ChatGPT में जल्द देखने को मिल सकते हैं ads, बढ़ता खर्च हो सकती है वजह
ChatGPT फिलहाल क्लीन इंटरफेस के साथ आता है। लेकिन, संभव है कि ये क्लीन इंटरफेस ज्यादा समय तक दिखाई न दे। एक रिपोर्ट से पता चला है कि OpenAI चुपचाप एड ...और पढ़ें
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ChatGPT में जल्द ads देखने को मिल सकते हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। अभी तक ChatGPT ज्यादातर इंटरनेट प्लेटफॉर्म से अलग रहा है क्योंकि ये काफी हद तक ऐड-फ्री एक्सपीरिएंस ऑफर करता है। लेकिन, संभव है कि क्लीन इंटरफेस हमेशा न दिखाई दे। नई रिपोर्ट्स बताती हैं कि OpenAI चुपचाप एडवरटाइजिंग के लिए तैयारी कर रहा है, जिससे ये संकेत मिलता है कि भविष्य में AI-जेनरेटेड जवाबों के अंदर या आसपास ऐड दिखने शुरू हो सकते हैं। द इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, OpenAI ने ऐड फॉर्मेट और संभावित पार्टनरशिप के बारे में अंदरूनी बातचीत शुरू कर दी है। हालांकि अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन ये बातचीत सोच में एक साफ बदलाव का संकेत देती हैं। एडवरटाइजिंग अब सिर्फ एक दूर का आइडिया नहीं है, इसे सब्सक्रिप्शन और एंटरप्राइज डील के साथ-साथ एक गंभीर रेवेन्यू ऑप्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
इन शुरुआती डिस्कशन का सबसे दिलचस्प हिस्सा ये है कि विज्ञापन कहां दिखाई देंगे। ट्रेडिशनल बैनर या पॉप-अप के बजाय, विज्ञापनों को ChatGPT के जवाबों में जोड़ा जा सकता है या उनके साथ रखा जा सकता है। इससे ब्रांड्स उन यूजर्स तक ठीक उसी समय पहुंच पाएंगे जब वे आंसर, रिकमेंडेशन या एक्सप्लेनेशन सर्च कर रहे होंगे, ये एक ऐसा मोमेंट होता है जिसे एडवर्टाइजर्स काफी वैल्यू देते हैं।
अगर इस तरीके को लागू किया जाता है, तो OpenAI सीधे Google और Meta जैसे डिजिटल एडवरटाइजिंग दिग्गजों के साथ मुकाबले में आ जाएगा। सर्च इंजन या सोशल फीड के उलट, AI चैटबॉट रियल टाइम में पर्सनलाइज्ड, कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से जवाब देते हैं। इस माहौल में रखे गए विज्ञापन ज्यादा रेलेवेंट लग सकते हैं, लेकिन वे ट्रस्ट और न्यूट्रैलिटी के बारे में भी संवेदनशील सवाल भी उठाते हैं।
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ऐसा लग रहा है कि OpenAI इन जोखिमों से अच्छी तरह वाकिफ है। मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी सावधानी से आगे बढ़ रही है और यूजर एक्सपीरिएंस की सुरक्षा पर उसका पूरा ध्यान है। जो भी ऐड फॉर्मेट आखिरकार लॉन्च किए जाएंगे, उनके बारे में उम्मीद है कि उन्हें सख्ती से कंट्रोल किया जाएगा और साफ तौर पर लेबल किया जाएगा। एग्रेसिव प्रमोशन करने की जगह, मकसद शायद विज्ञापनों को हेल्पफुल सजेशन्स के तौर पर पेश करना होगा जो बातचीत में नैचुरल तरीके से फिट हों।
इस बदलाव के पीछे फाइनेंश भी एक बड़ी वजह है। बड़े AI मॉडल चलाना महंगा है और दुनिया भर में इस्तेमाल बढ़ने के साथ लागत भी बढ़ती जा रही है। वैसे पेड प्लान और एंटरप्राइज कॉन्ट्रैक्ट से रेवेन्यू आता है, एडवरटाइजिंग से इनकम का एक बहुत बड़ा जरिया खुल सकता है, खासकर अगर ChatGPT कई यूजर्स के लिए ट्रेडिशनल सर्च की जगह लेना जारी रखता है।
साथ ही, OpenAI इस बदलाव में जल्दबाजी नहीं कर रहा है। रिपोर्ट बताती है कि एडवरटाइजिंग अभी भी प्लानिंग फेज में है, अभी पब्लिक टेस्टिंग के लिए तैयार नहीं है। कंपनी उन यूजर्स की नाराजगी से बचना चाहती है जो ChatGPT के सीधे-सादे, बिना किसी रुकावट वाले डिज़ाइन को पसंद करते हैं।
सबसे ज़्यादा मायने यह रखेगा कि इन विज्ञापनों को कैसे और कब पेश किया जाता है। साफ लेबलिंग, पारदर्शिता और यूजर कंट्रोल इस बात में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं कि लोग AI बातचीत में विज्ञापनों को स्वीकार करते हैं या नहीं। दूसरी ओर, खराब तरीके से लागू करने से प्लेटफॉर्म पर भरोसा कम हो सकता है। अभी के लिए, ChatGPT ऐड-फ्री है। लेकिन दिशा साफ़ होती जा रही है। OpenAI शायद कल ऐड लॉन्च न करे, लेकिन नींव रखी जा रही है और जब वे आएंगे, तो वे न सिर्फ़ ChatGPT को, बल्कि AI के ज़माने में डिजिटल एडवरटाइजिंग कैसे काम करती है, उसे भी बदल सकते हैं।

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