अयोध्या बार एसोसिएशन में नॉन प्रैक्टिसनर पर गिरेगी गाज, वकीलों ने जांच के बाद छंटनी करने की उठाई मांग
अयोध्या बार एसोसिएशन की बैठक में गैर-अभ्यासी और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सदस्यों के मुद्दे पर चिंता जताई गई। अधिवक्ताओं ने ऐसे लोगों की पहचान कर सूची बनाने की मांग की है जो वकालत के पेशे को बदनाम कर रहे हैं। नियमित अभ्यास करने वालों की छंटनी और अवैध वकीलों पर कार्रवाई करने के सुझाव दिए गए। बार अध्यक्ष ने इस मामले पर एक कमेटी गठित करने की घोषणा की है।

संवाद सूत्र, अयोध्या। फैजाबाद बार एसोसिएशन में सोमवार को वकालतखाना में आहूत बैठक में नान प्रैक्टिसनर और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सदस्यता का बड़ा मुद्दा उठा। अधिवक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि वकालत के पेशे को बदनाम करने वालों की पहचान कर सूची तैयार की जाए और उनकी जांच की जाए।
बैठक में प्रस्तावक एल्डर्स कमेटी पूर्व अध्यक्ष श्रवण कुमार मिश्र ने कहा कि समय आ गया है जब रेगुलर प्रैक्टिसनर और नॉन प्रैक्टिसनर की छंटनी की जाए। इसके लिए एक ठोस दायरा तय होना चाहिए। राजीव पांडेय ने कहा कि नियमावली में ही दर्ज है कि मंत्री का दायित्व है कि वह रेगुलर प्रैक्टिसनर और नॉन प्रैक्टिसनर की पहचान करें।
जो लोग वकील नहीं हैं, मुंशी नहीं हैं, लेकिन वकील की वेशभूषा पहनकर न्यायालय में सक्रिय हैं। वे सीधे-सीधे पेशे की साख गिरा रहे हैं और इसका खामियाजा वास्तविक अधिवक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
रामशंकर यादव ने सुझाव दिया कि इसकी नियमित जांच होनी चाहिए और जो लोग वकील के वेश में अवैध रूप से वकालत करते पकड़े जाएं, उन पर कार्रवाई की जाए। साथ ही वकालतनामा को पंजीकृत अधिवक्ताओं के नाम पर दिए जाने से काफी हद तक नान प्रैक्टिसनर की पहचान हो सकती है।
बैठक में बब्बन चौबे और लालजी गुप्ता ने बताया कि पूर्व में नान प्रैक्टिसनर की सूची भी बनाई गई थी। इसके साथ ही उन्होंने अध्यक्ष कक्ष में एक शिकायत पेटिका रखने का भी सुझाव दिया, जिसमें कोई भी अधिवक्ता गुप्त रूप से नान प्रैक्टिसनर की जानकारी दे सके।
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि जिन सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, सजायाफ्ता हैं या अपील विचाराधीन है, उनसे शपथ पत्र लिया जाए। साथ ही बार में बायोमैट्रिक अटेंडेंस लागू किया जाए, इससे साफ होगा कि कौन अधिवक्ता नियमित रूप से प्रैक्टिस कर रहा है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में केवल प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं को ही शामिल किया जाना चाहिए।
इस प्रस्ताव का समर्थन अधिवक्ता राजकुमार खत्री ने भी किया। पीएन सिंह ने कहा कि यह कदम अधिवक्ता हित में है। जो लोग आपराधिक प्रवृत्ति के हैं, पेशे को बदनाम कर रहे हैं, उन पर रोक जरूरी है।
अंत में बार अध्यक्ष र्यनारायण सिंह ने व्यवस्था दी कि इस मामले में एक कमेटी गठित की जाएगी। इस कमेटी की सूचना आगामी 25 सितंबर की बैठक में दी जाएगी।
बैठक में मंत्री गिरीश तिवारी, वाइवी मिश्र, सूर्यभान वर्मा, राजकपूर सिंह, प्रदीप चौबे, दिनेश सिंह, सौरभ मिश्र, वीरेंद्र मिश्र, अरुण पांडेय, विजय द्विवेदी, विपिन मिश्र, रामशंकर तिवारी, राजीव शुक्ल, नरेंद्र श्रीवास्तव, कुमुदेश शास्त्री, आफताब खान समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।
अधिवक्ताओं में खुसफुसाहट शुरू
बैठक के बाद अब अधिवक्ताओं में ये खुसफुसाहट शुरु हो गई है कि क्या वास्तव में वर्तमान कार्यकारिणी इस गंभीर विषय पर निष्कर्ष निकाल पाएगी। कयास लगाए जा रहे कि अब नान प्रैक्टिसनर और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सदस्यता पर लगाम कसने की ठोस पहल शुरू होगी।
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