मिल्कीपुर उपचुनाव: 26 साल बाद फिर आमने-सामने आई भाजपा और सपा, एक दल के प्रत्याशी की जब्त हो गई थी जमानत
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में तीसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है जिसमें 26 वर्ष बाद दूसरी बार सपा-भाजपा के बीच मुख्य लड़ाई होने वाली है। उपचुनाव के मैदान में सपा के अजीत प्रसाद और भाजपा के चंद्रभान पासवान हैं। यह उपचुनाव प्रदेश की अन्य नौ विस सीटों के साथ ही होना था लेकिन अदालत में एक याचिका विचाराधीन होने के कारण घोषणा नहीं हो पाई थी।

महेंद्र तिवारी, अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में तीसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है। इस उपचुनाव में 26 वर्ष बाद दूसरी बार सपा-भाजपा के बीच मुख्य लड़ाई होने वाली है। मिल्कीपुर में पहला उपचुनाव 1998 में और दूसरा छह वर्ष बाद 2004 में हुआ था। तीसरा उपचुनाव अब 20 वर्ष बाद पांच फरवरी को होने जा रहा है।
पहले उपचुनाव में सपा ने जीता था मैदान
1996 में समाजवादी पार्टी से मित्रसेन यादव मिल्कीपुर से विधायक चुने गए थे। 1998 में वह सपा से ही सांसद चुन लिए गए। उनके सांसद निर्वाचित होने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई तो 1998 में पहला उपचुनाव हुआ था। इसमें समाजवादी पार्टी से रामचंद्र यादव और भाजपा से पूर्व विधायक बृजभूषण त्रिपाठी प्रत्याशी थे।
सपा प्रत्याशी रामचंद्र यादव ने 36,908 मत पाकर भाजपा प्रत्याशी डाॅ. बृजभूषण त्रिपाठी को 3,132 मतों से पराजित किया और पहली बार सपा से विधायक निर्वाचित हुए। पहले उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह तीसरे नंबर पर रहे।
पार्टी बदलने पर हुआ था दूसरा उपचुनाव
दूसरा उपचुनाव 2004 में हुआ। 2002 में आनंदसेन यादव सपा से विधायक चुने गए तो 2004 में उनके पिता मित्रसेन यादव बसपा से सांसद निर्वाचित हो गए। इस पर आनंदसेन यादव ने त्यागपत्र देकर बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इस कारण 2004 में मिल्कीपुर में दूसरा उपचुनाव हुआ। इस बार भी समाजवादी पार्टी ने रामचंद्र यादव पर दांव लगा उन्हें दूसरी बार प्रत्याशी बनाया और बसपा ने आनंदसेन यादव को मैदान में उतारा।
भाजपा प्रत्याशी की जमानत हुई थी जब्त
दूसरे उपचुनाव में रामचंद्र यादव ने रिकॉर्ड मत हासिल किए। रामचंद्र को 89,116 मत मिले और बसपा प्रत्याशी आनंदसेन यादव को 54,098 मत प्राप्त हुए। इस तरह दूसरे उपचुनाव में रामचंद्र यादव 35,018 मतों के अंतर से विजयी हुए। इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्रमणि त्रिपाठी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
तीसरा उपचुनाव पांच फरवरी को होने जा रहा है, जिसमें 26 वर्ष बाद मुख्य लड़ाई सत्तासीन भाजपा व मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच ही मानी जा रही है।
इस कारण हो रहा तीसरा उपचुनाव
मिल्कीपुर में तीसरा उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए अवधेश प्रसाद के 2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद निर्वाचित हो जाने के कारण हो रहा है।
अवधेश प्रसाद ने सांसद चुने जाने के कुछ दिनों बाद ही विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। तबसे मिल्कीपुर की सीट रिक्त चल रही है। यह चुनाव भी प्रदेश की अन्य नौ विस सीटों के साथ ही हो जाता, लेकिन अदालत में एक याचिका विचाराधीन होने के कारण घोषणा नहीं हो पाई थी।
अब चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे मिल्कीपुर का तीसरा उपचुनाव प्रतिष्ठापरक बन गया है। कांग्रेस व बसपा के मैदान में नहीं होने से लड़ाई मुख्यतः: दो दलों के बीच ही मानी जा रही है।
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