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    फैजाबाद बार एसोसिएशन में नॉन रेजिडेंट मेंबर पर शिकंजा, इन सुविधाओं से होंगे वंचित

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 10:19 PM (IST)

    अयोध्या बार एसोसिएशन ने नॉन रेजिडेंट सदस्यों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके लिए 12 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो ऐसे सदस्यों की सूची बनाएग ...और पढ़ें

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    फैजाबाद बार में नान रेजिडेंट मेंबर अब वोटिंग और सुविधाओं से होंगे वंचित।

    संवाद सूत्र, अयोध्या। बार एसोसिएशन फैजाबाद में नॉन रेजिडेंट सदस्यों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। सोमवार को वकालतखाना में हुई अहम बैठक में नान रेजिडेंट सदस्यों की लिस्ट बनाने के लिए 12 सदस्यीय कमेटी गठित की गई।

    बार अध्यक्ष सूर्यनारायण सिंह ने बताया कि ऐसे सदस्य न केवल वोटिंग से वंचित रहेंगे बल्कि उन्हें चैंबर और बार की ओर से मिलने वाली अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा।

    बैठक की अध्यक्षता बार अध्यक्ष सूर्यनारायण सिंह और संचालन मंत्री गिरीश तिवारी ने किया। बैठक के दौरान सदन अधिवक्ताओं से खचाखच भरा रहा। इस विषय पर कई घंटे जोर शोर से चर्चा हुई।

    12 सदस्यीय कमेटी का गठन

    नॉन रेजिडेंट सदस्यों की पहचान और सूची बनाने का जिम्मा 12 वरिष्ठ अधिवक्ताओं को दिया गया है। इसमें पूर्व चेयरमैन एल्डर्स कमेटी श्रवण कुमार मिश्र, जेपी तिवारी, पूर्व सदस्य एल्डर्स कमेटी प्रियनाथ सिंह, सईद खान, राजकुमार खत्री, पूर्व अध्यक्ष सूर्यभान वर्मा, संजीव दुबे, पूर्व मंत्री हिमांशु, रामशंकर यादव, पूर्व उपाध्यक्ष लालजी गुप्ता, रामशंकर तिवारी और राकेश कुमार मिश्र शामिल हैं। ये कमेटी सूची तैयार कर बार अध्यक्ष को सौंपेगी।

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    बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित हुआ कि यदि कोई अधिवक्ता संघ के किसी निर्णय के विरुद्ध उप्र बार काउंसिल या हाईकोर्ट में जाता है और मुकदमा करता है, तो उस मुकदमे की पैरवी का खर्च उन्हीं के चंदे से लिया जाएगा। इस प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से सहमति बनी और बार अध्यक्ष ने अपनी व्यवस्था दी।

    इसी के साथ पूर्व अध्यक्ष पारसनाथ पांडेय की उप्र बार काउंसिल में शिकायत के मामले में बार अध्यक्ष और मंत्री पांच अक्टूबर को बार काउंसिल में पैरवी करेंगे। संविदा कर्मियों रामप्रसाद और मो. अरकम का मानदेय तीन हजार रुपये बढ़ाया गया।

    कौन हैं नॉन रेजिडेंट सदस्य

    फैजाबाद बार एसोसिएशन की नियमावली के अनुसार अनिवासी सदस्य (न\न रेजिडेंट मेंबर) वे अधिवक्ता हैं, जो सामान्यतया न्यायालयों में विधि व्यवसाय नहीं करते और जिन्हें प्रशासी परिषद अथवा कार्यकारिणी ने नियमों के अंतर्गत अनिवासी सदस्य बनाया हो।

    उत्तर प्रदेश का महाधिवक्ता भी, यदि वह पहले से सदस्य न हो, तो अनिवासी सदस्य माना जाएगा। ऐसे सदस्य चैंबर सहित किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ पाने के अधिकारी नहीं होंगे। पिछली बैठक में भी यह मुद्दा उठा था कि नान रेजिडेंट और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बार का माहौल बिगाड़ते हैं और चुनाव को प्रभावित करते हैं।

    जिसमें ऐसे लोगों की पहचान के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस, शपथ पत्र और सूची चस्पा करने जैसे उपाय अपनाए जाने का प्रस्ताव दिया था। बार अध्यक्ष ने बताया कि छंटनी लागू होने के बाद बार एसोसिएशन का चुनावी गणित पूरी तरह बदल जाएगा।

    अब तक बड़ी संख्या में नान रेजिडेंट सदस्य वोट डालते रहे हैं। उन्हें हटाने से केवल वास्तविक प्रैक्टिशनर अधिवक्ता ही वोटर लिस्ट में रहेंगे। इससे चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होने की उम्मीद है।

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