कौन हैं शाहजहांपुर में उठक-बैठक से चर्चा में आए IAS रिंकू सिंह? जानलेवा हमले से UPSC तक का सफर किया पूरा
शाहजहांपुर में एसडीएम रिंकू सिंह द्वारा वकीलों के सामने उठक-बैठक करने का मामला चर्चा में है। पूर्व में पीसीएस अधिकारी रहे रिंकू सिंह ने 40 वर्ष की उम्र में आईएएस परीक्षा पास की। मुजफ्फरनगर में तैनाती के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ था जिसमें उन्हें सात गोलियां लगी थीं। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर आईएएस बने।

संतोष शर्मा, अलीगढ़। शाहजहांपुर में वकीलों के बीच उठक-बैठक कर सुर्खियों में आए आईएएस अधिकारी रिंकू सिंह का जीवन संघर्ष से भरा रहा है। मुजफ्फरनगर में उन्होंने सौ करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश किया तो माफियाओं ने जानलेवा हमला करा दिया। सात गोली लगीं। इसके बाद भी उनके इरादे डिगे नहीं। सपना आइएएस अधिकारी बन देश सेवा का था। 40 वर्ष की उम्र में परीक्षा पासकर इस ओर अपने कदम बढ़ाए।
मथुरा में ट्रेनिंग कर शाहजहांपुर में संयुक्त मजिस्ट्रेट के रूप में पहली पोस्टिंग मिली। उन्हें पुवायां का एसडीएम बनाया गया तो पहले ही दिन शौचालय के बाहर गंदगी करने वालों को उठक-बैठक लगवाई। अधिवक्ताओं ने शौचालय गंदे होने का हवाला देते हुए उनके तरीके का विरोध किया तो तो उन्होंने स्वयं उठक-बैठकर कर वायदा किया कोई भी गलती करेगा उसके साथ ऐसा ही होगा।
पीसीएस अधिकारी बन की थी आईएएस की तैयारी, 40 वर्ष की आयु में मिली सफलता
अलीगढ़ के डोरी नगर निवासी सिंह राही ने वर्ष 2004 में पीसीएस की परीक्षा पास की। पहली तैनाती मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी के रूप में तैनाती मिली। जहां उन्होंने 2009 में सौ करोड़ से ज्यादा के घोटाले का पर्दाफाश किया था। यह कार्रवाई उनके जीवन के लिए खतरा बन गई। 26 मार्च 2009 को वह पुराने प्लानिंग दफ्तर की सरकारी आवासीय कॉलोनी में वह एक सहकर्मी के साथ सुबह बैडमिंटन खेल रहे थे। तब हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थीं।
रिंकू सिंह को लगी थीं सात गोलियां
रिंकू सिंह को सात गोलियां लगीं। उनका जबड़ा बाहर आ गया। एक आंख की रोशनी चली गई। करीब चार महीने वह सुभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ में भर्ती रहे। उन पर कातिलाना हमले के आरोप में पुलिस ने जांच पूरी कर समाजवादी पार्टी के एक नेता सहित आठ आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
फरवरी 2021 को मुजफ्फरनगर की विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने चार आरोपितों को जानलेवा हमले का दोषी मानते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई। बाकी चार आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
हमले के बाद भी नहीं छोड़ा सपना
हमले के बावजूद उन्होंने आईएएस बनने का सपना नहीं छोड़ा। राही जहां भी रहे, तैयारी करते रहे। कभी प्री-परीक्षा में सफलता मिली तो कभी इंटरव्यू में मात खानी पड़ी, लेकिन हौंसला नहीं तोड़ा। 2023 में उन्होंने 13वें प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में सफलता हासिल की।
अलीगढ़ में भी रहे तैनात
- मुजफ्फरनगर में हुए हमले के बाद रिंकू सिंह राही को 2009 में लखनऊ निदेशालय अटैच कर दिया गया। उसी साल उनका अलीगढ़ तबादला हो गया।
- समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए मडराक स्थित आईएएस-पीसीएस कोचिंग सेंटर के इंचार्ज भी रहे। 2012 में संत रविदासनगर तबादला हो गया।
- चार माह बाद श्रावस्ती भेज दिए गए।
- वहां से ललितपुर तबादला हो गया। जहां निलंबित भी हुए।
- ललितपुर के बाद 2019 में हापुड़ तबादला हो गया। वहां से बलिया भेजे गए।
नियम सभी के लिए समान होने चाहिए। यही मैंने वकीलों को समझाया। टायलेट गंदा करने पर मुंशी व अन्य को उठक-बैठक कराई तो वकीलों ने कहा कि क्या यह अधिकारियों के साथ भी होगा? मैंने आश्वस्त किया कि ऐसा ही होगा। उनके बीच उठक-बैठकर कर दिखाया भी। - रिंकू सिंह राही, एसडीएम शाहजहांपुर
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