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    मिल्कीपुर उपचुनाव में दिलचस्प हुआ मुकाबला, सपा-भाजपा में सीधी टक्कर; बनेगा यह नया इतिहास!

    मिल्कीपुर में सबसे पहले 1998 में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में उपचुनाव हुआ था। तत्समय मिल्कीपुर से विधायक रहे दिग्गज नेता दिवंगत मित्रसेन यादव के सांसद चुने जाने के कारण सीट रिक्त हुई थी। समाजवादी पार्टी ने मित्रसेन के उत्तराधिकारी के तौर पर रामचंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया और वह पहली बार विधायक भी बने। भाजपा उम्मीदवार रहे डॉ. ब्रजभूषणमणि त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे थे।

    By Navneet Srivastava Edited By: Vinay Saxena Updated: Mon, 20 Jan 2025 11:21 AM (IST)
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    म‍िल्‍कीपुर उपचुनाव में द‍िलचस्‍प हुआ चुनावी रण।

    नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। यह तीसरा अवसर है जब मिल्कीपुर में उपचुनाव हो रहा, लेकिन इसका परिणाम या तो मिथक को स्थिर रखेगा या नए इतिहास का सृजन करेगा। कारण यह है कि पिछले दो उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने ही जीत प्राप्त की है। एक बार विपक्ष में रहते हुए तो दूसरी बार सत्ता में। दोनों ही बार चुनाव वर्तमान समय में रुदौली से भाजपा विधायक रामचंद्र यादव ने जीता था। दोनों उपचुनाव में वह सपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। यदि इस बार भाजपा जीतती है तो उपचुनाव में बार-बार हार के दंश से उबर जाएगी।

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    मिल्कीपुर में सबसे पहले 1998 में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में उपचुनाव हुआ था। तत्समय मिल्कीपुर से विधायक रहे दिग्गज नेता दिवंगत मित्रसेन यादव के सांसद चुने जाने के कारण सीट रिक्त हुई थी। समाजवादी पार्टी ने मित्रसेन के उत्तराधिकारी के तौर पर रामचंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया और वह पहली बार विधायक भी बने।

    दूसरे स्‍थान पर रहे थे भाजपा उम्मीदवार

    भाजपा उम्मीदवार रहे डॉ. ब्रजभूषणमणि त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे थे। चुनाव में बसपा उम्मीदवार रहे दिनेश प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर थे। अगला उपचुनाव 2004 में हुआ, लेकिन तब तक परिदृश्य बदल चुका था। मित्रसेन यादव बसपा में सम्मिलित हो गए। मिल्कीपुर के तत्कालीन विधायक व दिवंगत मित्रसेन के पुत्र आनंदसेन यादव भी बसपा में चले गए। इस कारण मिल्कीपुर विधानसभा सीट फिर रिक्त हो गई, लेकिन रामचंद्र यादव ने सपा का साथ नहीं छोड़ा।

    समाजवादी पार्टी शासनकाल में 2004 में सत्ता दल के उम्मीदवार के तौर पर रामचंद्र यादव मैदान में उतरे, जबकि बसपा प्रत्याशी के रूप में आनंदसेन यादव ने उन्हें चुनौती दी। रामचंद्र यादव 54.85 प्रतिशत मत प्राप्त कर विधायक चुने गए, जबकि आनंदसेन को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।

    एक बार फ‍िर भाजपा-सपा आमने-सामने 

    इस चुनाव में भाजपा अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी थी। भाजपा प्रत्याशी रहे देवेंद्रमणि त्रिपाठी को मात्र छह हजार 751 मत प्राप्त हुए थे। एक बार फिर उपचुनाव में भाजपा और सपा आमने-सामने है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा अपना ट्रैक रिकॉर्ड बरकरार रखती है या गंवाती है।

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