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    Yamuna Water Lavel: खतरे के निशान के करीब पहुंची यमुना, आगरा में 1200 बीघा खेतों में घुसा पानी; किसान बेहाल

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 09:13 AM (IST)

    यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। बाह और डौकी तहसील के लगभग 1200 बीघा खेतों में पानी भरने से फसलें डूब गई हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। धनिया गोभी और बाजरा की फसलें तबाह हो गई हैं। प्रशासन ने बाढ़ चौकियां सक्रिय कर दी हैं और लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दी है।

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    मनोहरपुर गांव में नदी किनारे बने खेतों और झोपड़ी तक पहुंचा पानी सौजन्य ग्रामीण

    जागरण टीम, आगरा। सोमवार की रात आठ बजे यमुना खतरे के निशान के करीब पहुंच गई। खतरे के निशान 495 फीट से यमुना अब 10 इंच दूर रह गई है।मंगलवार को वह इसे पार कर सकती है। इधर, बाह और डौकी के दर्जनों गांवों के 1200 बीघा से अधिक खेतों में पानी भर गया। जिससे गोभी की रोपी गई पौधे पूरी तरह नष्ट हो गई।

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    बाजरे में बालियां आने वाली थीं। मगर, नदी के बढ़े जलस्तर ने खेतों को तालाब बना दिया। बेहाल किसान दिन-रात खेतों की किलेबंदी करने में जुटे हैं।

    गोकुल बैराज से रविवार को 75,467 क्यूसेक पानी छोड़ने के बार से यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ना शुरू हो गया था। रविवार रात को वह 493.9 फीट तक पहुंच गई थी। सोमवार रात आठ बजे यमुना खतरे के निशान से सिर्फ नौ इंच नीचे बह रही है।

    खतरे के निशान 495 फीट को आज कर सकती है पार, 494.2 फीट पर पहुंची

    फतेहाबाद तहसील के गांव तनौरा और नूरपुर में 200 बीघा एवं बाह तहसील के दर्जनों गांवों की एक हजार बीघा से अेधिक फसल डूब गई। किसानों ने पानी को खेतों में रोकने के लिए ऊंची मेड़ बनाई थीं। सोमवार को तेज बहाव के आगे उनकी मेहनत बेकार साबित हुई।

    जिन खेतों में महंगी खाद व उन्नत बीज डालकर किसान धनिया की लहलहाती फसल तैयार कर चुके थे, वह अब लहरों में समा गए हैं। गोभी की रोपी गई पौध पूरी तरह नष्ट हो गई है। बाजरे की फसल में बालियां आने ही वाली थीं, लेकिन बाढ़ ने उससे पहले ही खेत को तालाब में बदल दिया।

    बाह तहसील और डौकी के दर्जनों गांवों में कई सौ किसानों की फसल डूबी

    वहीं, बाह में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाह तहसील के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। नदी किनारे बसे गांवों के खेतों में पानी भरने से बाजरा वर सब्जियों की फसलें डूबने लगी हैं। किसान अपनी मेहनत की पूरी फसल बर्बाद होते देख चिंता में डूबे हैं।

    नदी किनारे जिन किसानों की खेती है उनका का कहना है कि खेतों पानी भर गया है। बाजरा की फसल अभी छोटी है। यमुना का पानी जाने से फसल सड़ सकती है। खेतों में भरे पानी के कारण पशुओं के चारे की भी भारी किल्लत हो रही है।

    प्रशासन सतर्क, टीमें तैनात

    बाढ़ की आशंका देखते हुए प्रशासन ने यमुना किनारे बाढ़ चौकियां रामपुर चंद्रसेनी, बटेश्वर, विक्रमपुर, पारना, कचौरा घाट को सक्रिय कर दिया हैं। राजस्व व पुलिस टीम लगातार निगरानी कर रही है। नावों का इंतजाम किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा। तहसीलदार संपूर्ण कुलश्रेष्ठ का कहना है कि अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है। फिर भी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई।

    प्रभावित होने वाले गांव

    कचौरा घाट, पारना, नौगांव, खिच्चर पुरा, नगला सुरई, गढ़ी बरौली, गढ़वार, चरीथा, कमतरी, कछपुरा,बड़ा गांव चौरंगा बीहड़, विक्रमपुर, कोट, सिधवाली, रुदुमली, बटेश्वर, सुंसार, रामपुर चंद्रसेनी, बिठौली, गगनकी, कलियान पुर, भरतार आदि तीन दर्जन से अधिक गांवों के किसानों की खेती बर्बाद होगी।

    यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे की खेती में पानी भर गया है। लोगों को नदी किनारे न जाने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। संपूर्ण कुलश्रेष्ठ, तहसीलदार बाह

    किसान बोले

    दिन-रात मेहनत करके धनिया की फसल तैयार की थी। खाद, बीज सब उधार लेकर डाला था। अब सब बर्बाद हो गया, कर्ज कैसे चुकाएं, समझ नहीं आता। टिंकू वर्मा, किसान

    गोभी की पौध रोपने के बाद बस कटाई की आस थी। इस बार कुछ लाभ होने की उम्मीद थी। बाढ़ ने फसल छीन ली। घर चलाने का साधन नहीं बचा। रामवीर वर्मा, किसान

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