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    मरीजों ने खा ली करोड़ों की नकली दवाइयां! 10 रुपये की दवा बनाकर 100 रुपये में बिक्री, 4 केस होंगे दर्ज

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:45 AM (IST)

    आगरा में नकली दवा रैकेट में 10 रुपये की नकली दवा 100 रुपये में बेची जा रही थी। हे मा मेडिको नामक कंपनी की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी पाई गई। नकली दवाइयां उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों में तैयार की जाती थीं और ट्रेन से लाई जाती थीं। इस मामले में चार मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

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    आगरा में दवा की दुकान पर छानबीन करती औषधि विभाग की टीम।

    जागरण संवाददाता, आगरा। कई वर्षों से नकली दवा की बिक्री थोक दवा मार्केट से की जा रही थी, मेडिकल स्टोर से करोड़ों की नकली दवा खरीद कर मरीज खा चुके हैं। 10 रुपये की नकली दवा तैयार कर 100 रुपये में बिक्री की जा रही थी, इस तरह नकली दवाओं से करोड़ों की कमाई हो रही थी। इसके बाद भी औषधि विभाग की टीम ने हे मा मेडिको से नियमित जांच में नमूने तक नहीं लिए जिससे दवा की गुणवत्ता की जांच कराई जा सके।

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    सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कई वर्षों से नकली दवा का खेल चल रहा था। हे मा मेडिको एक दर्जन कंपनियों का स्टाकिस्ट है। कंपनी की दवाएं बड़ी संख्या में बिक्री की जा रहीं थीं लेकिन कंपनी से दवाओं की खरीद बहुत कम की जा रही थी, इस पर दवा कंपनियों को शक हुआ।

    कई वर्षों से चल रहा नकली दवा की बिक्री का खेल

    पहले टैक्स चोरी की दवा आस पास के जिलों से मंगाकर बिक्री करने की आशंका पर जांच की गई। इसमें सामने आया कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्री में ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवा सस्ती दर पर तैयार कराई जा रहीं हैं, 10 रुपये की दवा तैयार कर 100 रुपये में बेची जा रही थी। दवाएं बिल से बिक्री की जातीं थीं। इन दवाओं को लोग बिल से मेडिकल स्टोर से खरीद कर खा रहे थे।

    दवा का नहीं होता है असर, बदली पड़ रहीं दवाएं

    एसएन मेडिकल कॉलेज के फिजिशियन डॉक्टर प्रभात अग्रवाल ने बताया कि कई बार मरीज की तबीयत में दवा लेने के बाद भी सुधार नहीं होता है तो दूसरी कंपनी की वही दवा लिख दी जाती है, इससे तबीयत में सुधार हो जाता है। ऐसा नकली दवा के कारण होता है, नकली दवा की गुणवत्ता खराब होती है इसलिए उसका असर नहीं पड़ता है।

    ट्रेन में लेदर के बीच छिपाकर लाता था कार्टन

    नकली दवा का अवैध कारोबार करने वाले जालसाज ट्रेन में लेदर के बीच छिपाकर कार्टन में नकली दवाएं लाते थे, जिससे वे पकड़ में न आ सकें। एक आर इस खेल को पकड़ने में एसटीएफ की टीम भी चकमा खा गई। एसटीएफ ने दूसरी बार में नकली दवाएं पकड़ीं और पूरे सिंडिकेट का पर्दाफाश हो गया।

    ऑटो चालक से पूछताछ में मिली ये जानकारी

    कैंट रेलवे स्टेशन से पकड़े गए ऑटो चालक से पूछताछ में एसटीएफ को जानकारी मिली कि यह गिरोह चेन्नई व अन्य दक्षिण के राज्यों के साथ ही दिल्ली व बिहार से नकली दवाएं मंगाता था। लेदर के बीच में दवा के कार्टन ये आसानी से ले आते थे।

    चार मुकदमे होंगे दर्ज, एसटीएफ को मिल सकती है विवेचना

    नकली दवा के सिंडिकेट के मामले में कोतवाली थाने में चार मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। एक मुकदमा रिश्वत देने के मामले में एंटी करप्शन एक्ट के तहत होगा। वहीं दूसरा मुकदमा दवा को रेवले स्टेशन से ट्रांसपोर्ट कंपनी तक पहुंचाने वाले खलील व उसके सहयोगियों पर होगा। तीसरा मुकदमा नकली दवा मंगाकर दूसरे राज्यों में खपाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

    वहीं चौथा मुकदमा थोक की दुकानों को सील करने के मामले में होगा। इन सभी मुकदमों की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हो सकती है। इसके बाद दूसरे राज्यों में बैठकर नेटवर्क चलाने वालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।

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