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    दिल्ली में पीएम-2.5 का आकलन है 35% कम, CEEW के शोधकर्ताओं ने उठाए सवाल

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 08:39 PM (IST)

    काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) के शोधकर्ताओं ने दिल्ली की वायु प्रदूषण पूर्वानुमान प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि पुराने उत्सर्जन आंकड़ों के कारण सिस्टम पीएम-2.5 का स्तर कम आंका रहा है। राष्ट्रीय उत्सर्जन सूची को नियमित रूप से अपडेट करने की सिफारिश की गई है, क्योंकि वर्तमान सूची 2016 से अपडेट नहीं हुई है। CEEW के अनुसार, दिल्ली का AQEWS पिछली दो सर्दियों में सटीक रहा है, लेकिन सुधार की आवश्यकता है।

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    CEEW के शोधकर्ताओं ने दिल्ली की वायु प्रदूषण पूर्वानुमान प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) के शोधकर्ताओं ने बुधवार को दिल्ली की वायु प्रदूषण पूर्वानुमान प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया।

    उन्होंने कहा कि पुराने उत्सर्जन आंकड़ों के कारण यह प्रणाली राजधानी में पीएम-2.5 का 30 से 35 प्रतिशत कम अनुमान लगा रही है।

    CEEW के कार्यक्रम प्रमुख मोहम्मद रफीउद्दीन ने कहा कि शहर की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (AQEWS) सूक्ष्म कण पदार्थों की सांद्रता का अनुमान लगाने में लगभग 30 से 35 प्रतिशत त्रुटि दिखा रही है।

    उन्होंने कहा कि यदि वास्तविक पीएम-2.5 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है तो सिस्टम इसे करीब 65 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बताता है। इसलिए, यह पीएम-2.5 के स्तर का अनुमान कम लगा रही है।

    उन्होंने आगे कहा कि इसका एक प्रमुख कारण है कि यह प्रणाली पुरानी उत्सर्जन सूचियों पर निर्भर करती है। राष्ट्रीय स्तर पर, उत्सर्जन सूची को 2016 से अपडेट नहीं किया गया है। दिल्ली के लिए, इसे आखिरी बार 2021 में संशोधित किया गया था।

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    सीईईडब्ल्यू के शोधकर्ताओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन द्वारा अपनी सूचियों को अपडेट करने के तरीके से प्रेरणा लेते हुए, नियमित अपग्रेडेशन के प्रविधान के साथ एक नई राष्ट्रीय- स्तरीय उत्सर्जन सूची विकसित करने की सिफारिश की है।

    रफीउद्दीन ने कहा कि हर दो से तीन साल में उत्सर्जन सूची को अपडेट करने के लिए एक मजबूत ढांचा होना चाहिए। पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार के लिए एनसीआर क्षेत्र के लिए सूची को उन्नत करने पर तत्काल ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

    उन्होंने आगे कहा कि उत्सर्जन डेटाबेस को अपडेट करने से जवाबदेही भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कियह सिर्फ पूर्वानुमानों के बारे में नहीं है। प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली यह भी बता सकती है कि बीते कुछ वर्षों में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी रही है।

    हाल ही में जारी सीईईडब्ल्यू के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली का एक्यूईडबब्ल्यूएस पिछली दो सर्दियों के दौरान 80 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ 'बहुत खराब और उससे ऊपर वायु गुणवत्ता वाले दिनों की भविष्यवाणी करने में सक्षम था।

    इसने 2023-24 की सर्दियों में 92 में से 83 ऐसे प्रकरणों (वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर) और 2024-25 में 58 में से 54 का सफलतापूर्वक पूर्वानुमान लगाया।

    इस प्रणाली ने 'गंभीर' प्रदूषण वाले दिनों (400 से ऊपर एक्यूआई) की भविष्यवाणी करने में भी अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। हालांकि इसने 2023-24 में ऐसे 15 दिनों में से केवल एक को ही सही ढंग से चिह्नित किया, लेकिन अगली सर्दियों में यह संख्या बढ़कर 14 में से पांच हो गई।

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