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    Agra Metro Project: जाम, समय और पैसे की होगी बचत... क्या है प्री कास्ट तकनीक; जिससे बनेगा एमजी रोड का मेट्रो ट्रैक

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 02:44 PM (IST)

    Agra Metro Project आगरा मेट्रो के निर्माण में अब प्री कास्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे समय और पैसे की बचत होगी। साथ ही जाम की समस्या भी नहीं रहेगी। एमजी रोड पर सात स्टेशन बनेंगे और प्रत्येक स्टेशन का प्रवेश और निकास द्वार दोनों तरफ होगा। समय की बचत के लिए एमजी रोड पर एक साथ दो से तीन पिलर बनाए जाएंगे।

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    Agra Metro: आगरा में मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, आगरा। उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) की टीम एमजी रोड पर एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक को प्री कास्ट तकनीक से बनाएगी। अवंतीबाई चौराहा से नौलक्खा चौराहा से आगे तक बैरीकेडिंग कर दी गई है। रिग मशीनों से खोदाई चालू हाेने जा रही है। डिवाइडर के दोनों तरफ की एक-एक लेन को बंद किया गया है।

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    शहर में मेट्रो ट्रैक 30 किमी लंबा होगा। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से कालिंदी विहार तक दूसरा कारिडोर 16 किमी लंबा है। पूरा ट्रैक एलीवेटेड होगा। एमजी रोड पर एक साथ दो से तीन पिलर बनाए जाएंगे। एक पिलर से दूसरे पिलर की दूरी 28 मीटर होगी। पिलर की ऊंचाई नौ मीटर होगी। एमजी रोड पर सात स्टेशन बनेंगे। प्रत्येक स्टेशन का प्रवेश और निकास द्वार दोनों तरफ होगा। फुट ओवर ब्रिज भी होगा।

    अवंतीबाई चौराहा से नौलक्खा से आगे तक की गई बैरीकेडिंग

    संयुक्त महाप्रबंधक पंचानन मिश्रा ने बताया कि भगवान टाकीज चौराहा से सदर बाजार तक एमजी रोड साढ़े छह किमी लंबी है। इसमें एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक को प्री कास्ट तकनीक से बनाया जाएगा। रिग मशीन से सबसे पहले खोदाई होगी। चार पाइल से पिलर का बेस बनेगा। नौ मीटर ऊंचा पिलर बनाया जाएगा।

    डिवाइडर के दोनों तरफ की एक-एक लेन होगी बंद

    पिलर के दोनों तरफ पिलर कैप होगी। पिलर कैप के बाद जरूरत के हिसाब से टी-गर्डर, यू-गर्डर या फिर आइ-गर्डर का प्रयोग किया जाएगा। ट्रैक बनने के बाद पटरी बिछाने का कार्य शुरू होगा। तीसरी रेल लाइन के माध्यम से बिजली की आपूर्ति की जाएगी।

    क्या है प्री कास्ट तकनीक

    यूपीएमआरसी द्वारा विभिन्न गर्डर का प्रयोग किया जाता है। इसकी शुरुआत पिलर कैप से होती है। प्री कास्ट तकनीक में पिलर कैप को यार्ड में बनाया जाएगा। ट्रोला में लादकर कैप को स्थल पर लाया जाता है। क्रेन सहित अन्य मशीनों से उसे निर्धारित जगह पर चढ़ाया जाता है। इसी तरह से आई-गर्डर, यू-गर्डर और टी-गर्डर को भी यार्ड में तैयार किया जाता है।

    सेवानिवृत्त इंजीनियर एसके गुप्ता का कह ना है कि प्री कास्ट तकनीक में समय और पैसे की बचत होती है। इससे जाम की समस्या भी नहीं रहती है। गर्डर की मजबूती बेहतर रहती है।

    अभी मनःकामेश्वर से ताजमहल तक चल रही मेट्रो

    आगरा में अभी मनःकामेश्वर मंदिर से ताजमहल तक मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। जल्द ही मनःकामेश्वर से खंदारी के लिए मेट्रो की शुरुआत की जाएगी।

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