Murder Mystery: दो कत्ल-सात साल और 6 एसएसपी नहीं खोल सके आगरा के दंपती की हत्या का राज
Double Murder In Agra सबूत चीखते रहे लेकिन पुलिस ने किया किनारा आज कोठी पर ताला लगने के साथ ही खुलासे की फाइल पर भी ताला लग गया है। शहर के खंदारी स्थित आवास में हुई थी पति और पत्नी की बेरहमी से हत्या।

आगरा, जागरण टीम। आगरा में 15 नवंबर 2015 को दो हत्याओं ने दहला दिया था। शहर की पाश कालोनी कहे जाने वाले खंदी के हनुमान चौराहा निवासी लेदर व्यापारी अवनीश कुमार ग्रोवर और उसकी पत्नी रानी की घर में ही नृशंस हत्या कर दी गई थी।
इस हत्याकांड को सात वर्ष बीत गए लेकिन आज भी हत्याकांड रहस्य बना हुआ है। आठ विवेचक, छह एसएसपी बदले। लेकिन, हत्याकांड का खुलासा नहीं हो सका। पुलिस भी इसे भुला चुकी है और आज दंपती की कोठी पर लगे ताले के साथ ही पुलिस की फाइल भी तालों में है।
सनसनीखेज हत्याकांड में सिर कुचलकर मारे थे दंपती
पुलिस के मुताबिक 15 नवंबर की रात को लेदर कारोबारी अवनीश कुमार ग्रोवर और उनकी पत्नी ऊषा रानी घर में अकेले थे। इकलौता बेटा गिरीश 12 नवंबर को पत्नी और बच्चों के साथ बहन बिंटी के पास पश्चिम विहार, दिल्ली गया था। अवनीश और ऊषा रानी की मेन गेट के पास कुदाल से सिर कुचलकर हत्या हुई थी। दंपती के मुंह और पैर टेप से बंधे थे। हत्यारों ने दोनों के शव घसीटकर गैरिज में डाल दिए थे। सुबह तक कारोबारी की कार गेट के बाहर ही खड़ी रही।
हत्याकांड का नहीं हो सका खुलासा
ग्रोवर दंपती हत्याकांड के समय तत्कालीन एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह थे। उनके बाद एसएसपी दिनेश चंद्र दुबे, एसएसपी अमित पाठक, एसएसपी जोगेंद्र कुमार, एसएसपी बबलू कुमार और एसएसपी सुधीर कुमार सिंह आगरा में आए। सभी पुलिस कप्तानों ने हत्याकांड की फाइल को दोबारा खुलवाया। घटनास्थल का निरीक्षण किया और नए तथ्यों की तलाश की लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। अब इस केस की किसी क्राइम मीटिंग में चर्चा भी नहीं होती।
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ये रह चुके हैं विवेचक
हत्याकांड के समय एसओ हरीपर्वत शैलेष सिंह थे। उनके बाद इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान, जयकरण सिंह, राजा सिंह, हरिमोहन सिंह, महेश चंद्र गौतम, प्रवीन कुमार मान और अजय कौशल रहे। ये सभी इस केस की विवेचना कर चुके हैं।
ग्रोवर दंपती हत्याकांड में चली जांच-पड़ताल
- ग्रोवर दंपती की हत्या की वजह क्या थी?
- हत्या में इस्तेमाल टेप कहां से आया? नहीं पता चला
- फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो सका।
- ग्रोवर दंपति हत्याकांड में फाइनल रिपोर्ट फरवरी 2017 में लगाई गई
- अगस्त 2017, अक्टूबर 2017, जनवरी 2018 और दिसंबर 2018 में विवेचना के बाद विवेचक ने फाइनल रिपोर्ट लगाने का समर्थन किया
- नवंबर 2019 एसएसपी बबलू कुमार ने इसे वापस करके दोबारा जांच कराई।
- दिसंबर 2019 में इस केस में अंतिम विवेचक अजय कौशल ने एफआर का समर्थन किया अौर एफआर कोर्ट में पेश कर दी।
जांच में खामियां
- हत्याकांड में जांच को फोरेंसिक वैज्ञानिकों की टीम के पहुंचने से पहले ही क्राइम सीन धुल दिया गया। उन्हें बुलाने में भी देरी हुई।
- हत्याकांड में विवेचक बदलते गए। पूर्व के विवेचक द्वारा की गई जांच को आगे बढ़ाने के बजाय दूसरे विवेचकों ने नए सिरे से जांच की।
- शुरुआती दिनों में विवेचक बदलने के बाद पुलिस ने इसे हल्के में लिया। इससे केस उलझ गया।
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इन सुरागों का नहीं लगा पता
एक विशेष प्रकार का टेप: बुजुर्ग दंपति के शवों पर एक विशेष प्रकार का टेप लगा हुआ मिला था, इससे उनके हाथ-पैर के अलावा मुंह भी बंद किया गया था। पुलिस ने बहुत तलाश की, लेकिन यह पता नहीं चला कि यह शहर के किस बाजार में मिलता है।
सुराग नंबर- दो ऊषा ग्रोवर की सिम: घटना के कुछ दिन बाद पुलिस को नाला बुढ़ान सैयद के पास से एक किशोर से ऊषा ग्रोवर की सिम मिली। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि यह सिम किशोर को नाले के पास पड़ी मिली थी। उम्मीद की जा रही है कि कत्ल के बाद कातिल इसी रास्ते से गए, लेकिन आगे कुछ जानकारी हासिल नहीं हुई।
सुराग नंबर तीन-कारोबारी के घर में कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे मजदूरों में से कुछ बिना बताए गायब थे। पुलिस ने सभी मजदूरों को हिरासत में लेकर कई दौर की पूछताछ की, लेकिन कुछ नहीं मिला।
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