Booker Award Winner 2022: लेखिका गीतांजलि को प्रतिष्ठित बुकर अवार्ड, उपलब्धि पर मैनपुरी में खुशी का माहौल
Booker Award Winner 2022 मैनपुरी में पैदा हुईं थीं गीतांजलि श्री सन 1957 में जन्म के बाद स्वजन छोड़ गए थे जिला। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई। उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ (रेत समाधि) के लिए पुरस्कार साहित्यकारों ने जताई खुशी।

आगरा, जागरण टीम। मैनपुरी में जन्मी प्रख्यात उपन्यासकार गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने पर जिले के साहित्यकारों ने खुशी जताई है। उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ (रेत समाधि) को मिले पुरस्कार की लेखिका गीतांजलि श्री छह दशक पहले मैनपुरी में ही जन्मी थीं।
लेखक-उपन्यासकार गीतांजलि श्री का जन्म 12 जून 1957 को मैनपुरी में होने की बात बताई जाती है। स्वजन भी करीब पांच दशक पहले यहां से चले गए थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई। बाद में उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। वर्तमान में गीतांजलि थियेटर के लिए भी लिखती हैं, फेलोशिप, रेजिडेंसी, लेक्चर आदि के लिए देश-विदेश की यात्राएं करती हैं।
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गीतांजलि श्री के उपन्यास
माई, हमारा शहर उस बरस, तिरोहित, खाली जगह, रेत-समाधि और चार कहानी-संग्रह अनुगूंज, वैराग्य, प्रतिनिधि कहानियां, यहां हाथी रहते थे़ छप चुके हैं। अंग्रेजी में एक शोध-ग्रंथ और अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी रचनाओं के अनुवाद भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं।
‘मैनपुरी के साहित्यकार’ पुस्तक में भी नहीं है पूरा जिक्र
साहित्यकार स्व. नरेश चंद सक्सेना ने मैनपुरी के साहित्यकार नाम से एक पुस्तक लिखी थी। इसमें जिले में जन्मे लेखक और साहित्यकारों का जीवन परिचय और योगदान आदि शामिल है। स्व. सक्सेना के छोटे भाई साहित्यकार डा. चंद्रमोहन सक्सेना ने बताया कि इस पुस्तक लिखते समय गीतांजली श्री से संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने रूचि नहीं दिखाई।
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साहित्यकारों की बात
मैनपुरी में जन्मी गीतांजली श्री को पुरस्कार मिलने से मन प्रसन्न है। उनके स्वजन यहां कहां रहते थे, इसकी जानकारी नहीं है। लेखिका को बुकर पुरस्कार मिला, यह सुनकर अच्छा लगा है।
- विनोद माहेश्वरी, साहित्यकार।
गीतांजली श्री के स्थानीय जुड़ाव से भले ही अनजान हैं। यहां पैदी हुई लेखिका को पुरस्कार मिला, यह सुनकर खुशी हो रही है। इससे साहित्यकार प्रेरित होंगे।
- पं. श्रीकृष्ण मिश्रा, एडवोकेट, इतिहासकार।
मैनपुरी से गीतांजली का नाता है, अब पुरस्कार मिला है। यह प्रेरणादाई है। इस पुरस्कार से मैनपुरी के साहित्यकार खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
- संजय दुबे, कवि-साहित्यकार।
मैनपुरी से गीतांजलि श्री का भले ही ज्यादा जुड़ाव नहीं रहा, उनको बुकर पुरस्कार मिला है, यह मैनपुरी के लिए गौरव की बात है। इस पुरस्कार से प्रेरणा मिलेगी।
- महालक्ष्मी सक्सेना मेधा, साहित्यकार।
क्या है बुकर पुरस्कार
बुकर पुरस्कार इंग्लैंड द्वारा लेखन के क्षेत्र में दिया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। इसकी स्थापना सन 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 50 हजार पाउंड की राशि लेखक को दी जाती है। पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की सूची तैयार की जाती है, पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को मिला था।
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