Agra News: संरक्षण के इंतजार में गिर गया जोहरा बाग, ऊपरी मंजिल ढही; 10 वर्ष पहले हुआ था कार्य
यमुना पार चीनी का रोजा के बाएं तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक जोहरा बाग है। यह जर्जर हो गया था। इसका संरक्षण इस वर्ष किया जाना था लेकिन उससे पूर्व ही रविवार तड़के स्मारक गिर गया। इसके छज्जे के पत्थर पूरे टूट गए हैं। इसमें मिट्टी की चिनाई के ऊपर प्वाइंटिंग का काम हो रहा था। अब इसे नए सिरे से बनाते हुए संरक्षण का काम किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, आगरा। संरक्षण का इंतजार करते-करते रविवार सुबह जौहरा बाग का बुर्ज ढह गया। यमुना पार स्थित बुर्ज की ऊपरी दो मंजिल भरभराकर गिर पड़ीं। इससे पहली मंजिल को भी नुकसान पहुंचा है। यह बुर्ज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित था। उसके इस तरह गिरने से एएसआइ द्वारा किए जा रहे रखरखाव पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एएसआई अब नए सिरे से इसकी गिरी मंजिलों को बनाकर संरक्षण करेगा।
वर्ष 1526 में पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को पराजित करने के बाद मुगलाें ने यमुना पार डेरा डाला था। वहां उन्होंने कई निर्माण कार्य कराने के साथ ही बाग लगवाए थे। इसे मिनी काबुल कहा जाने लगा था। इन्हीं बागों में से एक जौहरा बाग है। यह चीनी का रोजा की उत्तरी दिशा और जवाहर पुल की दक्षिणी दिशा में है। एएसआई के मोबाइल एप पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह बुर्ज जौहरा महल या जौहरा बाग का अवशेष है। इसका निर्माण बाबर की बेटी जुहरा महल ने कराया था। यहां नर्सरी बनने और बसावट होने से बाग का अस्तित्व मिट चुका है।
जोहरा बाग का क्षतिग्रस्त हिस्सा।
चीनी का रोजा की तरफ बने बुर्ज को किया संरक्षित
एएसआई ने चीनी का रोजा की तरफ तीन मंजिला बुर्ज को संरक्षित कर रखा है। इस बुर्ज की ऊपरी दो मंजिल रविवार सुबह करीब चार बजे भरभराकर गिर गईं। पूरा मलबा पहली मंजिल और यमुना किनारा की तरफ गिरा। उस समय वहां कोई माैजूद नहीं था, जिससे हादसा टल गया। बुर्ज के गिरने की जानकारी मिलते ही विभागीय अधिकारी सक्रिय हो उठे। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. राजकुमार पटेल ने निरीक्षण किया। बुर्ज के इस तरह गिरने से एएसआई द्वारा किए जा रहे स्मारकों के रखरखाव पर सवाल खड़े हो गए हैं। सितंबर में लगातार वर्षा होने पर एत्माद्दौला व रामबाग की दीवार गिर गई थीं।
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मिट्टी की है चिनाई
जौहरा बाग के बुर्ज का निर्माण लाखौरी ईंंटों व मिट्टी की चिनाई से हुआ है। इसमें टीप (प्वाइंटिंग) ऊपर से है। दीवार पर बाहर की तरफ लाल बलुई पत्थर लगा था, जिसमें गुलदस्ते व सुराही के डिजाइन बने थे। बुर्ज के गिरने से यह काम नष्ट हो गया है। इसकी छत 80 से 85 सेमी मोटी चूने की बनी हुई थी। समय के साथ यह खराब हो चुका है। 2013-14 में कराया गया था काम वित्तीय वर्ष 2013-14 में बुर्ज के संरक्षण को पांच लाख रुपये से संरक्षण का काम कराने की योजना बनाई गई थी। तब यहां छत सही करने के साथ ही दीवारों पर प्वाइंटिंग का काम दो लाख रुपये से किया गया था। बीते एक दशक में यहां कोई काम नहीं कराया गया है।
जौहरा बाग के संरक्षण की योजना बनाई गई थी। बाग तक जाने को रास्ता नहीं है। यहां चीनी का रोजा से होकर जाते हैं। चीनी का रोजा में चल रहा संरक्षण कार्य पूरा होने के बाद जौहरा बाग के बुर्ज को संरक्षित किया जाता। बाहर से बुर्ज की स्थिति सही नजर आ रही थी, जिससे वह जर्जर नहीं लग रहा था। संभावना है कि वर्षा का पानी अंदर तक रिसकर पहुंचा और उसने स्मारक को क्षति पहुंचाई। बुर्ज को मूल स्वरूप में सहेजा जाएगा। -डा. राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद
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