Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉ. गुडएनफ के एक आविष्कार से संभव हो पाया स्मार्टफोन और बैटरी वाली कार चलाना

    By Subhash GariyaEdited By: Subhash Gariya
    Updated: Tue, 27 Jun 2023 03:45 PM (IST)

    लिथियम आयन बैटरी के जनक डॉ. गुडएनफ अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीते रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। वे करीब 100 वर्ष के थे। उनके बैटरी डिजाइन के कारण ही रिचार्जेबल बैटरियां हम सभी इस्तेमाल कर पा रहे हैं। अगर उन्होंने लिथियम आयन बैटरी की खोज न की होती शायद ही हम स्मार्टफोन या बैटरी वाली कार यूज न कर पा रहे होते।

    Hero Image
    Lithium-Ion battery inventor and Nobel prize winner Dr Goodenough dies at the age of 100.

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। स्मार्टफोन पर हम सभी की निर्भरता इतनी बढ़ गई हैं कि बिना इसके एक दिन की भी कल्पना करना मुश्किल है। क्या आप जानते हैं कि अगर नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन बी गुडएनफ ने रिचार्जेबल बैटरी का आविष्कार न किया होता शायद स्मार्टफोन संभव न होता। लिथियम-आयन बैटरी से ही स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट और दूसरे डिवाइसेस के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को पावर मिलती है। बता दें कि डॉ. गुडएनफ ने बीते रविवार को टेक्सास में अंतिम सांस ली। उनकी उम्र 100 वर्ष थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जॉन बी गुडएनफ के आविष्कार

    साल 1980 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में काम करने के दौरान डॉ. गुडएनफ ने लिथियम-कोबाल्ट-ऑक्साइड कैथोड वाली बैटरी का आविष्कार कर बड़ी सफलता हासिल की थी। उन्होंने ब्रिटिश कैमिस्ट डॉ. व्हिटिंगम के द्वारा विकसित बैटरी के डिजाइन में सुधार किया था।

    ये डॉ. गुडएनफ की खोज का नतीजा है कि आज हमारे पास हायर एनर्जी कैपेसिटी और सुरक्षित लिथियम-आयन बैटरियां हैं, जो वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को पावर दे रही हैं।

    टेक्नोलॉजी जगत में क्रांति

    विशेषज्ञों की माने तो डॉ. गुडएनफ के आविष्कार ने टेक्नोलॉजी जगत में क्रांति ला दी थी। इसके लिए उन्होंने कभी रॉयल्टी नहीं मिली। रिपोर्ट्स की माने तो, ऑक्सफोर्ड ने उनके बैटरी डिजाइन को पेटेंट करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद डॉ. गुडएनफ को इसके राइट ब्रिटिश ऑटोमिक एनर्जी रिसर्च ऑर्गनाइजेशन को सौंप दिए।

    पहली सुरक्षित रिचार्जेबल बैटरी

    लिथियम-आयन बैटरियों की क्षमता को सबसे पहले जापान और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने पहचाना। उन्होंने पाया कि ग्रेफाइटिक कार्बन के साथ लिथियम की परत लगाने से बैटरी के एनोड में काफी सुधार हुआ, जिससे बैटरी की परफॉर्मेंस में सुधार होने के साथ यह पहले से अधिक सुरक्षित हो गई।

    साल 1991 में, जापान की कंपनी 'सोनी' ने डॉ. गुडएनफ के कैथोड और कार्बन एनोड को मिलाकर दुनिया की पहली सुरक्षित रिचार्जेबल लिथियम-आयन बैटरी का उत्पादन किया। यह बाजार में उतारने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित थी।

    नोबेल जीतने वाले सबसे उम्रदराज

    डॉ. गुडएनफ को साल 2019 में बैटरी डिजाइन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार जीतने वाले वह सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक थे। उन्हें यह पुरस्कार बैटरी टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने वाले दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था।