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    Sawan Ka Somwar: विशेष है कैलाश मंदिर, एक ही जलहरि में विरामजान दो शिवलिंग; परशुराम और ऋषि जमदग्नि ने की थी स्थापना

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 01:19 PM (IST)

    आगरा के सिकंदरा स्थित कैलाश महादेव मंदिर में श्रावण मास के तीसरे सोमवार को भव्य मेला लगेगा। मंदिर में एक ही जलहरि में दो शिवलिंग स्थापित हैं जिनकी स्थापना परशुराम और ऋषि जमदग्नि ने की थी। मान्यता है कि यमुना नदी स्वयं आकर शिवलिंग का अभिषेक करती है। मेले का उद्घाटन रविवार को होगा जिसमें कांवड़ियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

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    Sawan Ka Somwar: सिकंदरा स्थित कैलाश महादेव मंदिर। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, आगरा। पवित्र श्रावण मास में आगरा शिवमय हो चुका है। इसके तृतीय सोमवार पर सिकंदरा स्थित कैलाश महादेव मंदिर पर भव्य मेला लगाया जाएगा, जिसकी तैयारी आरंभ हो चुकी है। सिकंदरा से लेकर मंदिर तक सड़क किनारे जहां दुकानें सज चुकी हैं। छोटे-बड़े झूले भी लगाए जा रहे हैं। वहीं मंदिर में सोमवार को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। मंदिर की विशेष महत्ता है क्योंकि एक ही जलहरि में एकसाथ दो शिवलिंग स्थापित हैं। मान्यता है कि इन शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने की थी।

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    मंदिर के मुख्य महंत दिलीप गिरि बताते हैं कि मंदिर का इतिहास सदियों प्राचीन है। मान्यता है कि परशुराम जी अपने पिता ऋषि जमदग्नि के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान भोलेनाथ की आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दोनों को एक-एक शिवलिंग प्रदान किया, जिसे रुनकता स्थित रेणुका धाम स्थित अपने आश्रम पर स्थापित करने के लिए वह लौटने लगे।

    ये है पुराना इतिहास

    आश्रम से करीब 20 किसी दूर अधिक रात्रि होने पर वह विश्राम के लिए रुक गए। लेकिन अगली सुबह शिवलिंग अपने स्थान से नहीं हटे, इसके बाद पिता-पुत्र ने दोनों शिवलिंग को वहां पूरे विधि-विधान से स्थापित कराया। पूरे देश में एक ही जलहरि में दो शिवलिंग वाला यह अपने आप में बेहद शिवलिंग मंदिर है, जिसके किनारे से यमुना गुजरती है। यमुना का जलस्तर जब बढृता है, तो वह मंदिर में बाबा का अभिषेक करने स्वयं गर्भग्रह में दाखिल होती हैं।

    रविवार को होगा मेले का उद्घाटन

    • कैलाश महादेव मेले का उद्घाटन रविवार शाम पांच बजे मंदिर में भगवान के जलाभिषेक के बाद हो जाएगा। रात्रि 12 बजे से अभिषेक आरंभ होंगे, जिसमें निर्धारित श्रद्धालु ही शामिल हो पाएंगे।
    • रात्रि दो बजे मंगला आरती के बाद मंदिर के पट कंवाड़ियों के लिए खोल दिए जाएंगे, जिससे वह आसानी से भगवान को कांवड अर्पित कर सकें।
    • मंदिर के पांच द्वारों में से तीन से प्रवेश की व्यवस्था रहेगी, जिनमें से एक द्वार से सिर्फ कांवड़ियों को प्रवेश दिया जाएगा।
    • दूसरे द्वार से सिर्फ महिलाओं और तीसरे द्वारा से पुरुषों को प्रवेश मिलेगा।
    • शेष दो द्वारा से निकासी व्यवस्था होगी। लेकिन मंदिर की परिक्रमा बंद रहेगी। न ही, मंदिर परिसर में भंडारा आयोजन होगा। पार्किंग व्यवस्था मंदिर से एक किमी दूर की जाएगी।
    • वहीं रविवार रात्रि को मंगला आरती में बाबा का भांग से शृंगार कर उन्हें पेडे, घेवर और बेलपत्र का भोग अर्पित किया जाएगा।
    • सोमवार रात्रि साढ़े आठ बजे आरती और भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा। रात्रि 10 बजे आरती के बाद मध्यरात्रि 12 बजे शयन आरती के बाद पट बंद किए जाएंगे।

    लगे झूले और स्टाल

    सिकंदरा से लेकर मंदिर तक मार्ग में विभिन्न सामानों की दुकानें और छोटे-बडे झूले भी लग चुके हैं। सिकंदरा स्मारक के पास एक प्लाट में बड़े झूले लगाए गए हैं। यह झूले वालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह निर्धारित से अधिक शुल्क नहीं वसूलेंगे। अंदर्से की गोली, नान खटाई, घेवर और जलेबी की दुकानें भी सज गई हैं।

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