UPSC Success Story: राजीव की 'डिक्शनरी' में नहीं था 'हार' शब्द, सिविल सेवा परीक्षा में पाई 103वीं रैंक
UPSC Result 2023 संघ लोक सेवा आयोग के सिविल सर्विसेस 2023 का परिणाम मंगलवार को घोषित हुआ। परिणाम घाेषित होते के बाद किसी के चेहरे पर मुस्कान रही तो किसी के चेहरे पर हार को सफलता का मंत्र बनाने का जज्बा। आईएएस बनने का सपना देखने वाले किरावली के राजीव का सपना पूरा हुआ है 2023 पांचवें प्रयास में सफलता मिली।
जागरण संवाददाता, आगरा। यूपीएससी सिविल सेवा का परिणाम मंगलवार को घोषित हुआ। जिसमें किरावली के राजीव अग्रवाल को पांचवें प्रयास में सफलता मिली। पहले तीन प्रयास में असफल होने के बाद चौथे में 269 रैंक हासिल आईआरएस बने और फिर भी हार नहीं मानी। पांचवें प्रयास में 103वीं रैंक हासिल की। हर प्रसास में अपनी कमियां ढूंढ, सफलता के कदम को चूमा, हार किसको कहते हैं यह राजीव की डिक्श्नरी में ही नहीं था।
किरावली के राजीव ने पांचवें प्रयास में 103वीं रैंक हासिल की। किरावली के मौनीबाबा धाम कॉलोनी के रहने वाले राजीव ने बताया पिता सुभाष चंद्र अग्रवाल की घर के पास ही फुटवियर दुकान है। तीन भाईयों आकाश, हितेश में राजीव सबसे बड़े हैं। दोनों भाई अभी तैयारी कर रहे हैं। पत्नी डा. अदिति सिंह आरबीएस कालेज में गणित विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
पहले बैंक में पीओ बने, तब शुरू की तैयारी
बताया 2015 में पहले बैंक पीओ बने। तब ख्याल आया प्रशासनिक सेवा करना है तो तैयारी करना शुरू कर दिया। 2019 में एसएससी के माध्यम से खेल मंत्रालय में नौकरी मिली और यूपीएससी का पहला प्रयास असफल रहा। सफलता का रथ यहीं नहीं रूका। 2022 में चौथे प्रयास में 269 रैंक मिली। जिसके बाद आईआरएस मिला। जिसकी ट्रेनिंग वर्तमान में नागपुर में चल रही है।
कहते हैं 103 रैंक आई है, उम्मीद है आईएएस मिल सकता है। उन्होंने कहा अपने हर प्रयास में मिली गलतियों से सीखा। कमियां ढूंढी और सफलता हासिल की। महत्वपूर्ण भूमिका निभाई परिवार ने निभाई। जिसने हौसले कमजोर को नहीं पड़ने दिया।
विशाल ने पहले प्रयास में पाई सफलता
छीपीटोला पुलिस क्लब में रहने वाले विशाल दुबे ने बताया बैंगलोर से 2020 में 12वीं पास किया। उसके बाद आगरा आकर 2023 में सेंट जान्स कालेज से स्नातक किया। इस दौरान दो बार एनडीए, नेट जेआएफ की परीक्षा पास की। 2023 के सिविल सेवा परिणाम में 296 रैंक हासिल की।
बताया मूल रूप से फर्रूखाबाद के नीम करोरी गांव रहने वाले पिता संजय दुबे की पोस्टिंग के कारण 12 साल पहले आगरा आए थे। पिता पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं आगरा से कानपुर ट्रांसफर हाेने के कारण वहीं तैनात हैं। आगरा में मां रेनू दुबे और छोटी बहन खुशी साथ में रहती है। कहा पेपर देना था, कुछ खास तैयारी नहीं थी। बिना कोई कोचिंग जाए, सिर्फ संकल्प लाइब्रेरी जा किताबें पढ़ने का शौक था। पूरी ईमानदारी से तैयारी करने का परिणाम है कि पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की।
कृतिका घर से तैयारी
शाहगंज के कोठी मीना बाजार की रहने वाली कृतिका भारद्वार अपने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने बताया 2014 में दिल्ली पब्लिक स्कूल से 12वीं जिला टाप करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक और परास्नातक में भी टाप किया। 2019 में वापस आगरा आकर घर से ही तैयारी शुरू कर दी। बताया पिता डा. विनोद भारद्वाज आरबीएस कालेज के पूर्व प्रोफेसर हैं। मां आरती गृहणी हैं। दोनों कभी पढ़ाई करने का दबाब नहीं बनाया। बचपन से ही आइएएस बनने का सपना था जो अब पूरा हो गया है। बताया तैयारी करने के लिए किसी कोचिंग की नहीं खुद की मेहनत पर यकीन रखना चाहिए। छह से आठ घंटे प्रतिदिन पढ़ाई की बिना कोई कोचिंग जाए 370वीं रैंक पाकर सफलता हासिल की।
महकता मीना तीसरे प्रयास में बनी आइएएस
मूलरूप से अलवर की रहने वाली महकता मीना की पढ़ाई सेंट जान्स कालेज से 12वीं पास करने के बाद एमएनआइटी से 2018 में बीटेक पूरा किया। बताया पिता विजय मीना आगर में ही कैंट स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात रहे। जिस कारण पूरी पढ़ाई यहीं से हुई। बताया इस सफलता के पीछे पापा-मम्मी का पूरा सहयोग है। उनके मोटिवेशन के कारण ही मुझे 689 रैंक मिली है। आइएएस नहीं मिला तो तैयारी जारी रहेगी।