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    हर घर में होगा स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम, अब GPS की नहीं पड़ेगी जरूरत, यहां जानें कैसे

    By Ankita PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 08:27 PM (IST)

    भारत सरकार ने पॉजीशन एक्यूरेसी के मामले में NavIC को GPS जितना ही बेहतर बताया है। वहीं 2021 की सैटेलाइट नेविगेशन नीति में बताया गया कि सरकार दुनिया के किसी भी कोने में NavIC सिग्नल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कवरेज को बढ़ाने की दिशा में काम करेगी।

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    NavIC क्या है और क्यों है भारत के लिए जरूरी

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। नरेंद्र मोदी सरकार अगले साल से देश में बिकने वाले सभी नए डिवाइसेज में 'मेड इन इंडिया' नेविगेशन सिस्टम लाने पर जोर दे रही है। इसे हम NavIC के नाम से जानते हैं। इसको भारत में प्रचलित ग्लोबल पोजिशनिंग सर्विस (GPS) नेविगेशन सिस्टम के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। स्मार्टफोन निर्माताओं को इससे बड़ा झटका लगा है क्योंकि उपकरणों में मौजूदा चिपसेट जीपीएस और रूसी सिस्टम ग्लोनास के लिए उपयुक्त फ्रिक्वेंसी बैंड्स को सपोर्ट करने के लिए ट्यून किए गए हैं।

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    कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि केंद्र ने स्मार्टफोन निर्माताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि उनके प्रोडक्ट्स कुछ महीनों के भीतर NavIC के कंपेटिबल हो जाए। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण देते हुए एक ट्वीट किया है।

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    केंद्र का कहना है कि NavIC विदेशी नेविगेशन सिस्टम पर निर्भरता खत्म करेगा। यह नेविगेशन सिस्टम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' विजन के तहत आता है।आइये इस स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम के बारे में विस्तार से जानते हैं।

    NavIC की खासियत 

    Navigation with Indian Constellation (NavIC) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित एक स्वतंत्र स्टैंडअलोन नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। यह 2006 में 174 मिलियन डॉलर (1,426 करोड़ रुपये) की लागत से स्वीकृत किया गया था और 2011 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी। बता दें कि इसे 2018 में चालू कर दिया गया था।

    NavIC में आठ सैटेलाइट शामिल हैं, जो पूरे भारत के भूभाग को कवर करते हैं, जिसकी सीमाओं से 1,500 किलोमीटर तक हैं। हालांकि अभी इसका उपयोग सीमित है क्योंकि यह सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग, समुद्र में जाने वाले मछुआरों को आपातकालीन चेतावनी अलर्ट और प्राकृतिक आपदाओं पर नज़र रखने और जानकारी देने में मदद करता है।

    NavIC और GPS के बीच अंतर केवल इतना अंतर है कि GPS दुनिया भर के यूजर्स द्वारा इस्तेमाल होता है और इसके सैटेलाइट दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं। दूसरी ओर, NavIC वर्तमान में भारत और आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।

    केंद्र ने बताया पॉजीशन एक्यूरेसी के मामले में NavIC GPS जितना ही अच्छा है। इसके अलावा सरकार NavIC सिग्नल की दुनिया के किसी भी कोने में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कवरेज का विस्तार करने पर काम करेगी।

    बता दें कि भारत सरकार ने नेविगेशन आवश्यकताओं के लिए विदेशी सैटेलाइट सिस्टम पर निर्भरता को दूर करने के लिए NavIC की कल्पना की गई थी।

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    रॉयटर्स से जानकारी मिली है कि सैमसंग, शाओमी और ऐपल जैसे टेक दिग्गजों को बढ़ी हुई लागत और व्यवधानों का डर है, क्योंकि इस कदम से उनको अपने डिवाइसेज के हार्डवेयर में बदलाव करना पड़ सकता है।

    अगस्त और सितंबर में निजी बैठकों के दौरान, इन कंपनियो ने अपनी चिंताओं का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि NavIC के अनुरूप स्मार्टफोन बनाने का मतलब है कि उनको हाई रिसर्च और प्रोडक्शन कॉस्ट लगाना होगा।

    रिपोर्ट की मानें को स्मार्टफोन प्लेयर्स ने बदलावों को लागू करने के लिए 2025 तक का समय मांगा है। हालांकि केंद्र ने अब तक इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है और सभी स्टॉकहोल्डर के साथ चर्चा चल रही है।

    मीडिया रिपोर्ट से पता चला है किअभी केवल कुछ चिपसेट है, जो NavIC तकनीक का समर्थन करते हैं. इनमें स्नैपड्रैगन मोबाइल प्लेटफॉर्म 720G, 662, और 460 शामिल हैं।