Milkipur By Election: मिल्कीपुर सीट पर सपा-भाजपा की बढ़ी टेंशन! पार्टियों को आखिर किस बात का सता रहा डर?
अब तक उभरे राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा व सपा के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। हालांकि उप चुनाव में 10 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें से पांच निर्दलीय भाग्य आजमाने उतरे हैं। इन निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी राजनीतिक पंडितों की दृष्टि लगी है। उसके पीछे कारण है अगर नजदीकी मुकाबला हुआ तो निर्दलीय उम्मीदवार किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकते हैं।

प्रहलाद तिवारी, अयोध्या। मिल्कीपुर उप चुनाव का रंग दिन प्रतिदिन चटक होता जा रहा है। हर दिन नए समीकरण बनते बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। अब तक उभरे राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा व सपा के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। हालांकि उप चुनाव में 10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से पांच निर्दलीय भाग्य आजमाने उतरे हैं।
इन निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी राजनीतिक पंडितों की दृष्टि लगी है। उसके पीछे कारण है, अगर नजदीकी मुकाबला हुआ तो निर्दलीय उम्मीदवार किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकते हैं। प्रदेश की सबसे हॉट विधानसभा सीट बन चुकी मिल्कीपुर के उप चुनाव पर हर कोई मंथन करने में जुटा है। ऐसे में यहां पर अब तक हुए दो उप चुनावों के परिणामों की चर्चा भी तेज है।
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में यह तीसरा उप चुनाव
राजनीतिक दलों के रणनीतिकार भी दोनों उप चुनावों के परिणाम का विश्लेषण कर अपने दल के लिए सियासी समीकरण बैठाने में जुटे हैं। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में यह तीसरा उप चुनाव हो रहा है। इससे पहले वर्ष 1998 में पहला उप चुनाव हुआ। उस उप चुनाव का परिणाम नजदीकी मुकाबले का रहा।
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प्राप्त हुए थे इतने मत
उस चुनाव में कुल 12 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, जिनमें से छह निर्दलीय थे। उप चुनाव में सपा प्रत्याशी रामचंद्र यादव 36 हजार 908 मत पाकर विजयी हुए थे। भाजपा प्रत्याशी डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी को 33 हजार 776 मत मिले थे और वह तीन हजार 132 मतों से चुनाव हार गए जबकि निर्दल प्रत्याशी राम बालक चौरसिया को ही तीन हजार 122 मत व त्रिलोकी को दो हजार 172 मत प्राप्त हुए थे।
उतरे थे छह-छह निर्दलीय उम्मीदवार
इस उप चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया था। वर्ष 2004 व 1998 के दोनों उप चुनाव में छह-छह निर्दलीय उम्मीदवार उतरे थे।
2004 के उपचुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवारों ने दिखाया था दम
यहां पर वर्ष 2004 में हुए उप चुनाव में नजदीकी मुकाबला नहीं हुआ था। सपा प्रत्याशी रामचंद्र यादव ने 35 हजार से अधिक मतों से बसपा उम्मीदवार आनंदसेन यादव को शिकस्त दी थी। फिर भी इस उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना दमखम दिखाया था। निर्दलीय उम्मीदवर सुनील कुमार को तीन हजार 957 मत व शरद कुमार पाठक को एक हजार 534 मत मिले थे।
इस उपचुनाव में सबसे कम उम्मीदवार
मिल्कीपुर में हो रहे तीसरे उपचुनाव में अब तक सबसे कम उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इस उप चुनाव में 10 उम्मीदवार हैं, जबकि वर्ष 1998 में 12 व वर्ष 2004 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे। वर्तमान के 10 उम्मीदवारों में भाजपा-सपा के साथ आजाद समाज पार्टी, राष्ट्रीय मौलिक अधिकार पार्टी व राष्ट्रीय जनवादी पार्टी के उम्मीदवार के अतिरिक्त पांच निर्दल हैं।
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