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    अंबेडकरनगर में आंगनबाड़ी के 100 केंद्रों पर नाटेपन का शिकार हुए बच्चे, नोडल अधिकारी करेंगे समीक्षा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 03:11 PM (IST)

    अंबेडकरनगर में कुपोषण की समस्या बढ़ रही है जिससे बच्चे नाटेपन का शिकार हो रहे हैं। वर्ष 2025 तक जिले के 100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। 29 सितंबर तक विशेष मापन अभियान चलेगा जिसमें नोडल अधिकारी बच्चों के पोषण स्तर की जांच करेंगे। अभियान का लक्ष्य 2030 तक बच्चों में नाटेपन और मृत्यु दर को कम करना है।

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    आंगनबाड़ी के 100 केंद्रों पर बच्चे नाटेपन का शिकार।

    संवाद सूत्र, अंबेडकरनगर। कुपोषण अब विपदा बनती जा रही है। कुपोषण से बच्चे नाटेपन का शिकार हो रहे हैं। कुपोषण के चलते बच्चे निर्धारित उम्र के औसत लंबाई से छोटे हो रहे हैं। वर्ष 2025 में जनपद के शीर्ष 100 आंगनबाड़ी केंद्रों को चिह्नित किया गया है। यहां नाटापन की दर अपेक्षाकृत अधिक मिली है। अब उक्त केंद्रों की निरंतर निगरानी तथा मूल्यांकन होगा।

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    आगामी 29 सितंबर तक चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष मापन व निगरानी अभियान चलेगा। इस अवधि में नामित नोडल अधिकारी स्वयं आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर ग्रोथ मानिटरिंग प्रक्रिया की गहन समीक्षा करेंगे। नोडल अधिकारी केंद्र पर दर्ज बच्चों की नामवार सूची के अनुसार बच्चों का वजन, लंबाई एवं ऊंचाई का मापन अपने सामने कराएंगे।

    मापन का पोषण ट्रैकर के आंकड़ों से मिलान किया जाएगा। दर्ज मापन और वास्तविक मापन में अंतर मिलने पर पोषण ट्रैकर पर संशोधित आंकड़े अद्यतन कराएंगे। अधिकारी निरीक्षण रिपोर्ट में प्रत्येक बिंदुओं का स्पष्ट उल्लेख करेंगे।

    अभियान से वर्ष 2030 तक पांच वर्ष तक आयु के बच्चों में नाटापन की दर को 40 प्रतिशत तक घटाने, दुबलापन की दर को पांच प्रतिशत से कम करने, नवजात शिशु मृत्युदर को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 से कम तथा छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    संभव अभियान की तैयारी बैठक में जिलाधिकारी अनुपम शुक्ल ने अधिकारियों को गंभीरता तथा पारदर्शिता से अभियान संपन्न कराने का निर्देश दिया, ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज बच्चों के पोषण के संग स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जा सके।

    अभियान के आंकड़े व रिपोर्ट पोषण सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होंगे और कुपोषण उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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