UP News: विदेश गए शख्स की हो गई थी मौत, अब छह महीने बाद शव मिलने से लोग सन्न
आजमगढ़ के 42 वर्षीय कन्हैया यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मास्को में मौत हो गई। करीब छह महीने बाद उनका शव घर पहुंचा है। इस घटना से परिवार और आस-पास के लोग स्तब्ध हैं। कन्हैया कुक के वीजा पर दिल्ली के एजेंट के माध्यम से मास्को गए थे। उनके साथ उनके मामा विनोद यादव भी थे। लेकिन 25 अप्रैल से उनसे भी कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।

संवाद सूत्र, जागरण, रौनापार (आजमगढ़)। थाना क्षेत्र के बनकटा बाजार गोसाई निवासी 42 वर्षीय कन्हैया यादव की संदिग्ध हाल में मौत और करीब छह माह बाद घर पहुंचे शव ने न सिर्फ स्वजन को झकझोर कर रख दिया है बल्कि नात-रिश्तेदार और आसपास के लोग भी सन्न है।
यही कारण रहा कि शव आने के दूसरे दिन मंगलवार को भी पीड़ित परिवार के घर लोगों के पहुंचने का सिलसिला लगा रहा। उधर, पिता को खोने वाले अजय साथ गए मामा का भी तभी से नंबर न मिलने से तरह-तरह की आशंकाओं से संशकित हैं। कन्हैया यादव कुक के वीजा पर दिल्ली के एजेंट के माध्यम से 16 जनवरी को मास्को पहुंचे।
वहां नौ मई को संदिग्ध हाल में घायल हो गए और 17 जून की मौत हो गई थी। इसकी सूचना छह दिसंबर को फोन के माध्यम से स्वजन को मिली थी। परिवार के लोगों की नौ मई को अंतिम बार उनसे बात हुई थी। तब उन्होंने पैर में छर्रा लगने और मुंह में इंफेक्शन की जानकारी दी थी।
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इसके बाद फिर फोन लगा नहीं। उनका दाह संस्कार सोमवार को देर रात दोहरीघाट मुक्तिधाम पर किया गया। मुखाग्नि बड़े पुत्र अजय यादव ने दी। इस मौके पर लोगों का हुजूम उमड़ा रहा।
आजमगढ़। मृत कन्हैया के बाबत जानकारी लेते लेते लोग। जागरण
भारतीय दूतावास ने किया पूरा सहयोग
मृत कन्हैया के बड़े पुत्र अजय यादव ने बताया कि भारतीय दूतावास हमारा पूरा सहयोग किया। 18 दिसंबर को भारतीय दूतावास से बात हुई तो वहां के अधिकारियों ने कहा कि शव को कहां भेजवा दूं। मैंने कहा कि मेरे पास कोई व्यवस्था नहीं है। तब अधिकारियों ने कहा कि मैं वहां के लोकल प्रशासन से संपर्क करके आपके घर तक शव भेजवाने की व्यवस्था कर रहा हूं। बताया कि तब से मैं लगातार भारतीय दूतावास के इमरजेंसी नंबर पर फोन करके व ईमेल भेजकर जानकारी करता रहा।
मामा को लेकर आशंकित हैं स्वजन
अजय यादव ने बताया कि पिताजी के साथ मेरे मामा विनोद यादव निवासी चंद्रापार, मऊ भी गए थे। 25 अप्रैल से उनसे भी बातचीत नहीं हो पा रही है। वहां के लोगों का कहना है कि अभी कोई उनका अपडेट नहीं मिल रहा है। जानकारी होते ही सूचित किया जाएगा।
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दिल्ली का एजेंट नहीं उठाता है फोन
अजय ने बताया कि दिल्ली के एजेंट जिनके माध्यम से मामा व पिताजी गए थे उनका नाम दुष्यंत व सुमित है। वह लोग अब फोन ही नहीं उठाते हैं। अलबत्ता एजेंट के माध्यम से दो लाख रुपये घर पर आने की बात स्वीकार की है। बताया कि प्रति माह एक लाख 95 हजार रुपये प्रतिमाह देने की बात हुई थी। अजय ने विदेश मंत्रालय व भारत सरकार से अपील की है कि पिताजी के पैसे को दिलवाने की कृपा करें।
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