बदायूं: विरासत दर्ज करने के बदले मांगी 10 हजार की घूस, एंटी करप्शन टीम ने लेखपाल को रंगे हाथ दबोचा
बदायूं में एंटी करप्शन टीम ने एक लेखपाल महेंद्र सिंह को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। लेखपाल दुर्वेश नामक युवक से उसके पिता की व ...और पढ़ें

लेखपाल दुर्वेश
जागरण संवाददाता, बदायूं। राजस्व विभाग में रिश्वतखोरी बंद होने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार दोपहर जिले में एक और लेखपाल रिश्वत लेते पकड़ा गया। वह पिछले एक माह से युवक को विरासत दर्ज करने के नाम पर चक्कर लगवा रहा था। इसके बावजूद वह बिना रुपये लिए विरासत दर्ज करने को तैयार नहीं था।
मंगलवार दोपहर सदर तहसील में रुपये देने का समय तय हुआ था और एंटी करप्शन टीम ने पहले से आकर घेराबंदी कर दी थी। इससे लेखपाल रंगे हाथ पकड़ा गया। उझानी कोतवाली क्षेत्र के गांव गडौरा निवासी दुर्वेश पुत्र स्व. जयप्रकाश का कहना है कि पिछले दिनों उसके पिता का देहांत हो गया था।
इससे पिता के नाम की जमीन उसके नाम पर दर्ज होनी थी। वह पिछले एक माह से लेखपाल महेंद्र सिंह के चक्कर लगा रहा था और लेखपाल आज की कल कर रहा था। वह बिना रुपये लिए विरासत दर्ज करने को तैयार नहीं था। उसने साफ तौर पर कहा था कि 10 हजार रुपये में विरासत दर्ज होती है। जब तक वह रुपये नहीं देगा, तब तक उसकी विरासत दर्ज नहीं होगी।
इससे थकहारकर दुर्वेश ने एंटी करप्शन टीम को सूचना दे दी। टीम के अनुसार मंगलवार दोपहर रुपये देने के लिए समय निश्चित हुआ था। इधर रुपये लेने के लिए लेखपाल ने उसे सदर तहसील में ही बुला लिया था। दुर्वेश के तहसील पहुंचने से पहले ही टीम भी वहां पहुंच गई और घेराबंदी कर दी गई। जैसे ही लेखपाल ने रुपये लिए कि टीम ने उसे रंगे हाथ ही गिरफ्तार कर लिया।
उसके पास से बरामद 10 हजार रुपये भी कब्जे में ले लिए गए। बाद में उसे सिविल लाइंस थाने ले जाया गया। लेखपाल महेंद्र सिंह मूलरूप से मथुरा जिले में थाना मगोर्रा क्षेत्र के गांव मगोर्रा का रहने वाला है लेकिन इस समय उसका परिवार दीक्षा केसीआर टाऊन थाना मलपुरा जिला आगरा में रह रहा है। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। देर रात टीम उसे बरेली ले गई।
अब तक पकड़े जा चुके हैं कई लेखपाल
जिले में अब तक कई लेखपाल रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद लेखपाल अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे। पिछले दिनों 25 मई को लेखपाल संजीव कुमार पकड़ा गया था। उसके साथ बाइक मिस्त्री विनोद कुमार भी जेल गया था।
लेखपाल उसी की दुकान पर आकर बैठ गया था और रिश्वत के 10 हजार रुपये भी उसके हाथ में दिलवाए थे। इसके तीन दिन बाद 23 मई को बिल्सी में लेखपाल चंद्रप्रकाश पकड़ा गया था। यह तीसरा चौथा लेखपाल है। हालांकि इनके अलावा कई पुलिसकर्मी और अन्य कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं।

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