डीपसीक ने AI की दुनिया में कैसे मचाया तहलका, क्या है इसमें खास?
डीपसीक चीन की एक एआईकंपनी है। यह अपने एआई चैटबॉट के चलते इन दिनों सुर्खियों में है। डीपसीक की स्थापना जुलाई 2023 में हुई है। इसके संस्थापक लिआंग वेनफेंग हैं। यह मॉडल गणित कोडिंग और जनरल नॉलेज से जुड़े कामों का बेहद कारगर है। डीपसीक के आर1 को चैटजीपीटी से बेहतर बताया जा रहा है जो महंगे हार्डवेयर पर निर्भर नहीं है।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दुनिया में चीन के एक स्टार्टअप डीपसीक की चर्चा इसके लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) वी3 और आर1 हैं, जो चैटबॉट के जरिये अपने ग्राहकों को सेवा देते हैं। डीपसीक के इन दोनों एलएलएम को गुणवत्ता और लागत के मामले में अमेरिकी कंपनियों- ओपनएआईके चैटजीपीटी, माइक्रोसॉफ्ट के कोपायलट, मेटा के लिआमा व गूगल जैमिनी से भी बेहतर बताया जा रहा है। इससे अमेरिका की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के भारी-भरकम खर्च पर बहस शुरू हो गई है।
क्या है डीपसीक
डीपसीक चीन की एक एआईकंपनी है। यह चीन के दक्षिण पूर्वी शहर हांगचो में स्थित है। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफार्म सेंसर टावर के मुताबिक, डीपसीक की स्थापना जुलाई 2023 में हुई है। इसके संस्थापक लिआंग वेनफेंग हैं जिन्होंने हेज फंड के जरिये पैसा जुटाकर डीपसीक की शुरुआत की है। वेनफेंग एक इन्फार्मेशन एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं।
क्या हैं वी3 और आर1वी3 और आर1
डीपसीक के एलएलएम मॉडल हैं। वी3 को दिसंबर 2024 और आर1 को 10 जनवरी को लॉन्च किया गया है। इन दिनों आर1 की चर्चा कम लागत और दक्षता के कारण हो रही है। डीपसीक का कहना है कि उसने आर1 को तैयार और प्रशिक्षित करने में केवल 60 लाख डॉलर करीब 52 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है। जबकि ओपनएआई, माइक्रोसाफ्ट, मेटा या अन्य कंपनियों ने अपने चैटबॉट तैयार करने में अरबों डॉलर खर्च किए हैं।
डीपसीक के चैटबॉट की खास बातें
- इसकी गुणवत्ता काफी बेहतर और लागत काफी कम है।
- यह मॉडल गणित, कोडिंग और जनरल नॉलेज से जुड़े कामों का बेहद कारगर है।
- यह 90-95 प्रतिशत ज्यादा किफायती है और महंगे हार्डवेयर की जरूरत कम होती है।
- विभिन्न समस्याओं और कार्यों को पूरा करने में इसका स्कोर 92 प्रतिशत रहा है, जबकि चैटजीपीटी-4 का स्कोर 78 प्रतिशत है।
- इसको एनवीडिया की एच800 चिप का इस्तेमाल करके बनाया गया है जो मध्यम रेंज की चिप है।
- डीपसीक का एआईऐप उसकी वेबसाइट और ऐपल स्टोर पर उपलब्ध है।
- यह सेवा मुफ्त है और ऐपल के स्टोर पर सबसे तेजी से डाउनलोड होने वाला ऐप बन गया है।
- यह अमेरिका में ऐपल स्टोर पर टॉप-रेटेड फ्री ऐप भी बन गया है।
ओपनएआईके लिए खतरा क्यों?
