दुश्मन भी रह गए थे दंग... 1971 के भारत-पाक युद्ध में ताजमहल बन गया था जंगल, ढंके थे गुंबद और मीनार
Taj Mahal भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान ताजमहल को दुश्मनों से बचाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया गया। इसे टाट पेड़ों की डालियों और झाड़ियों से ढककर जंगल का रूप दे दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि पाकिस्तानी विमान खेरिया हवाई अड्डे पर हमला न कर सकें। युद्ध के दौरान ताजमहल 4 से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।
जागरण संवाददाता, आगरा।Taj Mahal: भारत द्वारा पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के मध्य तनाव का माहौल है। उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया गया है। ताजमहल पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है।
वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय ताजमहल को जंगल का रूप दिया गया था। इसके लिए टाट, टेंट, पेड़ों की डालियां, झाड़ियों का उपयोग किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था, जिससे कि पाकिस्तानी विमान ताजमहल से दूरी का अनुमान लगाकर खेरिया एयरपोर्ट पर निशाना नहीं साध सकें।
वर्ष 1971 के युद्ध के समय तीन दिसंबर की शाम को पाकिस्तान के विमानों ने खेरिया एयरपोर्ट के रनवे के पास और कीठम पर बम बरसाए थे। दुश्मन दोबारा यह हरकत नहीं कर सके, इसके लिए ताजमहल को ढकने के आदेश किए गए थे। सफेद संगमरमर से बना ताजमहल ऊंचाई से साफ नजर आता है। ताजमहल को ढकने का निर्णय लिया गया था।
ताजमहल।
चार दिसंबर को आया था आदेश
उस समय ताजमहल के संरक्षण सहायक लाड़ली कटरा के एसके शर्मा थे। शर्मा ने बताया कि, चार दिसंबर की दोपहर ताजमहल को ढंकने का आदेश आया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पास उपलब्ध टाट को हरे रंग से रंगवाकर ताजमहल के गुंबद पर लटका दिया गया था। टेंंट वालों से तिरपाल मंगाकर और बाजार से पुराना कपड़ा खरीदकर स्मारक को ढक दिया गया था। अकबर के मकबरे के जंगलों से पेड़ों से डालियां और झाड़ियां मंगाकर ताजमहल को जंगल का रूप दिया गया था।
चार से 18 दिसम्बर तक बंद रहा था ताजमहल
एएसआइ के कर्मचारी कम होने पर मजदूर बुलाकर दिन-रात इस काम को अंजाम दिया गया था। उस समय इस काम पर 20 हजार 500 रुपये व्यय हुए थे। ताजमहल चार से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।
ताजमहल पर बनाया था कोमोफ्लेम
ताजमहल के दक्षिणी गेट निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त 77वर्षीय सूरज प्रकाश दत्ता बताते हैं कि वर्ष 1971 के युद्ध के समय वह सिविल डिफेंस में वार्डन थे। उस समय ताजमहल पर कोमोफ्लेम (छलावरण) बनाया गया था। ताजमहल को पूरी तरह ढक दिया गया था। उस समय आज की तरह ताजमहल पर सुरक्षा नहीं थी। शाम ढलने पर सायरन बजता था और ब्लैकआउट होता था। ब्लैकआउट होते ही अंधेरा छा जाता था।
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