आगरा किला शिवाजी की होगा पहचान, पीछे होगा मुगलों का नाम! CM ने कहा था 'छत्रपति ने औरंगजेब की सत्ता को दी थी चुनौती'
Agra Fort आगरा किले में तीसरी बार शिवाजी का शौर्य प्रदर्शित हुआ है। शिवाजी म्यूजियम बनाने की मांग भी उठ रही है। आगरा में एक बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि आगरा में शिवाजी ने औरंगजेब को चुनौती दी थी। आने वाले समय में आगरा किला से मुगलों का नाम पीछे हो जाएगा ये माना जा रहा है।

जागरण संवाददाता, आगरा। हिंदवी स्वाराज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी राजे भोंसले का शौर्य आगरा किला के दीवान -ए- खास में देखने को मिला था। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार अब मुगलों की याद दिलाने वाले आगरा किला की पहचान छत्रपति शिवाजी के शौर्य से कराने को भरपूर प्रयास कर रही है। तीन वर्ष से आगरा किला में लगातार छत्रपति शिवाजी का शौर्य प्रदर्शित किया जा रहा है।
मुगल म्यूजियम के बाद स्मारक बनाने की मांग भी उठ रही है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले वर्ष अगस्त में वीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा अनावरण के समय छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य बताया था। अब इसी दिशा में काम चल रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर बुधवार आगरा किला में शानदार कार्यक्रम हुआ। इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज का शौर्य प्रदर्शित किया गया।
महाराष्ट्र के सीएम ने की थी मांग
इस दौरान मंच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा था कि सरकार अगर उन्हें कोठी मीना बाजार में भूमि दे तो वह भव्य स्मारक बनाएंगे। इससे पहले आगरा किला के सामने शिवाजी की घुड़सवार प्रतिमा वर्ष 2001 में लगी थी। इसका अनावरण फरवरी, 2001 में तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उप्र के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने किया था।
आगरा किला।
आगरा में 2016 से बनना शुरू हुआ था म्यूजियम
वर्ष 2016 में शिल्पग्राम के समीप मुगल म्यूजियम का निर्माण शुरू हुआ था। इसके निर्माण पर 99 करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं और जनवरी, 2020 से काम बंद पड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितंबर, 2020 में आगरा मंडल की समीक्षा बैठक में म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी म्यूजियम करने के निर्देश दिए थे। उनके निर्देशों पर म्यूजियम का नाम बदला जा चुका है। अब उत्तर प्रदेश के बजट में शिवाजी म्यूजियम के लिए 25 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत कर दी गई।
सीएम ने आगरा में दिया था बटेंगे तो कटेंगे का बयान
पुरानी मंडी चौराहे पर वीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिवाजी के शौर्य को बताया था। यहां से दिया गया उनका बयान बटेंगे तो कटेंगे पूरे देश में चला। उन्होंने मंच ये यह भी कहा था कि इसी आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती दी थी और उसे बताया था कि वह कभी हिन्दुस्तान पर कब्जा नहीं कर पाएगा। लोग मान रहे हैं कि भविष्य में आगरा किला की छत्रपति शिवाजी के नाम से होगी। मुगलों का नाम पीछे हो जाएगा।
यह कहते हैं इतिहासकार
- छह जून, 1674 को रायगढ़ में हिंदवी स्वराज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज, औरंगजेब से मिलने उसके दरबार में आए थे। इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक 'औरंगजेब' में शिवाजी की आगरा यात्रा का वर्णन किया है।
- राजा जयसिंह से पुरंदर की संधि के बाद शिवाजी अपने दल के साथ 11 मई, 1666 को आगरा पहुंचे थे।
- 12 मई को शिवाजी, औरंगजेब के आगरा किला के दीवान-ए-खास में लगे दरबार में गए। यहां यथोचित सम्मान नहीं मिलने पर वह नाराजगी जताकर चले गए।
- शिवाजी को राजा जयसिंह के बेटे रामसिंह की छावनी के निकट सिद्दी फौलाद खां की निगरानी में नजरबंद करने का आदेश औरंगजेब ने किया।
- 16 मई, 1666 को शिवाजी को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश किया गया। इस बीच शिवाजी ने बीमारी का बहाना बनाकर गरीबों को फल बांटना शुरू कर दिए।
- 18 अगस्त को उन्हें रामसिंह की छावनी के निकट शहर के बाहर स्थित फिदाई हुसैन की टीले पर स्थित हवेली में रखने का आदेश औरंगजेब ने किया।
- 19 अगस्त, 1666 को यहीं से शिवाजी अपने पुत्र संभाजी के साथ फलों व मिठाइयों की टोकरी में बैठकर निकल गए। उनकी जगह पलंग पर हीरोजी फरजंद लेटे रहे। औरंगजेब को इसका पता अगले दिन चला तो वह हाथ मलता रह गया।
आगरा किला में 101 दिन रहे थे
जदुनाथ सरकार की पुस्तक के अनुसार छत्रपति शिवाजी महाराज आगरा किला में 101 दिन रहे थे। 12 सितंबर, 1666 को वह राजगढ़ पहुंचे थे। कुछ इतिहासकारों ने शिवाजी के औरंगजेब की कैद से बचकर निकलने की तिथि 13 व 16 अगस्त लिखी हैं, जो पुरानी व नई तिथियों से गणना करने में होने वाले अंतर की वजह से है।
आगरा किला में लगा है शिलालेख
आगरा किला में दीवान-ए-खास के पास लगे शिलालेख में शिवाजी के औरंगजेब के दरबार में आने का जिक्र है। वर्ष 2017 सेपहले यहां लगे शिलालेख में जिक्र था कि शिवाजी, औरंगजेब के दरबार में बेहोश हो गए थे। तत्कालीन राज्यपाल रामनाईक ने इस पर आपत्ति की थी। उनका कहना था शिवाजी मूर्छित नहीं हो सकते। वह दरबार में टेक लगाकर बैठे होंगे। एएसआइ ने इसके बाद शिलालेख बदलवा दिया था।
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कोठी मीना बाजार मैदान में प्रतिमा व संग्रहालय का प्रस्ताव
इतिहास संकलन समिति ने आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित स्थानों पर शोध किया था। जयपुर म्यूजियम में रखे आगरा के पुराने मैप के अनुसार रामसिंह की छावनी नगर की सीमा के बाहर वर्तमान कोठी मीना बाजार मैदान के पास थी।
अभिलेखों में यह स्थान आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है। इसके आधार पर समिति ने शोध में दावा किया था कि फिदाई हुसैन की जिस हवेली में छत्रपति शिवाजी को रखा गया था, वह कोठी मीना बाजार ही थी। वर्ष 1803 में यह अंग्रेजों के कब्जे में आई थी। यहां इस पुराने भवन को तोड़कर वर्ष 1837 में गर्वनर हाउस बनाया गया था। वर्ष 1857 में अंग्रेजों ने इसे नीलाम कर दिया था।
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