किशोरी को खेत में ले जाकर छेड़छाड़ के दोषी को पांच साल की सजा, 21 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया
बदायूं में एक अदालत ने किशोरी से छेड़छाड़ के दोषी आकाश को पांच साल की कैद की सजा सुनाई। उस पर 21 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है जो पीड़िता को दिया जाएगा। अदालत ने उसे दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया लेकिन छेड़छाड़ के मामले में दोषी पाया। यह फैसला 18 मार्च 2024 को हुई घटना के संबंध में सुनाया गया।

जागरण संवाददाता, बदायूं। किशोरी को गन्ने के खेत में खींच कर ले जाकर छेड़छाड़ करने के आरोपित को विशेष न्यायाधीश पाकसो एक्ट दिनेश तिवारी ने दोषी करार देते हुए पांच साल के कठोर कारावास समेत 21 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की धनराशि पीड़िता को क्षतिपूर्ति रूप में देने का आदेश दिया है। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। इस मामले में न्यायाधीश ने संदेह का लाभ देते हुए दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के आरोपों में बरी किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली महिला ने 156(3) दप्रस के तहत प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। बताया था कि उसकी 17 वर्षीय धेवती उसके घर में रहकर कक्षा 12 की पढ़ाई एक विद्यालय से कर रही थी। 18 मार्च 2024 को समय करीब 11:00 बजे दिन जब खेत पर खाना देने गई थी, और खाना देकर वापस आ रही थी।
तभी पहले से घात लगाए बैठे आकाश ने धेवती को जबरन रोककर गन्ने के खेत ले गया और आकाश ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया। धेवती के शोर की आवाज पर पास के खेत में काम कर रहे दिनेश कुमार आदि के आने पर आकाश जान से मारने की धमकी देता हुआ भाग गया। जब वह शिकायत करने आकाश के घर पर गई तो आकाश के भाई रिंकू और पिता मुकेश ने उसके साथ गाली गलौज की। तब उसने घटना की तहरीर थाना सिविल लाइंस की चौकी शेखूपुर पर दी। कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब उसने 6 अप्रैल 2024 को एसएसपी कार्यालय में आकर तहरीर दी। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तब मजबूर होकर न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
न्यायालय के आदेश पर दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी। पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। आरोपित पर बलात्कार करने के आरोप का मुकदमा चलाया गया। न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। जिसमें अभियोजन पक्ष की विशेष लोक अभियोजक अमोल जौहरी व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलो को सुनने के बाद संदेह का लाभ देते हुए आरोपित को दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट में बरी किया। जबकि छेड़छाड़ के मामले में दोषी पाते हुए उसे सजा सुनाई है।
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