Move to Jagran APP

अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत पढ़ें इसरो द्वारा बनाए गए देसी जीपीएस नेविगेशन सिस्टम 'नाविक' के बारे में...

किसी देश के लिए अपना जीपीएस होना एक बड़ी बात होता है। भारत आज इस मामले में आत्मनिर्भर है। देश के पास अपना खुद का जीपीएस नाविक है। अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत पढ़ें इसरो द्वारा बनाए गए देसी जीपीएस नाविक के बारे में...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 05:14 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 05:14 PM (IST)
अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत पढ़ें इसरो द्वारा बनाए गए देसी जीपीएस नेविगेशन सिस्टम 'नाविक' के बारे में...
IRNSS Programme: देसी जीपीएस नाविक के बारे में...

नई दिल्‍ली, संतोष आनंद। कारगिल युद्ध के दौरान भारत के पास अपना ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) नहीं था। अमेरिकी सरकार द्वारा बनाया गया अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सिस्टम महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। मगर कारगिल युद्ध के दौरान भारत को जीपीएस के मामले में अमेरिका से मदद नहीं मिली। उस समय स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की गई। इसके बाद इसरो के सातवें नेविगेशन सैटेलाइट आइआरएनएसएस-1जी की कामयाबी के बाद भारत के पास अब खुद का जीपीएस नेविगेशन सिस्टम 'नाविक' है। अब जीपीएस के मामले में भारत को किसी अन्य देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। अमेरिका, रूस और चीन और यूरोपियन यूनियन के बाद भारत वह देश है, जिसके पास अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम है।

loksabha election banner

भारत का देसी जीपीएस यानी नाविक सात सैटेलाइट वाला एक रीजनल नेविगेशन सिस्टम है, जिसे इसरो द्वारा विकसित किया गया है। इस सैटेलाइट समूह की मदद से भारत अपने अंतरिक्ष से भारत और इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर के दायरे में स्थित देशों में पोजिशनिंग सर्विस मुहैया कराने में सक्षम है। आने वाले समय में आप गूगल मैप्स की जगह अपने स्मार्टफोन पर नाविक का उपयोग भी कर पाएंगे। यह जीपीएस से भी ज्यादा सटीकता से काम करेगा और हमें ज्यादा सहीं जानकारी देगा। इसरो का दावा है कि यह सिस्टम प्राइमरी सर्विस एरिया में 20 मीटर तक सही जानकारी देता है। नाविक सिस्टम काफी हद तक अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनएस, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बीडोऊ की तरह ही है। इस सिस्टम का इस्तेमाल नौसेना के नेविगेशन, आपदा प्रबंधन, गाड़ियों की ट्रैकिंग, मोबाइल फोन के इंटीग्रेशन, मैप और जियोग्राफिकल डाटा, विजुअल और वायस नेविगेशन के लिए किया जाएगा। सेना को नये नेविगेशन सिस्टम से बड़ा फायदा मिलने वाला है। सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने देश तक ही सीमित रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.