अलीगढ़ में दो भाइयों को अदालत ने किया बरी, किशोर की बलि के लिए हुई हत्या में नहीं टिक पाई पुलिस की कहानी
अलीगढ़ के बाबरी मंडी में 11 साल पहले एक किशोर की हत्या के मामले में अदालत ने दो भाइयों को बरी कर दिया है। सबूतों के अभाव में एडीजे तीन की अदालत ने यह फैसला सुनाया जिससे पुलिस की कहानी झूठी साबित हुई। किशोर का शव इमरान के पुराने मकान में मिला था और पुलिस ने मकान मालिक और उसके भाई को गिरफ्तार किया था।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। बाबरी मंडी में 11 वर्ष पहले 12 वर्षीय किशोर की बली के लिए की हत्या के मामले में निर्णय एडीजे तीन की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपित दो सगे भाइयों बरी कर दिया। पुलिस की कहानी अदालत में टिक नहीं पाई। यह मामला तब काफी चर्चाओं में रहा था। कोतवाली क्षेत्र की बाबरी मंडी में यह घटना 11 मार्च 2014 को हुई थी।
बाबरी मंडी पठानान मुहल्ला के इमरान ने मुकदमा दर्ज कराया था। उन दिनों इमरान के खरीदे गए पुराने मकान में निर्माण कार्य चल रहा था। घटना वाली सुबह इमरान का भाई शाहजेब उसी मकान पर गया था, जहां उसे एक किशोर का शव मिला। उसकी गर्दन आधी कटी पड़ी थी। पास में छुरी पड़ी थी। कोतवाली पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
कोतवाली क्षेत्र के बाबरी मंडी में 11 साल पहले किशोर का मकान में मिला था शव
बाद में शव की पहचान मुहल्ले के साबिर ने अपने बेटे जाकिर उर्फ शाकिर के रूप में की। इसके बाद साबिर ने दूसरी तहरीर दी । जिसमें कहा गया कि उनका बेटा सुबह शौच के लिए गया था। इसके बाद घर नहीं लौटा। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर 15 महीने तक विवेचना की। इसके बाद भी कोई ठोस साक्ष्य हाथ नहीं लगे। इसके बाद कहानी में नया मोड़ आया।
पुलिस ने किशोर के मां-बाप के बयान पर मकान स्वामी व उसके भाई को बनाया था आरोपित
तीन जून 2015 को साबिर व उसकी पत्नी परवीन ने पुलिस को आकर बताया कि मकान के स्वामी इमरान व उसके छोटे भाई शाहजेब ने उनके घर आकर यह आकर स्वीकारा कि उनसे गलती हो गई है। उन्हें किसी बाबा ने यह बताया था कि जिस मकान का तुम निर्माण करा रहे हो। उसमें सोना दबा है। अगर किसी बच्चे की बली दे दोगे तो वह सोना बन जाएगा। इसके चलते ही बालक की हत्या कर दी। पुलिस ने इसी बयान के आधार पर घटना का पर्दाफाश करते हुए दोनों भाइयों जेल भेज दिया।
चार्जशीट दायर होने के बाद अदालत में मुकदमे का ट्रायल चला। गवाही में हत्या का कोई चश्मदीद साक्षी सामने आया। यह भी साबित नहीं हो पाया कि आरोपित भाइयों ने दंपती के घर जाकर अपना अपराध स्वीकार किया। अदालत ने कमजोर साक्ष्यों के चलते दोनों भाइयों को बरी कर दिया।
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