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BJP विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत 10 को आजीवन कारावास, विधायक कोर्ट से फरार

हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत दस लोगों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने विधायक व अन्य को पुलिस कस्टडी में लेने का आदेश दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:20 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 07:08 AM (IST)
BJP विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत 10 को आजीवन कारावास, विधायक कोर्ट से फरार
BJP विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत 10 को आजीवन कारावास, विधायक कोर्ट से फरार

प्रयागराज, जेएनएन। हमीरपुर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अशोक सिंह चंदेल को सामूहिक हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने 22 साल पहले राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में पांच लोगों की हत्या के मामले में अशोक सिंह चंदेल सहित सभी 10 आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई है और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश दिया। आरोपितों को 2002 में हमीरपुर के एडीजे ने दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया था। सजा की घोषणा होते ही विधायक अशोक सिंह चंदेल कोर्ट परिसर से फरार हो गए हैं। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति दिनेश सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार तथा मुकदमे के वादी राजीव शुक्ल की ओर से दाखिल विशेष अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता कृष्ण पहल ने बहस की। कोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को गलत मानते हुए सभी आरोपितों को हत्या मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि शस्त्र अधिनियम की धाराओं से बरी कर दिया है।

यह रहा घटनाक्रम

मामले के तथ्यों के अनुसार 26 जनवरी, 1997 शाम साढ़े सात बजे हमीरपुर के सुभाष नगर में राजीव शुक्ल के भाइयों राजेश कुमार शुक्ल और राकेश कुमार शुक्ल, अंबुज उर्फ गुड्डा, श्रीकांत पांडेय और वेद प्रकाश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के चश्मदीद राजीव शुक्ल ने रात को 9:10 बजे विधायक अशोक सिंह चंदेल व अन्य को नामजद करते हुए थाने में हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद अशोक सिंह चंदेल, रघुवीर सिंह, डब्बू सिंह, उत्तम सिंह, प्रदीप सिंह, नसीम, श्याम सिंह, साहब सिंह, झंडू और भान सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में तथा शस्त्र अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की।

विचारण के बाद अपर जिला और सत्र न्यायाधीश ने 17 जुलाई, 2002 को इस बहुचर्चित हत्याकांड के सभी 10 आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने प्राथमिकी में देरी के साथ चश्मदीद गवाह राजीव शुक्ल के बयान तथा चोटिल हुए रविकांत पांडेय की घटना के समय मौजूदगी और फोरेंसिक रिपोर्ट को संदेहास्पद माना था। राज्य सरकार और पीडि़त राजीव शुक्ल ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। 

बर्खास्त किए जा चुके जज

सामूहिक हत्या के बहुचर्चित मुकदमे का विचारण तत्कालीन सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार की अदालत में हुआ था। आरोपितों को दोषमुक्त देने वाले जज को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। 

विधायक कानपुर में भी हत्या के मामले में आरोपित

भाजपा विधायक अशोक चंदेल और उसके साथियों को हत्या में आजीवन कारावास की सजा सुनाए के बाद मामला पुरानी यादें फिर ताजा हो गई हैं। विधायक अशोक सिंह चंदेल तो कानपुर के किदवई नगर में कारोबारी रणधीर गुप्ता की दिनदहाड़े हत्या के मामले में भी आरोपित है। उसके ऊपर सीओ के साथ दबंगई दिखाने का मामला गोविंद नगर थाने में दर्ज है।

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