धूल और धुएं से घुट रहा दिल्लीवासियों का दम, मात्र 24 घंटे में AQI में 19 अंकों का उछाल
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे निवासियों का दम घुट रहा है। पिछले 24 घंटों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में 19 अंकों की वृद्धि हुई है। धूल और धुएं के मिश्रण के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। प्रदूषण के कारण बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

धूल और धुएं से घुट रहा राजधानी वासियों का दम
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। सर्दियां भले ही अभी दूर है, लेकिन राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जो एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) बुधवार को केवल 81 दर्ज किया गया था, बृहस्पतिवार को 100 पहुंच गया। हैरानी की बात यह कि प्रदूषण के स्तर में हो रही इस वृद्धि की वजह बाहरी नहीं बल्कि राजधानी के अपने ही कारक हैं।
पुणे के इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ ट्राॅपिकल मीट्रियोलाॅजी (आईआईटीएम) का डिसीजन सपाेर्ट सिस्टम (डीएसएस) दिल्ली के वायु प्रदूषण की नियमित निगरानी कर रहा है। इसकी पिछले 10 दिन की रिपार्ट बताती है कि बेशक पंजाब और हरियाणा में पखवाड़े भर से पराली जलाई जा रही हो, लेकिन दिल्ली के एक्यूआई में अभी तक इसकी हिस्सेदारी शून्य है। अगले कई दिन तक भी यही स्थिति रहने वाली है।
डीएसएस की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के प्रदूषण में सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाहनों के धुएं की है। दूसरे नंबर पर घरेलू प्रदूषण, औद्योगिक धुआं, कचरा जलाना और सड़कों की धूल प्रमुख वजह है। मलबा भी प्रदूषण बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है। रही सही कसर एनसीआर के जिलों का प्रदूषण पूरी कर दे रहा है।
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पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर कारगर उपाय करने की जरूरत है। धूल, धुआं और कचरा जलाने के खिलाफ तो वर्ष भर अभियान चलाया जाना चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पूर्व अपर निदेशक दीपांकर साहा कहते हैं कि अभी तक वर्षा के कारण धूल एवं धुआं दबा हुआ था। लेकिन अब फिर से हवा में जहर घोलने लगा है।
दिल्ली के प्रदूषण में किस कारक की कितनी हिस्सेदारी
- कारक हिस्सेदारी (प्रतिशत में)
- वाहनों का धुआं 20 प्रतिशत तक
- घरेलू प्रदूषण 5 प्रतिशत तक
- औद्योगिक धुआं 4 प्रतिशत तक
- सड़कों की धूल 2 से 3 प्रतिशत तक
- मलबा 3 से 4 प्रतिशत तक
- कचरा जलाना 2 से 3 प्रतिशत तक
- पराली शून्य
- ऊर्जा संयंत्र 2 प्रतिशत तक
एनसीआर के जिलों की हिस्सेदारी
- सोनीपत 7 से 8 प्रतिशत तक
- झज्जर 9 से 10 प्रतिशत तक
- गाजियाबाद 5 से 6 प्रतिशत तक
- रोहतक 4 से 5 प्रतिशत तक
- गुरुग्राम 2 से 3 प्रतिशत तक
- पानीपत 2 से 3 प्रतिशत तक
- भिवानी 2 से 3 प्रतिशत तक
- नोएडा 2 से 3 प्रतिशत तक
प्रदूषण नियंत्रण के लिए किए जा रहे सभी संभव उपाय : सिरसा
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा बताते हैं कि सड़कों व खुले क्षेत्रों से धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मिस्ट स्प्रेयर और वाटर स्प्रिंकलर लगाना, ऊंची इमारतों पर 174 एंटी-स्माग गन लगाना और प्रवर्तन तंत्र में सुधार करने जैसे उपाय शामिल हैं।
सड़क मरम्मत में तेजी लाने, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपाय लागू करने एवं सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट का विस्तार करने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कृत्रिम वर्षा के ट्रायल की भी पूरी तैयारी कर ली गई है, केवल अनुकूल मौसम का इंतजार है।
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