वाराणसी में कक्षा तीन की छात्रा विद्यालय के कमरे में बंद रह गई, महिला रसोइया ने ताला खोलकर निकाला
वाराणसी के एक प्राथमिक विद्यालय में तीसरी कक्षा की छात्रा जैनब गलती से कमरे में बंद हो गई। शिक्षकों के मीटिंग में जाने के बाद ताला लगने से वह अंदर फंस गई। शोर मचाने पर पास में रहने वाली रसोइया ने ताला खोलकर उसे बाहर निकाला। छात्रा की माँ ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

जागरण संवाददाता (मिर्जामुराद) वाराणसी। आराजीलाइन विकास खंड के रामसिंहपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक चिंताजनक घटना घटी, जब छुट्टी के बाद कक्षा तीन की छात्रा जैनब विद्यालय के कमरे में बंद रह गई। यह घटना मंगलवार दोपहर की है, जब शिक्षकों की संकुल पर मीटिंग चल रही थी। डेढ़ बजे शिक्षकों ने संकुल के लिए प्रस्थान किया और इसके बाद विद्यालय के कमरों में ताला बंद कर दिया गया।
इस दौरान, जैनब अपने कमरे में अकेली रह गई। जब छात्रा ने ताला बंद होने के बाद खिड़की से शोर मचाया, तब उसके परिवार के सदस्य मौके पर पहुंचे। बगल में रहने वाली महिला रसोइया ने चाबी लाकर ताला खोला और जैनब को बाहर निकाला। इस घटना के बाद जैनब की मां, फातिमा बेगम, ने गुरुवार को एसीपी (राजातालाब) के पास शिकायत दर्ज कराई।
जैनब, जो रामसिंहपुर गांव में अपने घर के पास स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ती है, ने बताया कि वह कमरे में सो गई थी। इस घटना के संबंध में विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल बंद होने के कारण बात नहीं हो सकी।
शिक्षक दीनानाथ सिंह ने बताया कि जैनब को कमरे में अकेला छोड़ना बेहद लापरवाही थी। इस घटना ने विद्यालय प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। माता-पिता और स्थानीय निवासियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और विद्यालय प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है।
इस प्रकार की घटनाएं न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि विद्यालयों में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना कितना आवश्यक है। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विद्यालयों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों को बच्चों की देखभाल के प्रति अधिक जिम्मेदार होना चाहिए। माता-पिता ने विद्यालय प्रशासन से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
इस घटना के बाद, स्थानीय समुदाय में जागरूकता बढ़ी है और सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि हो। विद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले की गंभीरता को समझें और आवश्यक कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इस प्रकार, यह घटना न केवल एक छात्रा के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।
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