इयरफोन ज्यादा लगाते हैं? कमजोर हो जाएगी सुनने की क्षमता, सिर दर्द भी बढ़ेगा; ऐसे करें कानों की सुरक्षा
ईयरफोन का लंबे समय तक इस्तेमाल आपके कानों के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे कानों में गर्मी इंफेक्शन बहरापन और सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। कानों में वाइब्रेशन से हियरिंग सेल्स भी प्रभावित होती हैं। युवा अधिक ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे है तो इसे बंद कर दें। जानिए ईयरफोन के इस्तेमाल से जुड़े खतरों और बचाव के उपायों के बारे में।

जागरण संवाददाता, बागपत। अगर आप लंबे समय से ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं। लंबे समय से ईयरफोन लगाने से कानों में गर्मी पैदा होती है, जिससे इंफेक्शन का खतरा रहता है। ज्यादा समय तक इयरफोन लगाने से कानों की नसों पर दबाव पड़ता है और कानों में वाइब्रेशन से हियरिंग सेल्स भी प्रभावित होती हैं।
ऐसे में लगातार तेज साउंड में रहने से बहरेपन की समस्या भी हो सकती है। सुनने की क्षमता को सही रखने के लिए युवा अधिक ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे है तो इसे बंद कर दें।
कानों की सुनने की क्षमता है निर्धारित
जिला अस्पताल के ईएनटी सर्जन डॉ. गौरव पंवार बताते है कि विज्ञान के अनुसार, हमारों कानों के सुनने की क्षमता निर्धारित है। हमारे कानों के लिए 40 से 60 डेसिबल सुनने की क्षमता निर्धारित की है जो सही है, लेकिन इससे ऊपर यानी 85 से 100 डेसिबल साउंड कानों के लिए खतरनाक है।
इससे भी अधिक डेसिबल बढ़ेगा, उतना ही नुकसान कानों को पहुंचेगा। इससे बहरापन और सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में सुनने की क्षमता की समस्या के लिए युवा वर्ग जिम्मेदार हो रहे हैं। हर समय ईयरफोन लगाए रखना परेशानी बढ़ा रहा है। इससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है। अभिभावक भी सावधान रहे कि बच्चों को ईयरफोन से तेज आवाज में गाने न सुनने दें।
फैक्ट्री में काम कर रहे हैं तो लगाएं ईयर प्लग
आठ घंटे या इससे अधिक फैक्ट्री में काम कर रहे हैं, जहां अधिक शोर रहता है। ऐसे में कर्मचारियों को ईयर प्लग लगाना चाहिए। इसके अलावा रेलवे स्टेशन के आस-पास में रह रहे है तो उन्हें भी ट्रेन के आने-जाने के समय ईयर प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए।
प्रसूता माता भी दें ध्यान
जब नवजात बच्चे को दूध पिलाते हैं तो लैटाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। ऐसे में मुंह के रास्ते कानों में दूध पहुंच जाता है। ऐसे में बच्चों में बहरेपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में करना है कि जब बच्चे को दूध पिलाएं तो सिर के नीचे हाथ जरूर लगाए। इससे बच्चों के कान सुरक्षित रहेंगे।
इस बात का जरूर ध्यान रखें
ईएनटी सर्जन बताते हैं कि कानों में कोई भी प्रकार का तरल पदार्थ न डालें, गंदे पानी में स्वीमिंग न करें, कानों को साफ न कराएं। कान साफ कराने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि हमारे कान अपने आप ही साफ होते रहते हैं। कान से गंदगी अंदर से बाहर निकलती है।
यह हैं सुनने के मानक
60 डेसिबल की आवाज, करीब एक मीटर की दूरी पर बैठे दो लोगों के बीच होने वाली सामान्य बातचीत जितनी तेज होती है। 70 डेसिबल से ज्यादा की आवाज कानों के लिए हानिकारक हो सकती है। 85 डेसिबल की आवाज को लगातार एक घंटे तक सुनना खतरनाक हो सकता है।
शिशुओं की नींद के लिए 50-60 डेसिबल का शोर स्तर सुरक्षित माना जाता है। अस्पताल की नर्सरी में भी शिशुओं के लिए यह शोर सीमा अनुशंसित है। उच्च डेसिबल स्तर के संपर्क में आना शिशुओं की नींद की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है।
ईयरफोन से ये हो सकती है परेशानी
- कान में दर्द और सूजन
- सुनने की क्षमता कम होना
- बहरेपन का खतरा
- कान में इंफेक्शन
- सिरदर्द और माइग्रेन
- नींद की परेशानी
- कान में मैल जमा होना
- दिल की धड़कन बढ़ना
ऐसे करें कानों की सुरक्षा
- ईयरफोन का वाल्यूम 40 प्रतिशत तक ही रखें।
- अगर घंटों काम करना पड़ता है, तो हर घंटे के बाद 5-10 मिनट के लिए ईयरफ़ोन निकालकर कानों को आराम दें।
- रात में सोते समय इयरफोन लगाने से बचें।
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