Inspirational Story: आपदा काल सीखा कम्प्यूटर ज्ञान, 11 साल की उम्र में प्रोग्रामिंग पर पांच किताबें लिख डाली
कोरोना काल में जब सब कुछ थम गया था तब उसकी उंगलियों ने कंप्यूटर के कीबोर्ड पर ऐसी रफ्तार पकड़ी कि प्रोग्रामिंग की भाषा पर अच्छी पकड़ बन गई। मात्र दो वर्ष में जावा विजुअल ब्लॉक पाइथन व सी समेत कोडिंग की विभिन्न भाषाओं की समझ के चलते बड़ा कारनामा कर दिखाया। कोडिंग से जुड़ी हर समस्या का हल उसके पास है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर पांच किताबें लिखी हैं।
अलीगढ़ [विनोद भारती]: जिस उम्र में बच्चे खेलकूद के लिए बहाने खोजते हैं, उस उम्र में सातवीं के छात्र आशीष अग्रवाल ने कंप्यूटर कोडिंग को ही खेल बना लिया है। कोरोना काल में जब सब कुछ थम गया था, तब उसकी उंगलियों ने कंप्यूटर के कीबोर्ड पर ऐसी रफ्तार पकड़ी कि प्रोग्रामिंग की भाषा पर अच्छी पकड़ बन गई।
मात्र दो वर्ष में जावा, विजुअल ब्लॉक, पाइथन व सी समेत कोडिंग की विभिन्न भाषाओं की समझ के चलते बड़ा कारनामा कर दिखाया। कोडिंग से जुड़ी हर समस्या का हल उसके पास है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर पांच किताबें लिखी हैं, जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं। मात्र 11 साल के आशीष की यह मेधा हर किसी को चौंका रही है।
हैकिंग को चुटकियों में पकड़ लेता है आशीष
महावीरगंज निवासी आशीष किसी परिपक्व प्रोग्रामर से कम नहीं हैं। ऐसी वेबसाइट जो कोडिंग में कमी के कारण हैक हो सकती हैं, उनकी पहचान कर समाधान बता देते हैं। नौरंगीलाल राजकीय इंटर कॉलेज में सातवीं कक्षा में पढ़ते हैं। पिता प्रशांत अग्रवाल जीएसटी के अधिवक्ता हैं। वे बताते हैं कि प्रोग्रामिंग में तीन साल पहले आशीष की रुचि जरूर थी, लेकिन जानकारी अधिक नहीं थी।
ऐसे हुई शुरुआत, अपनी बात से सबको चौंकाया
वर्ष 2020 में कोरोना काल में स्कूल बंद हुए तो आशीष ने समय बिताने के लिए लैपटॉप पर गेम खेलना शुरू किया, फिर विभिन्न वेबसाइटों और वीडियो से प्रोग्रामिंग की तरीके समझने लगा। एक दिन हमारे परिचित कवि गोविंद गुप्त घर आए।
उन्होंने अपनी डिजिटल बुक ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अपलोड करने पर चर्चा की तो आशीष ने यह कहकर चौंका दिया कि ये काम तो मैं ही कर दूंगा। उसने यह कर भी दिया। आयकर रिटर्न भरना था। विभागीय वेबसाइट पर आप्शन डिसेबल आ रहा था। आशीष ने कोडिंग के जरिये उसे अनडिसेबल कर दिया। वह ई-मेल भेजने व जीएसटी संबंधी कई तरह के काम में मेरा सहयोग करने लगा। आशीष का अधिकांश समय कंप्यूटर पर बीतता है।
‘कंप्यूटर ब्वाय’ नाम से पहचान
आशीष ने दो किताब पाइथन, दो माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड व एक किताब जी-मेल के बारे में लिखी है। कई कंप्यूटर गेम विद्यालयों की वेबसाइट भी बनाई हैं। ऑनलाइन वोटिंग एप पर काम कर रहे हैं। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते है। लोग दुलार से उन्हें ‘कंप्यूटर ब्वॉय’ पुकारने लगे हैं।
इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज में जाने का सपना
मां रेखा गुप्ता पीएचडी हैं। छोटी बहन साम्या की रुचि कला में हैं। रेखा ने बताया कि आशीष का सपना इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज में जाने का है। उसकी समझ को परखने के लिए एएमयू से कंप्यूटर साइंस के विशेषज्ञ को आमंत्रित किया है। एएमयू के कंप्यूटर साइंस विभाग के पूर्व शिक्षक मोहम्मद साजिद अनवर ने बच्चे की मेहनत और समझ की तारीफ की है। उनका कहना है कि एक्सपर्ट टीम को ज्ञान परखना चाहिए।
आईक्यू का प्रभाव
मलखान सिंह जिला चिकित्सालय की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट पूजा कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि यदि 10-11 वर्ष की आयु में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग व कोडिंग की अच्छी समझ है तो निश्चित रूप से बच्चे का आईक्यू (बुद्धि लब्धि) लेवल सामान्य से अधिक है। सकारात्मक सोच, एकाग्रता व गंभीर होकर किसी काम को करने की लगन पैदा हो जाए तो अप्रत्याशित ज्ञानार्जन हो जाता है।
बच्चे में तेजी से सीखने की क्षमता: डाॅ. रक्षित टंडन
टेक्नोलॉजी एवं साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डाॅ. रक्षित टंडन ने रविवार को आशीष से करीब बीस मिनट बात की। उसकी वेबसाइट और किताबें देखीं। समझ परखी और कोडिंग, वेबसाइट मेकिंग, गेम एवं एप मेकिंग और टेक्नोलॉजी से जुड़े कई सवाल किए, जिनके जवाब पर उन्होंने आशीष का हौसला बढ़ाया।
यह भी पढ़ें:- Chandrayaan 3: पानी की खोज से आगे बढ़ेगी चंद्रयान की कहानी, ऑक्सीजन और खनिजों के बारे में निकाली जाएगी जानकारी
उनका कहना है कि ऑनलाइन टूल व ढेर सामग्री मौजूद है। सही जानकारी और उपयोग बड़ी चुनौती होती है। आशीष ने यह सब कर दिखाया है। आशीष में चीजों को तेजी से पकड़ने की क्षमता है। इतनी कम आयु में बिना किसी मार्गदर्शन के जो भी सीखा, वह उत्साहजनक है। अब एक अच्छे गुरु की जरूरत है। सही मार्गदर्शन मिले तो कक्षा 10वीं तक ही यह बच्चा कमाल करके दिखा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।