बलिया में आर्सेनिक से 310 गांवों में जहरीला हुआ पानी, जांच टीमें भी कर चुकी हैं पुष्टि
बलिया जिले के 310 गांवों में आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या गंभीर है जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। जांच टीमों ने पानी को खतरनाक बताया है। जल निगम ने जल जीवन मिशन के तहत शुद्ध पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है पर अभी सिर्फ 38% परिवारों को ही पानी मिल रहा है।

जागरण संवाददाता, बलिया। गंगा के किनारे बसे जिले के 310 गांव मानक से ज्यादा आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन युक्त पेयजल मिले हैं। इससे काफी संख्या मेें लोग प्रभावित हैं। इसमें त्वचा के विकार (जैसे हाइपरकेराटोसिस और रंजकता में बदलाव) हृदय रोग, मधुमेह, सुन्नता और झुनझुनी रोग का शिकार अधिकांश लोग हो रहे हैं।
चर्म रोगियों की संख्या ज्यादा बढ़ती ही जा रही है। सोहांव, दुबहर, बेलहरी, बैरिया एवं रेवती विकास खंड के 55 गांवों में आर्सेनिक ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है। यहां के जल में निर्धारित मानक से अधिक आर्सेनिक की पुष्टि बहुत पहले यादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता की जांच टीम कर चुकी है। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय व आगरा विश्वविद्यालय की मेडिकल टीम, बीएचयू के छात्र और नई दिल्ली से पर्यावरणविद सुनीता नारायण की टीम ने भी जांच के उपरांत पाया था कि यहां की स्थिति अत्यधिक खराब है।
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अब उत्तर प्रदेश जल निगम ने जल जीवन मिशन, हर घर जल, नमामी गंगे योजना के तहत इस समस्या से छुटकारा देने की ठानी है, लेकिन अभी इसमें काफी समय लगने की संभावना है। ग्रामीण जलापूर्ति योजना से 4.37 लाख परिवार तक जल पहुंचने का लक्ष्य है। विभागीय आकडे के अनुसार जनपद में मात्र 38 प्रतिशत परिवार में ही शुद्ध पेय जल की आपूर्ति हो रही है।
रामगढ़ क्षेत्र में वर्षों पहले लगे आर्सेनिक रिमूवल प्लांट अब शोपीस बन चुके हैं। आर्सेनिक प्रभावित इलाकों में शुद्ध पेयजल के लिए नीर निर्मल परियोजना शुरू की गई थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से पिछले वर्ष करीब 18 परियोजनाओं की 35 करोड़ की धनराशि विश्व बैंक को सरेंडर करना पड़ी।
केस एक : अगस्त 2019 में सदर तहसील के ग्राम सभा गंगापुर के पुरवा तिवारी टोला रामगढ़ निवासिनी नीलम पांडेय पत्नी सूर्यबली पांडेय की मौत हो गई। वह लीवर के रोग से कई वर्षों से जूझ रही थी। स्वजन महिला का इलाज बलिया के साथ ही छपरा में कराए। उनके पूरे बदन पर चकत्ते का निशान निकल आया था। स्वजनों ने बताया कि इलाज के दौरान डाक्टरों ने बीमारी का कारण दूषित जल का सेवन बताया था।
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केस दो : बेलहरी के दुर्जनपुर निवासी रमेश यादव विगत आठ वर्षों से आर्सेनिकयुक्त जल पीने के कारण चर्म रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि वह उपचार कराने के लिए यादवपुर मेडिकल कालेज कोलकाता भी गए, लेकिन अभी भी सुधार नहीं है। हाथ काले पड़ रहे हैं। स्थानीय चिकित्सकों की दवा से भी कोई सुधार नहीं है।
मौत मामले में दर्ज हुआ था बयान, नहीं आई रिपोर्ट
जिले में 30 से अधिक लोगों की मौत मानक से ज्यादा आर्सेनिकयुक्त जल पीने के कारण होने की बात मृतकों के स्वजन कहते हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। वर्ष 2018-19 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी की गई थी। नोटिस में आर्सेनिक से मरने वाले लोगों की मजिस्ट्रेट से जांच करवाकर उन्हें मुआवजा देने का निर्देश था। इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा था।
उस समय बलिया के जिलाधिकारी रहे भवानी सिंह खंगारौत के निर्देश पर सदर एसडीएम रहे अश्वनी कुमार श्रीवास्तव व डिप्टी सीएमओ रहे डा. केडी प्रसाद के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी। इस टीम के सामने ग्राम सभा गंगापुर के तिवारी टोला निवासी तारक तिवारी, दुर्जनपुर निवासी रमेश कुमार यादव, सुधा यादव, तेज नारायण मिश्र, निर्मल खरवार सहित 30 से अधिक लोगों ने अपना कलम बंद बयान दर्ज कराया था, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से किसी भी मौत के पीछे आर्सेनिक को कारण नहीं माना।
बोले अधिकारी
जिले में आर्सेनिक की जांच हमेशा होते रहती है। जल जीवन मिशन के तहत जनपद में कार्य चल रहे हैं। यह परियोजना पूर्ण होने पर जिले के सभी क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की सप्लाई होने लगेगी। अगले वर्ष तक परियोजना पूर्ण करने का लक्ष्य है। -मुकीम अहमद, अधिशासी अभियंता, जल निगम ग्रामीण, बलिया।
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