कट्टरता की ट्रेनिंग, मुजाहिद बनने को तैयार हो गई थी छोटी बेटी... पुलिस पूछताछ में मिली चौंकाने वाली जानकारी
Illegal Conversion Racket आगरा में एक जूता कारोबारी की दो बेटियां अवैध मतांतरण गिरोह के जाल में फंस गईं। इंस्टाग्राम पर रीथ बनिक उर्फ इब्राहिम ने उनसे संपर्क कर ब्रेनवॉश किया और घर छोड़ने के लिए उकसाया। कोलकाता पहुंचने पर उन्हें कट्टरता की ट्रेनिंग दी गई। छोटी बेटी मुजाहिद बनने को तैयार थी। पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं।

जागरण संवाददाता, आगरा। Operation Asmita:अवैध मतांतरण गिरोह के चंगुल में जूता कारोबारी की दो बेटियां बुरी तरह फंस गई थी। इंस्टाग्राम पर कोलकाता के रीथ बनिक उर्फ इब्राहिम ने लगातार संपर्क कर दोनों बहनों का ब्रेन वाश किया। लंबे समय तक संपर्क में रहने के बाद उसने घर छोड़ने को उकसाया और सफल हो गया।
कोलकाता में पहुंचने के बाद भी आमना और जोया (मतांतरण के बाद दिए नाम) को कट्टरता की ट्रेनिंग दी जा रही थी। छोटी बेटी जोया के सिर पर कट्टरता इस कदर सवार हो गई थी कि वह तो मुजाहिद बनने की ठान चुकी थी।
इंस्टाग्राम आइडी पर लगाई गई डिस्प्ले फोटो (डीपी) के संबंध में पूछताछ करने पर पुलिस को यह चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। कोलकाता की तपसिया बस्ती से पकड़ी गईं आमना और जोया से पुलिस ने कई घंटों की पूछताछ की।
ब्रेनवॉश के बाद गैंग के सदस्यों ने डाक से भेजे धार्मिक साहित्य
पुलिस सूत्रों के अनुसार इंस्टाग्राम के माध्यम से शुरूआती ब्रेन वाश के बाद गैंग के सदस्य उन्हें डाक से भी धार्मिक साहित्य भेज रहे थे। इस्लाम में शामिल होने की पुख्ता उम्मीद के बाद दोनों बहनों को घर छोड़ने के लिए उकसाया। गिरोह के साथ गिरफ्तार कोलकाता का रीथ बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम लगातार इंस्टाग्राम पर छोटी बहन के संपर्क में था। उसने ही कोलकाता आने की पूरी प्लानिंग उसे बताई थी। 24 मार्च को घर छोड़ने के बाद वे कोलकाता में पहुंची थीं।
डीपी भी कट्टरता की लगी
सूत्रों के अनुसार जोया खुद को इस्लाम के प्रति कट्टर दिखाती थी और उसी अंदाज में बात करती थी। उसने अपनी इंस्टाग्राम आइडी पर डीपी भी कुछ इस तरह की लगाई थी। पुलिस ने जब उससे डीपी के संबंध में पूछताछ की तो उसने बताया कि वह मुजाहिद बनकर इस्लाम के लिए लड़ने को तैयार हो गई थी। इसके लिए वह विशेष ट्रेनिंग भी लेना चाह रही थी। उसने एके-47 रायफल के साथ फोटो नहीं खिंचाया था।
फोटो तैयार कर उसने अपनी डीपी पर लगाई थी। वह खुद फोटो की तरह बनना चाहती थी। बरामद होने के बाद दोनों को परिवार के सिपुर्द किया गया है, जहां उनकी काउंसिलिंग की जा रही है।
काउंसलिंग के लिए मनोविज्ञानी की ली जा रही मदद
बेटियों को फिर से मानसिक रूप से सशक्त करना होगा। बचपन की तरह अच्छे और बुरे का भेद बताना होगा। सोमवार को बेटियों की काउंसलिंग के बीच साइबर थाने में माता-पिता नए सिरे से उनके जीवन की रूपरेखा बना रहे थे। मतांतरण गिरोह के चंगुल में फंसकर कट्टरपंथी हो चुकीं बेटियों की मानसिक मुक्ति के लिए मनोविज्ञानी की मदद ली जा रही है। जिससे उनका व्यवहार सामान्य हो सके। काउंसलिंग के दौरान कई बार ऐसे भी पल आए, जब माता-पिता को सामने देख बेटियां भावुक हो गईं।
मनोवैज्ञानिकों का मानना, सामान्य जीवन की ओर लौटने का संकेत
मनोविज्ञानी इसे बेटियों के कट्टरपंथ से सामान्य जीवन की ओर लौटने का सुखद संकेत मान रहे हैं। चार महीने से गायब बेटियों को पुलिस ने चार दिन पहले कोलकाता से बरामद किया तो वह कट्टरपंथी की तरह व्यवहार कर रही थीं। माता-पिता से बातचीत करने को तैयार नहीं थीं। उन्हें आगरा लाने के बाद से पुलिस और मनोविज्ञानी लगातार काउंसलिंग कर रहे हैं। जिससे बेटियों में सकारात्मक बदलाव आया है। बीच-बीच में कई बार वह भावुक हो जाती हैं। उनकी आंखों में पश्चाताप के भाव भी नजर आते हैं।
माता और पिता का भी दिल भर आया
बेटियों की हालत देख माता-पिता का दिल भी भर आया। दोनों बेटियों का मतांतरण गिरोह पांच वर्ष में ब्रेनवाश कर चुका था। पिता बताते हैं कि बेटियों के साथ यह उनकी भी अग्नि परीक्षा है। बेटियों को पहले की तरह सामान्य जीवन में लौटने में लंबा समय लगेगा।
पुलिस ने बेटियों को गिरोह के चंगुल से मुक्त करा लिया है। मगर, उन्हें मानसिक रूप से मुक्त कराने में एक वर्ष तक लग सकता है। मानसिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए मनोविज्ञानियों और धर्म विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
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