UP News: सांसद डिंपल यादव पर की टिप्पणी पर राज्य महिला आयोग का एक्शन, नोटिस भेजकर मौलाना से मांगा जवाब
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने डिंपल यादव पर मौलाना की टिप्पणी की निंदा की है। उन्होंने मौलाना को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है और कहा कि महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी का अधिकार किसी को नहीं है। आयोग ने पूर्वांचल में धर्मांतरण पर चिंता जताई और जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की है। जनसुनवाई में घरेलू हिंसा और जमीनी विवाद के मामलों का निस्तारण किया गया।

जागरण संवाददाता, आगरा। किसी भी मौलाना या अन्य को महिलाओं के लिए इतनी छोटी या हल्की बात कहने का अधिकार नहीं है। सांसद डिंपल यादव के लिए मौलाना द्वारा की गई बातों की घोर निंदा करती हूं। मंगलवार को नवीन सर्किट हाउस में जन सुनवाई करने पहुंची राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर बबीता चौहान ने पत्रकार वार्ता में कहा कि मौलाना द्वारा की गई अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणी को आयोग द्वारा संज्ञान में लिया गया है।
बबीता चाैहान ने कहा कि मौलाना ने भी किसी मां की कोख से जन्म लिया है, उन्हें इस प्रकार की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने नोटिस भेजकर इस मामले पर मौलाना से जवाब मांगा है।
सपा सांसद डिंपल यादव पर टिप्पणी को लेकर की निंदा
मौलाना साजिद राशिद द्वारा टीवी चैनल पर बहस के दौरान सपा सांसद डिंपल यादव के मस्जिद में एक बैठक के दौरान साड़ी पहनने को लेकर विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। इस मामले पर देशभर में विरोध चल रहा है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने भी इस पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने मौलाना को नोटिस जारी करते हुए कहा कि किसी को भी महिलाओं पर अशोभनीय टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
मौलाना को नोटिस भेजकर मांगा गया जवाब
महिला आयोग अध्यक्ष ने पूर्वांचल में हो रहे धर्मांतरण पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि गरीब, नाबालिग छात्राएं और युवतियां मतांतरण का शिकार बनाई जा रही हैं। आरोप है कि भेष बदलकर पहचान छिपाकर पहले दोस्ती की जाती है और फिर मतांतरण कराया जाता है। आयोग की अध्यक्ष ने पूर्वांचल में 10 दिन का प्रवास करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि महिला आयोग महिलाओं को जागरूक करेगा और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
विवेचना को अटकाकर रखने वाले विवेचक को किया फोन
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर बबीता सिंह चौहान ने मंगलवार को नवीन सर्किट हाउस में जन सुनवाई की। इस दौरान आगरा समेत अन्य जिलों से आए 78 प्रार्थना-पत्रों में कुछ का मौके पर ही निस्तारण कराया गया। बाकी में कार्रवाई कर निस्तारण की आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
अधिकांश मामले घरेलू हिंसा और जमीनी विवाद के थे। पीड़ित महिलाओं की शिकायत थी कि ससुराल वालों पर मुकदमा दर्ज कराने के बाद पुलिस ने विवेचना लटका रखी है। न्यायालय में आरोप दाखिल नहीं कर रही है। जिस पर राज्य महिला आयाेग की अध्यक्ष ने संबंधित थानों के विवेचकाें से फोन पर वार्ता करके समय पर आरोप पत्र दाखिल करने को कहा।
पिछली जन सुनवाई में पुलिस विभाग को 72 प्रकरण प्रेषित किए गए थे। जिसमें 55 का निस्तारण हो गया। जन सुनवाई में सिटी मजिस्ट्रेट वेद सिह चौहान, एसीपी डा. सुकन्या शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अरुण श्रीवास्तव, जिला प्रोबेशन अधिकारी अतुल सोनी आदि मौजूद रहे।
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