यमुना एक्सप्रेसवे हादसा: 15 शवों की पहचान के करीब हैं वैज्ञानिक! अगले 24 घंटे में हो सकती हैं शिनाख्त
मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण हादसे में मारे गए लोगों के शवों की पहचान के लिए डीएनए निकालने का काम तेज़ी से चल रहा है। फोरेंसिक लैब में वैज् ...और पढ़ें

विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा। फाइल
जागरण संवाददाता, आगरा। मथुरा के बल्देव में यमुना एक्सप्रेसवे पर 16 दिसंबर की सुबह चार बजे भीषण हादसे में 19 लोगों की मृत्यु हो गई थी। जिसमें 15 लोगों का डीएनए नमूना लेने के लिए दांत और हड्डी फोरेंसिक लैब भेजे गए हैं। आग की भयावहता के चलते भेजे गए दांत के नमूने जले हुए कोयले की तरह टूट रहे हैं। जिससे विज्ञानियों को डीएनए नमूना लेने में समस्या आ रही है। लैब में रविवार को भी 10 विज्ञानियों की टीम इसमें जुटी रही। कुछ को छोड़ अन्य नमूनों से डीएनए हासिल करने के करीब पहुंच गई है। परीक्षण कीप्रक्रिया अंतिम चरण में है।
मथुरा में 16 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसे में गई थी 19 लोगों की जान
विज्ञानियों द्वारा मरने वालों के शवों की हड्डियों के बोन मैरो और दांतों के पल्प से डीएनए लेने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश की सबसे अनुभवी डीएनए परीक्षण विज्ञानी अनीता पुंढीर के नेतृत्व में टीम काम कर रही है। विज्ञानी कुछ हड्डियों से बोन मैरो और दांतों से पल्प से डीएनए निकालने के काफी करीब हैं। जिससे मंगलवार तक तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी। कई नमूनों से उन्हें डीएनए हासिल करने के लिए दोबारा परीक्षण की प्रकिया करनी पड़ रही है। जिसके चलते समय लग रहा है।
मरने वालों के शवों की पहचान को भेजे 15 नमूनों से डीएनए निकालने में लगे हैं विज्ञानी
नमूनों से डीएनए हासिल होने के बाद विज्ञानियों को शवों की पहचान करने में एक दिन लगेगा। शवों पर दावा करने वाले जिन लोगों के रक्त का नमूना लिया गया है, विज्ञानियों द्वारा परीक्षण में उनके डीएनए का नमूनों से मिलान किया जाएगा। जिसके बाद शव स्वजन को सिर्पुद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। जिससे कि वह शवों का विधि अंतिम संस्कार कर सकें।
डीएनए जांच करने वाली विज्ञानियों की टीम
संयुक्त निदेशक आगरा फोरेंसिक लैब अशोक कुमार के निर्देशन में नमूनों से डीएनए निकालने में जुटी टीम में अनीता पुंढीर (उप निदेशक गाजियाबाद फोरेंसिक लैब), प्रगति सिंह (उप निदेशक लखनऊ फोरेंसिक लैब) के अलावा विज्ञानी अधिकारी पवन कुमार एवं शशि शेखर पांडेय (अागरा) प्रमुख हैं। इसके अलावा दो विज्ञानी सहायक समेत 10 लोग टीम में शामिल हैं।
ये है डीएनए सीक्वेंसिंग या अनुक्रमण
डीएनए अनुक्रमण या सीक्वेंसिंग वह विधि है जो चार न्यूक्लियोटाइड आधारों एडेनिन, थाइमिन,साइटोसिन ओर ग्वानिन (ए.टी.सी.जी) के क्रम को निर्धारित करती है। एटीजीसी डीएनए अणु बनाते हैं और महत्वपूर्ण अनुवांशिक जानकारी देते हैं। मानव जीनोम में लगभग तीन बिलियन आधार जोड़े होते हैं।
ये हैं डीएनए सीक्वेंसर
डीएनए सीक्वेंसर ऐसे उपकरण हैं जो डीएनए नमूनों को पढ़ते हैं और प्रतीकों के साथ एक इलेक्ट्रानिक फाइल उत्पन्न करते हैं।जो नमूनों के नाइट्रोजन आधारों एडेनिन, थाइमिन, साइटोसिन व ग्वानिन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वर्ष 2021 में शुरू हुई थी डीएनए जांच यूनिट
आगरा फोरेंसिक लैब को ए श्रेणी में रखा गया है। अप्रैल 2021 में डीएनए सेक्शन शुरू किया गया था। यहां पर गन शाट, विस्फाेटक सामग्री, मिलावटी सामान, कागजी, दस्तावेज, केमिकल जांच, टाक्सीकोलाजी, सीरोलाजी, फोटो सेक्शन, बायोलाजी, फोरेंसिक इंजीनियरिंग व मेडिकोलीगल सेक्शन से संबंधित जांच भी विज्ञानी करते हैं।
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डीएनए निकालने को इन उपकरणों का प्रयोग
जेनेटिक एनालाइजर, आरटीपीसीआर एचआइडी, आटोमैटिक डीएनए एक्सटेंशन इंस्ट्रूमेंट और बायो केमिकल। एक डीएनए किट का मूल्य कई लाख रुपये होता है। जिससे 150 से 200 तक परीक्षण किए जा सकते हैं।

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