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    UP Police के सिपाहियों का गजब कारनामा; आगरा में ट्रेनी दारोगाओं को देहात में तैनाती का डर दिखाकर वसूली रकम

    Agra Latest News In Hindi प्रशिक्षु दारोगाओं से तैनाती के नाम पर आरक्षियों ने की वसूली सजा सिर्फ लाइन हाजिर। आरोपित आरक्षियों को सजा के तौर पर सिर्फ लाइन हाजिर किया गया। एक माह की जांच में अभी पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा सकी है। एक महीने बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को पत्र लिखकर आरक्षियों को राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगाया है।

    By Ali Abbas Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 25 May 2024 07:58 AM (IST)
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    Agra News: प्रशिक्षु दारोगाओं से तैनाती के नाम पर आरक्षियों ने की वसूली

    जागरण संवाददाता, आगरा। कमिश्नरेट को मिले प्रशिक्षु दाराेगाओं से सिपाहियों ने वसूली कर ली। देहात में तैनाती का डर दिखाकर डीसीपी पश्चिमी जोन की पेशी में तैनात आरक्षियों ने पांच-पांच हजार रुपये वसूल लिए। शिकायत के बाद पेशी में तैनात आरक्षियों सहगल तेवतिया और अभिषेक काकरान के खिलाफ शाहगंज थाने में वसूली का मुकदमा दर्ज किया गया।

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    कमिश्नरेट में 733 प्रशिक्षु उप निरीक्षक आए हैं। उन्हें थानों में तैनाती दी गई। न्यू आगरा थाने में तैनात प्रशिक्षु दारोगा सूरज चहल और अरविंद पिलानिया ने रुपये देकर तैनाती ली है, इसकी शिकायत हुई थी। यह आरोप भी लगाया कि प्रशिक्षु दारोगाओं को धमकाया गया था। उनसे कहा गया कि रुपये नहीं देने पर दूरस्थ थानों में तैनाती दी जाएगी।

    जांच में वसूली की बात मिली

    आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सहायक पुलिस अधीक्षक मयंक पाठक को जांच दी गई। उन्होंने जांच में पाया कि फोनपे के माध्यम से दोनों दारोगाओं ने पांच-पांच हजार रुपये दिए थे। यह रकम आरक्षी सहगल तेवतिया को भेजी गई थी। रुपये भेजने के स्क्रीन शाट मिले थे। जांच में पाया गया कि दोनों आरक्षियाें ने प्रशिक्षु दारोगाओं को देहात के थानों में भेजने को धमकाया भी था।

    जांच रिपोर्ट के आधार पर 16 अप्रैल को शाहगंज थाने में चौथ वसूली, जान से मारने की धमकी व आइटी एक्ट की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद दोनों सिपाहियाें को लाइन हाजिर कर दिया गया। मगर, उनके खिलाफ न तो निलंबन की कार्रवाई हुई और न ही गिरफ्तारी हुई।

    भ्रष्टाचार निवारण अधिनियत की धाराएं नहीं लगीं

    पुलिस अधिकारी साक्ष्य संकलन के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि आरक्षियों के खिलाफ मुकदमे में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा क्यों नहीं लगी? साक्ष्य संकलन में आखिर कितना समय लगेगा? हालांकि पुलिस का कहना है कि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बाद इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा बढाई जाएगी।

    पूर्व आइपीएस के पत्र और वीडियो से खुला गुपचुप मुकदमे का मामला, मची खलबली

    आरक्षियों के खिलाफ गुपचुप मुकदमा दर्ज किया गया था। किसी को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर का डीजीपी को पत्र लिखा था। गुरुवार को पत्र और पूर्व आईपीएस का बयान इंटरनेट मीडिया में प्रसारित होने पर पुलिस विभाग में खलबली मच गई।

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    अमिताभ ठाकुर ने अपने पत्र में लिखा है कि दोनों आरक्षियों की राजनीतिक पहुंच होने के चलते आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया, किसी प्रकार की कार्रवाई की गई है। पुलिस आयुक्त ने दोनों आरक्षियों को निलंबित तक नहीं किया है। आरोपित दोनों आरक्षियों की राजनीतिक पहुंच के चलते किसी प्रकार की कार्रवाई की संभावना नहीं है। इनके स्थान पर अन्य कर्मचारी होता तो उसे बर्खास्त तक कर दिया होता।

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    साक्ष्याें के आधार पर होगी कार्रवाई

    आरक्षियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को छानबीन में पता चला है कि प्रशिक्षु दारोगा और आरोपित आरक्षियों में पहले से पहचान है। जिले में तैनाती से पहले भी उन दोनाें के बीच रुपये का लेन-देन हुआ है। आचार संहिता लगी हुई है, निलंबन के लिए चुनाव आयोग से अनुमति ली जाती है। साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली लागू है। पहले पुख्ता साक्ष्य जुटाए जाएंगे, इसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी सूरज कुमार राय डीसीपी सिटी