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Google Doodle: ‘www’ की 30वीं सालगिरह बना खास, जानें कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत?

Google Doodle हम जिस इंटरनेट की क्रांति की बात कर रहे हैं इसकी बीज आज से 30 साल पहले 12 मार्च 1989 में टिम बर्नर ली ने डाली थी

By Harshit HarshEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 04:44 PM (IST)
Google Doodle: ‘www’ की 30वीं सालगिरह बना खास, जानें कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत?
Google Doodle: ‘www’ की 30वीं सालगिरह बना खास, जानें कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत?

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। जब भी हमें इंटरनेट पर कोई वेबसाइट ओपन करना होता है तो उसके लिंक को हम ‘www’ टाइप करके ही ओपन कर पाते हैं। क्या आप जानते हैं कि ‘www’ यानी कि वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) की शुरुआत आज से ठीक 30 साल पहले हुई थी? हम जिस इंटरनेट की क्रांति की बात कर रहे हैं इसकी बीज आज से 30 साल पहले 12 मार्च 1989 में टिम बर्नर्स ली ने डाली थी। दुनिया की जानी मानी टेक्नोलॉजी कंपनी Google ने इस खास मौके पर अपना चिर परिचित Doodle बनाया है। इस Doodle में आपको तीसरे अल्फाबेट की जगह कम्प्यूटर दिखाई देगा। इसको दूसरे अल्फाबेट से एक LAN (लैन) केबल के जरिए कनेक्ट किया गया है।

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संचार तंत्र के आधुनिक युग की शुरुआत आज ही के दिन हुई थी। गूगल के इस खास 'वर्ल्ड वाइड वेब' Doodle को एनिमेशन के जरिए दर्शाया गया है। www किसी भी वेबसाइट में प्रदर्शित होने वाले अलग-अलग रीसोर्सेज और डॉक्यूमेंट्स का ग्रुप होता है, जो आपस में जुड़कर वेबसाइट बनाते हैं। इसकी खोज करने का श्रेय वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली को दिया जाता है। Google के इस खास Doodle में टिम बर्नर्स ली के योगदान को भी दर्शाया गया है।

पूरी दुनिया को इंटरनेट से रू-ब-रू कराने वाले टिम बर्नर्स ली का जन्म और शुरुआती पढ़ाई इंग्लैंड में हुई। पढ़ाई की शुरुआत में ही उनका लगाव इस क्षेत्र में हो गया। उन्होंने अपनी पढ़ाई क्वींस कॉलेज और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से 1976 में पूरी की। उन्हें तकनीक के साथ-साथ गणित की भी अच्छी जानकारी थी। उनके माता-पिता ने उनका हमेशा से समर्थन किया। जेनेवा स्थित यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (CERN) में काम करने के दौरान टिम ने इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब तैयार किया। सबसे पहले इसका प्रयोग 1989 में टिम बर्नर ली की सर्न लैब में ही किया गया था।

ऐसे हुई 'www' की शुरुआत

टिम ने 1980 के दशक से ही इस दिशा में कदम बढ़ाए थे। सर्न लैब में 1984 के दौरान टिम को एक फेलो के तौर पर काम करने का मौका मिला। इस लैब में कई तरह के ढेर सारे कंप्यूटर्स थे, जिनपर अलग-अलग फॉरमैट में डाटा स्टोर किया जाता था। टिम का काम इस लैब में डाटा को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक पहुंचाना था। टिम के दिमाग में तभी यह आया कि क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है, जिससे सारे डाटा को एक साथ पिरोया जा सके। इसके हल के तौर पर ही वर्ल्ड वाइड वेब (www) की शुरुआत हुई।

वर्ल्ड वाइड वेब के राइट्स पहले सर्न लैब के पास था जिसे 1992 में सार्वजनिक कर दिया गया। 1993 से इसका एक्सेस पूरी दुनिया को मिल गया। इंटरनेट पर मौजूद किसी भी फाइल का एक्सेस वर्ल्ड वाइड वेब के जरिए ही संभव है।

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