ओपनएआई ने महंगे हार्डवेयर का इस्तेमाल करने अपना एआईमॉडल चैटजीपीटी बनाया है, जबकि डीपसीक महंगे हार्डवेयर पर निर्भर नहीं है। डीपसीक के आर1 को चैटजीपीटी से बेहतर बताया जा रहा है। ओपनएआई में चार हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। जबकि डीपसीक ने केवल 200 कर्मचारियों की टीम से तकनीक की दुनिया में हलचल मचाने वाले उत्पाद तैयार किया है। डीपसीक का आर1 आने के बाद ओपनएआई ने 01 मॉडल लॉन्च किया है। डीपसीक के चैटबॉट सभी के लिए उपलब्ध है, जबकि ओपनएआईका 01 मॉडल अभी सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
ओपनएआई से काफी कम है शुल्क
ओपनएआई का 01 मॉडल इस्तेमाल करने का शुल्क 15 डॉलर प्रति 10 लाख इनपुट टोकन है। वहीं, डीपसीक के आर1 का शुल्क केवल 0.55 डॉलर प्रति 10 लाख इनपुट टोकन है। किसी भी एलएलएम को अपनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए शब्दों, अक्षरों के सेट, विराम चिह्न, वाक्य आदि की आवश्यकता होती है। जब हम किसी एलएलएम से लिखित में कुछ पूछते हैं तो वह हमारे लिखे हुए को छोटी-छोटी इकाइयों में बांट देते हैं। इनको टोकन कहा जाता है।
क्यों गिर रहे एनवीडिया के शेयर
एनवीडिया दुनिया की सबसे बड़ी एआईचिप निर्माता है। डीपसीक ने अपना एआईमॉडल काफी सस्ती चिप का इस्तेमाल करके बनाया है। इससे दुनिया में महंगी चिप की मांग में कमी आने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा डीपसीक ने एनवीडिया की मुख्य प्रतिद्वंदी एएमडी से हाथ मिलाया है।
इससे डीपसीक को और ताकतवर व दक्षता वाला एआई मॉडल बनाने में मदद मिल सकती है। डीपसीक के आर1 के लांच होने के बाद एनवीडिया के शेयरों में लगातार गिरावट हो रही है और कंपनी के बाजार पूंजीकरण में करीब 600 अरब डॉलर की गिरावट आ गई है।
बिजली सेक्टर के शेयरों पर असर क्यों
एआई मॉडल्स को सही तरीके से काम करने के लिए बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत पड़ती है। एक आंकड़े के अनुसार, चैटजीपीटी एक सर्च रिक्वेस्ट के लिए गूगल सर्च के मुकाबले करीब 10 गुना ज्यादा बिजली की खपत करता है। आज के समय में डाटा सेंटर बिजली के बड़े ग्राहक हैं और उन्हें 24 घंटे, सातों दिन बिजली की जरूरत होती है।
गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दुनियाभर में कुल बिजली खपत में डाटा सेंटर की 1-3 प्रतिशत हिस्सेदारी है जिसके 2030 तक 3-4 प्रतिशत होने की उम्मीद है। इस कारण निवेशक बिजली क्षेत्र पर दांव लगा रहे थे। डीपसीक का एआईमॉडल अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले काफी कम बिजली खपत करता है। ऐसे भविष्य में डाटा सेंटर के लिए अनुमानित बिजली खपत कम हो सकती है। इससे भारत समेत दुनियाभर में बिजली क्षेत्र के शेयरों में गिरावट हो रही है।
चीन से जुड़े सवालों पर नहीं दे रहा सीधे उत्तर
एआई उद्योग पर डीपसीक के चैटबॉट का अंतिम प्रभाव अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह चीन से जुड़े संवेदनशील विषयों पर सवालों के सीधे उत्तर नहीं दे रहा है। यह चीन के इंटरनेट पर आम तौर पर देखा जाने वाला अभ्यास है। 2023 में चीन ने नियम जारी किए थे जिसमें कंपनियों को अपने उत्पादों को सार्वजनिक रूप से लॉन्च करने से पहले सुरक्षा समीक्षा करने और अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता थी।
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