कैसे काम करता है GPS, ऐसे मिलती है सटीक लोकेशन और सही समय की जानकारी
GPS का इस्तेमाल हम अपने स्मार्टफोन में कैब बुक करने से लेकर लोकेशन ट्रैक करने में करते हैं। क्या आप जानते हैं कि जीपीएस की शुरुआत कैसे हुई थी? क्या आपको पता है सबसे पहले जीपीएस का इस्तेमाल कब किया गया था। (फोटो-जागरण)

नई दिल्ली, टेक डेस्क। आज से पुराने जमाने में जब किसी को रास्ता ढूंढ़ना या एक जगह से दूसरी जगह जाना होता था तो वे अलग तरीके का इस्तेमाल करते थे। उस जमाने में लोग कम्पास, स्टिक चार्ट और दीवारों पर निशान का इस्तेमाल किया करते थे।
जब रास्ते से गुजरते थे तो वो अपना निशान छोड़ कर आगे बढ़ते थे, ताकि वो वापस रास्ता न भूल जाएं। टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे विकसित होती गई, वैसे-वैसे कई नए अविष्कार हुए। आज हम आपको GPS यानी Global Positioning System के बारे में पूरी डिटेल बताते हैं।
क्या है जीपीएस ?
जीपीएस को Global Positioning System के नाम से भी जाना जाता है। GPS आपको एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचने में मदद करता है। जीपीएस का इस्तेमाल हम लोकेशन पता करने में करते हैं। GPS तीन कम्पोनेंट से मिल कर बना होता है, जिसमें GPS Ground Control Station , GPS Satellite और GPS Receiver शामिल है।
GPS कम से कम 24 उपग्रहों से बना है, जीपीएस सभी प्रकार के मौसम में लगातार 24 घंटे काम करता है। 1960 में अमेरिका की सेना द्वारा जीपीएस टेक्नोलॉजी का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।
GPS का इतिहास
GPS (Global Positioning System) की शुरुआत U.S Department of Defence के द्वारा 1973 में की गई थी। पहला सेटेलाइट साल 1978 में हुआ था। आम नागरिकों के लिए GPS का इस्तेमाल 1983 करीबन में चालू किया गया था।
इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल U.S military को दुश्मनों के जहाज, वायुयानों और अन्य सैन्य उपकरणों की लोकेशन की सटीक जानकारी ट्रैक करने के लिए किया जाता था। उस वक्त इसमें कुछ पाबंदियां थी, जिन्हें वर्ष 2000 में हटा दिया गया। तभी से आज तक जीपीएस का इस्तेमाल हर कोई करता है। जीपीएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 1978 से लेकर अब तक 72 सैटेलाइट लांच कर चुका है।
कैसे काम करता है GPS
जीपीएस सिस्टम 24 उपग्रह की मदद से काम करता है। यह सभी उपग्रह पृथ्वी की सतह से 12,000 मील की दुरी पर अंतरिक्ष में उपस्तिथ है। यह सभी उपग्रह 12 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगाते है, इनकी स्पीड बहुत तेज होती है। GPS सिस्टम तीन स्टैंडर्ड सेगमेंट प्रणाली पर काम करता है, जिसमे स्पेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेंट और यूजर सेगमेंट है।
जब भी हम अपने फोन से कोई लोकेशन सर्च करते है, तो सबसे पहले सैटेलाइट सिग्नल पृथ्वी पर आते है, इसके बाद ये सिग्नल रिसीवर को मिलते है, रिसीवर इन सिग्नल की दूरी और समय के हिसाब से देखता है। इन सारे प्रोसेस के बाद जो जानकारी आपने जीपीएस की मदद से सर्च की है, वो आपके पास आती है।
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