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    गैस रिसाव के बाद बेस्ट क्रॉप साइंस फैक्टरी सील, मैनेजमेंट ने फैसले को बताया गलत, कहा- 700 कर्मचारियों पर रोजी-रोटी का संकट

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 05:48 PM (IST)

    बेस्ट क्रॉप साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में हुए हादसे के बाद प्रबंधन ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हादसा भंडारण केंद्र में हुआ था, रिएक्टर में नहीं। कंपनी के रिएक्टर बंद करने से 700 कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कंपनी को बंद करने का आदेश दिया है, जिसके बाद कंपनी प्रबंधन ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करने की अपील की है।

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    गजरौला में प्रेसवार्ता करते बेस्ट क्राप साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी सुबोध गुप्ता। जागरण

    जागरण संवाददाता, गजरौला : प्रदूषित धुआं फैलने के बाद सुर्खियों में आई बेस्ट क्राप साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रबंधन अब मीडिया के सामने आया है। उन्होंने प्रकरण को लेकर अपना पक्ष रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से की जा रही कार्रवाई पर असंतोष जाहिर किया है। कहा हादसा भंडारण केंद्र में हुआ था। इसलिए भंडारण केंद्र को ही सील करना चाहिए था। लेकिन कंपनी के सभी रिएक्टर बंद करने से 700 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

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    22 सितंबर को दिल्ली-लखनऊ रेलवे लाइन किनारे पर मुहल्ला तिगरिया भूड़ में स्थित कृषि की दवा बनाने वाली बेस्ट क्राप साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के भंडारण केंद्र में रखा कच्चा माल (केमिकल) एक दूसरे के संपर्क में आने की वजह से शहर में धुआं फैल गया था। हाईवे सहित आधा शहर धुएं ढक गया था। यह स्थिति कई घंटे बनी रही थी और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ कंपनी की टीमों ने एनडीआरएफ की टीम के साथ मिलकर स्थिति पर नियंत्रण किया था।

    इस प्रकरण में 24 सितंबर को प्रदूषण नियंत्रण विभाग की तरफ से आदेश जारी करते हुए कंपनी को पूरी तरह से बंद करने के लिए कहा गया। अब तक तीन बार की कार्रवाई में प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कंपनी के 41 रिएक्टर बंद कर दिए हैं। 28 अभी बचे हैं, क्योंकि उनमें गैस भरी हुई है। कुल 69 रिएक्टर हैं। इस क्रम में बुधवार को कंपनी प्रबंधन ने इस प्रकरण को लेकर मीडिया से बातचीत की है। जिसमें कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी सुबोध गुप्ता ने कहा कि कंपनी में जो हादसा हुआ वो आकस्मिक था।

    रिएक्टरों में कोई हादसा नहीं हुआ था, सिर्फ भंडारण कक्ष नंबर-1 में रखा एमएसडीपी केमिकल का कच्चा माल पास में रखे दूसरे केमिकल के कच्चे माल से संपर्क में आ गया। इस बारे में कंपनी को लीड करने वाली आरएनडी टीम ने भी रिसर्च किया तो यही कारण निकलकर सामने आया। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए बोले कि कंपनी 2016 से चल रही है। कभी जनमानस को नुकसान पहुंचाने वाला काम नहीं किया गया। यह अचानक हुआ वो, भी भंडारण केंद्र में।

    इसके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने भंडारण केंद्र को सील करने के बजाए पूरी कंपनी के रिएक्टरों को बंद करवा दिया। कंपनी में 200 कर्मचारी रोल पर हैं और 500 लोग तीन ठेकेदारों के अंडर में काम करते हैं। तीनों ठेकेदारों को नोटिस दे दिये हैं। अब कंपनी के बंद होने से इन सभी कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होगा। इन कर्मचारियों के परिवार में लगभग ढ़ाई से तीन हजार सदस्य हैं। प्रशासनिक अधिकारी ने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा है कि इन मजदूरों को ध्यान में रखते हुए कंपनी को सुझाव दें।

    बेस्ट क्राप साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर बंदी का आदेश मुख्यालय से आया था। उसी का पालन कराने के लिए कंपनी के रिएक्टर बंद किए जा रहे हैं। धुआं भंडारण केंद्र से निकल रहा था लेकिन, वो माल रिएक्टर में तैयार भी तो होता। इसलिए रिएक्टर बंद किए गए हैं। पहले भी कंपनी की ओर से गैस रिसाव की शिकायत मिली थी। इसलिए भी यह कार्रवाई की गई है।

    -उमेश शुक्ला, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, बिजनौर।

    शिकायतों के बाद भी क्यों नहीं की कार्रवाई

    गजरौला : इस प्रकरण में प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी सवालों के घेरे में है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग का कहना है कि यह फैक्ट्री पहले भी गैस रिसाव की शिकायत में घिरी रही है। इसके बाद भी विभाग ने कंपनी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं है, यह सवाल विभाग को उलझन में डाल रहा है। कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी सुबोध कुमार का दावा है कि धुआं फैलने की घटना से पहले भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग की टीम ने सालाना चेकिंग के हिसाब से कंपनी का आडिट किया था। कुछ कमियां मिलने पर 19 सितंबर को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में उन कमियों को दूर करने के लिए कहा था मगर, फिर 22 सितंबर को धुआं फैलने का प्रकरण हुआ और 24 सितंबर को बंदी का आदेश जारी हो गया। नोटिस की समय-सीमा पूरी नहीं हुई थी कि कंपनी ने कार्रवाई करनी शुरू कर दी।

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