Faizabad Lok Sabha Seat Inside Story: चिर साध पूर्ण, होने के बाद भी ढह गया भाजपा का किला, अवधेश प्रसाद ने तोड़ा लल्लू सिंह का सपना
Faizabad Lok Sabha Chunav Inside Story फैजाबाद जिसे अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है उत्तर प्रदेश की एक अहम लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) है। इस सीट पर किसी भी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। शुरुआती दौर में कांग्रेस ने लगातार चार बार जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद कोई भी पार्टी लगातार दो बार से ज्यादा जीत नहीं सकी है।

रमाशरण अवस्थी, जागरण, अयोध्या। देश का राजनीतिक परिदृश्य परिवर्तित करने में सक्षम रामनगरी का नतीजा निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के लिए आत्ममंथन और चिंतन का विषय है। यह परिणाम पार्टी को वही टीस देगा जो टीस अमेठी हारने पर कांग्रेस को हुई थी।
18वीं लोकसभा के मोर्चे पर भी फैजाबाद से लगातार तीन बार जीत का मिथक नहीं टूटा। जिन लल्लू सिंह पर मिथक तोड़ने का दारोमदार था, वह करीब 55 हजार मतों से हारे। लल्लू सिंह भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी थे, कीर्तिमान रचने का उनका स्वप्न समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने तोड़ा।
अब तक नहीं जीता तीन बार
फैजाबाद से अब तक कोई भी लगातार तीन बार जीत का कीर्तिमान नहीं बना सका है। लल्लू सिंह का दो बार जीत का रिकार्ड भी शानदार था। 2014 में तो उन्होंने दो लाख 81 हजार मतों से जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में उन्हें जरूर कुछ संघर्ष करना पड़ा, किंतु सामने सपा-बसपा गठबंधन की मजबूत चुनौती को देखते हुए 65,477 मतों से उनकी जीत भी खूब प्रतिष्ठित-प्रशंसित हुई थी। लल्लू सिंह के लिए इस बार तो राह और भी अनुकूल मानी जा रही थी। रामजन्मभूमि पर पांच सदी के बाद भव्य मंदिर निर्माण का स्वप्न इसी चुनावी वर्ष के पहले महीने में साकार हुआ था। भव्य राम मंदिर के साथ 50 हजार करोड़ की लागत से अयोध्या नित्य श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी के स्वरूप में ढल रही है।
पीएम मोदी ने किया था रोड शाे
पांच मई को भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आरोह शिखर पर था, जब भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलला का दर्शन कर मंदिर के सामने से ही रामनगरी में रोड शो आरंभ किया। परिणाम आने तक ऐसे आरोह की कलई खुल गई और याद आने लगा कि अयोध्या के कायाकल्प के नाम पर किस ढिठाई से स्थानीय व्यापारियों एवं नागरिकों का दमन किया गया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मुकाबले नागरिक अधिकारों की आवाज निर्णायक होकर उभरी।
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चुनाव के प्रारंभिक दौर में ही भाजपा प्रत्याशी का वक्तव्य वायरल हुआ कि संविधान बदलने के लिए 400 से अधिक सीटों की जरूरत होगी और विपक्ष ने इसी वीडियो को आधार बना कर यह आरोप गढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि भाजपा संविधान बदलने की तैयारी में है। भाजपा का यह रवैया नेतृत्व के रुख से भी परिभाषित होता रहा और इसकी प्रतिक्रिया में जो संकल्प सज्जित हुए, वह भाजपा प्रत्याशी को भगवा गढ़ में ही सबक सिखाने वाले सिद्ध हुए।

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