Elections 2024: 77 की उम्र में 98वां चुनाव, एक ऐसा शख्स जो हारने के लिए लड़ता है इलेक्शन, पढ़िए 100वां रिकॉर्ड बनाने के पीछे की कहानी
Hasnuram 100th Election आगरा सुरक्षित सीट से इस बार चुनाव लड़ने वाले हसनूराम 100 बार चुनाव लड़ने का बनाएंगे रिकार्ड। आगरा सुरक्षित और फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने के लिए खरीदा नामांकन पत्र। वर्ष 1985 में चुनाव लड़ने के लिए छोड़ी थी सरकारी नौकरी नहीं मिला था टिकट। राजस्व विभाग में अमीन के पद थे लेकिन चुनाव के लिए दिया था इस्तीफा।
जागरण संवाददाता, आगरा। आगरा में तीसरे चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत शुक्रवार से हो गई। कलक्ट्रेट में नामांकन पत्र खरीदने एक ऐसा शख्स भी पहुंचा जो अब तक 98 बार चुनाव लड़ चुका है।
फतेहपुर सीकरी की खेरागढ़ तहसील के नगला दूल्हे खां के 77 वर्षीय हसनूराम अंबेडकरी ने सौ बार चुनाव लड़ने का रिकार्ड बनाने को आगरा सुरक्षित और फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीटों से नामांकन पत्र लिए। उन्हें आज तक किसी चुनाव में जीत भले न मिली हो, लेकिन उनके चुनाव लड़ने के जज्बे में किसी तरह की कमी नहीं आई है।
राजस्व विभाग में अमीन थे
हसनूराम आंबेडकरी ने बताया कि वह पहले राजस्व विभाग में अमीन के पद पर थे। उस समय वह वामसेफ में सक्रिय थे। वर्ष 1985 में उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया गया था। उन्होंने चुनाव लड़ने को अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। चुनाव के समय उन्हें टिकट नहीं दिया गया। पार्टी पदाधिकारी से उन्होंने विरोध जताया तो उसने कहा कि तुम्हें तो पड़ोसी भी नहीं जानते हैं, वोट कौन देगा। यह बात उनके दिल को चुभ गई। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
पहला चुनाव लड़ा
फतेहपुर सीकरी विधानसभा से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और 17711 वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे। तब से अब तक वह हर चुनाव में किस्मत आजमाते चले आ रहे हैं। हसनूराम ने बताया कि वह ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, सहकारी बैंक, विधायक, एमएलसी, सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। राष्ट्रपति के चुनाव को भी उन्होंने नामांकन किया था।
वह 12 बार आगरा ग्रामीण, 13 बार खेरागढ़ और छह बार फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सभी लोग चुनाव जीतने को लड़ते हैं, लेकिन वह हार का रिकार्ड बनाने को चुनाव लड़ते हैं। उनका दावा है कि अब तक किसी प्रत्याशी ने इतने चुनाव नहीं लड़े हैं।
प्रधानमंत्री सम्मान निधि के पैसे से लड़ेंगे चुनाव
हसनूराम पेशे से किसान हैं। उन्होंने चुनाव लड़ने को फंड बना रखा है। इसमें वह प्रतिदिन कुछ न कुछ रुपये डालते हैं। नामांकन प्रक्रिया के अतिरिक्त वह चुनाव प्रचार पर एक रुपया व्यय नहीं करते हैं। प्रचार के लिए वह घर-घर संपर्क करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सम्मान निधि में मिले पैसों से वह चुनाव लड़ेंगे। एक वर्ष में करीब 12 हजार रुपये उन्हें मिले हैं। इसके साथ ही राशन में मिलने वाले अनाज को पशुओं के लिए बेचकर उन्होंने पैसे जुटाए हैं। राशन में ऐसा अनाज दिया जाता है, जिसे आदमी तो क्या पशु भी नहीं खाते हैं।
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