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वायरलेस चार्जर की वजह से कहीं खराब तो नहीं हो रही आपके स्मार्टफोन की बैटरी?

कई साल पहले वायरलेस चार्जिंग फीचर आने के बाद भी यह यूजर्स के दिलों में अपनी जगह नहीं बना पाई है

By Harshit HarshEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 11:55 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 11:57 AM (IST)
वायरलेस चार्जर की वजह से कहीं खराब तो नहीं हो रही आपके स्मार्टफोन की बैटरी?
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। वायरलेस चार्जर फीचर का इस्तेमाल सैमसंग, एप्पल समेत कई कंपनियां अपने प्रीमियम स्मार्टफोन में कर रही हैं। इस फीचर की कई खामियां अभी तक सामने निकल कर नहीं आई हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वायरलेस चार्जिंग की सबसे बड़ी खामी यह है कि इससे बैटरी चार्ज करने में काफी समय लगता है। कई प्रीमियम स्मार्टफोन में इस फीचर के होने के वावजूद यह यूजर्स को आकर्षित नहीं कर पा रहा है।
 
शुरुआत में इस फीचर के बारे में यूजर्स में काफी क्रेज देखा गया था। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कुछ जानकारों का मानना है कि वायरलेस चार्जर की वजह से बैटरी की लाइफ कम हो जाती है। वायरलेस चार्जिंग से चार्ज किए गए फोन की बैटरी ज्यादा नहीं टिकती है। लेकिन अभी तक इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि वायरलेस चार्जर से बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है। आइए जानते हैं वायरलेस चार्जर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
 
इस तरह करता है काम:
 
आपको बता दें कि सभी स्मार्टफोन में लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें दो इलेक्ट्रोड- एनोड और कैथोड होते हैं। जब इन दोनों इलेक्ट्रोड्स के बीच के इलेक्ट्रोलाइट में लिथियम आयन मूव होते हैं तो बैटरी चार्ज या डिस्चार्ज होती है। जब आप अपना फोन चार्ज करते हैं तो ये आयन पॉजिटिव से निगेटिव इलेक्ट्रोड यानी कि एनोड से कैथोड की तरफ मूव करते हैं। जब बैटरी डिस्चार्ज होती हो तो यही आयन निगेटिव से पॉजिटिव इलेक्ट्रोड की तरफ मूव करते हैं। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रिकल एनर्जी, कैमिकल एनर्जी में बदल जाती है।
 
बैटरी में तय होती है अपर और लोअर लिमिट:
 
बैटरी मेन्युफैक्चरर्स ये तय करते हैं कि बैटरी में एनर्जी स्टोर करने के लिए कितना अपर और लोअर कट वोल्टेज मिलना चाहिए। वायरलेस चार्जर से या फिर वायर्ड चार्जर से अगर फोन की बैटरी चार्ज करते हैं तो अपर और लोअर कट वोल्टेज में कोई बदलाव नहीं होता है। यानी कि ये अपर या लोअर लिमिट चार्जिंग सोर्स में अंतर नहीं करते हैं। इसका मतलब यह है कि आप यह तय नहीं कर सकते हैं कि फोन कब ओवरचार्ज होगा और कब ओवर डिस्चार्ज होगा।
 
इसके बावजूद भी वायरलेस चार्जर यूजर्स नहीं पसंद कर रहे हैं। इसके पीछे कई अलग कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण के बारे में
 
बिना वायर के पावर सप्लाई नामुमकिन:
 
अभी हाल में लॉन्च हुए वनप्लस 6 के साथ भी वायरलेस चार्जर नहीं दिया गया है। सैमसंग और नोकिया ने वायरलेस चार्जर के साथ कई डिवाइस बाजार में उतारी हैं लेकिन इनके चार्जर में वायर लगे थे। कंपनी ने काफी हद तक वायर कम करने की कोशिश की, लेकिन वायरलेस चार्जर के अडेप्टर में बिना वायर के पावर सप्लाई नामुमकिन है। एप्पल के एयर पावर में भी 2.5 वोल्ट से लेकर 3 वोल्ट का अडेप्टर लगा है, जिसे वायर से कनेक्ट किया जाता है।
 
फास्ट चार्जिंग नहीं करता सपोर्ट:
 
आपको बता दें कि वायरलेस चार्जर फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट नहीं करता है। फास्ट चार्जिंग के लिए ग्राहकों को वायर्ड चार्जर का ही इस्तेमाल करना पड़ता है। यही कारण है कि ग्राहकों का रूझान वायरलेस चार्जर की तरफ कम रहा है। वनप्लस, मोटोरोला और हॉनर फास्ट वायर्ड चार्जिंग ऑप्शन में उपलब्ध हैं जबकि फास्ट चार्जिंग सुविधा वाला वायरलेस चार्जर बाजार में उपलब्ध नहीं है।
 
वायर्ड चार्जर के मुकाबले कई गुना ज्यादा कीमत:
 
वायरलेस चार्जर को ग्राहकों द्वारा नकारे जाने का सबसे बड़ा कारण इसकी कीमत है। वायरलेस चार्जर की कीमत, वायर्ड चार्जर से कई गुना ज्यादा होती है। वायरलेस चार्जर की कीमत करीब 4,000 रुपये से शुरू होती है, जबकि वायर्ड चार्जर इसके मुकाबले कहीं सस्ते में उपलब्ध हैं।

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