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    आतंकवादियों को चुन-चुनकर मारा जाए... कुपवाड़ा में बलिदान हुए मोहित की वीर नारी बोलीं- 'और सख्त हो कार्रवाई'

    Updated: Sat, 10 May 2025 09:21 AM (IST)

    Badaun News जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हुए मोहित राठौर की पत्नी रुचि राठौर ने आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद सेना द्वारा आतंकियों को मार गिराना सुकून देने वाला है। रुचि ने सरकार से आतंकवादियों को चुन-चुनकर मारने और पाकिस्तान में उनके ठिकानों को नष्ट करने की अपील की है।

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    बलिदानी पति मोहित राठौर की तस्वीर के साथ वीर नारी रुचि राठौरl जागरण

    जय वार्ष्णेय l जागरण इस्लामनगर। 26 जुलाई की रात साढ़े नौ बजे पति मोहित से बात हुई थी। वह उस समय जम्मू−कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात थे। उस समय सब ठीक था। अगले दिन बात करने की उन्होंने बात कही थी। लेकिन जब सुबह सोकर उठे तो आतंकी हमले और उसमें मोहित के बलिदान हो जाने की जानकारी हुई। वह सुबह कभी नहीं भुला सकते। लेकिन दस महीने बाद जब सात मई को सोकर उठे तो पता चला कि भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया है। इसे आपरेशन सिंदूर नाम दिया गया।

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    निश्चित तौर पर भारत की यह बड़ी कार्रवाई है और उन सभी महिलाओं के लिए यह सम्मान है, जिन्होंने पाकिस्तान और आतंकवादियों की वजह से अपनों को खोया है। इन आतंकियों को चुन चुन कर मारा जाना चाहिए। ईश्वर से यही प्रार्थना है भारतीय सेना को हर मोर्च पर सफलता मिले और देश के सभी जवान सुरक्षित रहें। यह बातें इस्लामनगर क्षेत्र के गांव सभानगर निवासी बलिदानी मोहित राठौर की पत्नी वीरनारी रुचि राठौर ने दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान कहीं।

    मोहित राठौर की पत्नी वीरनारी रुचि राठौर

    दो साल पहले ही उनकी शादी हुई थी

    वीर नारी रुचि राठौर ने बताया कि जब पति बलिदान हुए उससे दो साल पहले ही उनकी शादी हुई थी। वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी के बाद घर से गए थे, किसी को नहीं पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। हर कोई उस जानकारी मिलने के बाद से स्तब्ध था। बताया कि उन्हें बताया गया था कि उनके पति मोहित राठौर ने आतंकियों के हमले के बाद डटकर उनसे मोर्चा लिया था। उन्होंने एक आतंकी को भी मार गिराया था। लेकिन उसी दौरान गोली लगने से वह भी बलिदान हो गए।

    कभी पूरी नहीं हो सकती कमी

    रुचि ने कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। वह हर पल यही सोचती हैं कि आतंक का कब खात्मा होगा। उन्हें देश के प्रधानमंत्री से पूरी उम्मीद थी कि वह जरूर सख्त कार्रवाई करेंगे। रुचि ने बताया कि जब पहलगाम की आतंकी घटना के बारे में जानकारी मिली तो टेलीविजन पर उन महिलाओं को अपने पतियों के शव के पास रोते देख वह भी खुद को रोक न सकीं थी। आतंकियों के इस हमले ने उनके जख्म भी हरे कर दिए थे। बस उम्मीद लगाए बैठीं थीं कि कब भारतीय सेना इसका बदला लेगी।

    पति के बलिदान होने का दुख नहीं गर्व

    रुचि कहती हैं, पति के बलिदान होने का दुख नहीं बल्कि गर्व है। उनके पति देश के लिए कुछ करना चाहते थे, उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक मोर्चा संभाला और आतंकवादी को मार कर वह बलिदान हुए। उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के बाद से वह इंतजार कर रहीं थी कि कब हमारे सेना इन आतंकियों को मारने जाएगी। जब सात मई को सोकर उठी तो देखा कि आतंकियों को मारकर सेना ने बदला लिया, तब सुकून मिला। वह कहती हैं कि इन आतंकियों को चुन चुन कर मारा जाए, पाकिस्तान में इनके जो भी जहां भी ठिकाने हैं, उन सभी को नेस्तानाबूत कर दिया जाना चाहिए। 

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