए राशन की व्यवस्था की गई है लेकिन रहने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है।

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    ग्रामीणों ने प्रशासन से सरकारी भवन में रहने की व्यवस्था करने की मांग की है।

    जागरण संवाददाता, बलिया। गंगा के पार चक्की नौरंगा के निवासियों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार की सुबह तक गंगा की तेज लहरों के साथ 24 मकान नदी में समाहित हो गए। अब तक कुल 106 लोगों के घर गंगा में विलीन हो चुके हैं।

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    मंगलवार की शाम के बाद से संजू देवी, माया देवी, मनोज राम, चंचल देवी, शीला देवी, सुभागो देवी, लाल बछिया देवी, रीना देवी, कुंती देवी, ललसा देवी, राजकुमारी देवी, दयंति देवी, विशुन दयाल राम, सुशीला देवी, संजय राम, कृष्णा राम, मंजू देवी, अमित राम, गोविंद राम, कमलेश राम, चनकेशिया देवी, मानती देवी, शिवशंकर राम और पवन कुमार जैसे कई लोग प्रभावित हुए हैं।

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    पीड़ितों का कहना है कि गंगा के कटान के कारण गांव का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। सरकार ने राशन की व्यवस्था तो की है, लेकिन रहने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। उपजिलाधिकारी से निवेदन किया गया है कि तत्काल किसी सरकारी भवन में रहने की व्यवस्था की जाए। गांव के प्रधान सुरेंद्र ठाकुर ने चेतावनी दी है कि यदि कटान इसी तरह जारी रहा, तो नौरंगा बाजार भी दो दिनों के भीतर गंगा की लहरों में समा जाएगा।

    उप जिलाधिकारी आलोक प्रताप सिंह ने बताया कि सभी पीड़ितों के लिए रहने की व्यवस्था की जा रही है। कटान के मुहाने पर स्थित मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

    गंगा के कटान से प्रभावित लोग अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कई परिवारों ने अपने घरों को खो दिया है और अब वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्यों की शुरुआत की है, लेकिन पीड़ितों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। उन्हें सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए तत्काल व्यवस्था की आवश्यकता है।

    इस संकट के बीच, स्थानीय लोग एकजुट होकर अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रहे हैं। वे प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए और उन्हें उचित सहायता प्रदान की जाए। नौरंगा के निवासियों की यह स्थिति न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन गई है। गंगा के कटान से नौरंगा का अस्तित्व संकट में है।

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