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    ChatGPT: उत्सुकताएं और आशंकाएं दोनों बरकरार, क्या होगा इसका भविष्य

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth Priyadarshi
    Updated: Mon, 30 Jan 2023 08:21 AM (IST)

    इंसानों की तरह लिखने और सवालों के उत्तर देने में सक्षम चैटजीपीटी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। ओपेनएआइ के इस व्यापक लैंग्वेज माडल ने आखिर क्यों गूगल जैसी कंपनियों को भी नये सिरे से सोचने के लिए विवश कर दिया है आइए जानते हैं...

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    ChatGPT OpenAI GPT What is ChatGPT, Know All Details

    ब्रह्मानंद मिश्र, नई दिल्ली। एक अनुमान के अनुसार 2018 से 2023 के बीच कंपनियों ने अपनी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) क्षमता को दोगुना कर दिया है। इन प्रयासों और इस दिशा में चलने वाले शोध की एक बेमिसाल परिणति है चैटजीपीटी।

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    ओपेनएआइ द्वारा विकसित चैटजीपीटी अब तक का सबसे एडवांस चैटबाट है। उसी के शब्दों में कहें, तो यह प्रश्नों का उत्तर देने, सूचना प्रदान करने और निर्णय लेने में मददगार टूल है। यूजर इनपुट को समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए चैटजीपीटी नेचुरल लैंग्वेज प्रासेसिंग का प्रयोग करता है। यह मशीनी दिमाग टेक्स्ट जेनरेट करने से लेकर तरह-तरह की ग्राहक सेवाओं जैसे कार्यों को आसानी से कर सकता है।

    रचनात्मक लेखन में मददगार

    रचनात्मक लेखन के बारे में सवाल पूछने पर चैटजीपीटी कहता है कि वह एक लैंग्वेज माडल के तौर पर किसी कहानी के लिए कुछ आइडिया सुझा सकता है, साथ ही किसी कहानी को विस्तार दे सकता है। पात्रों को रचने, कथानक तैयार करने, संवाद लिखने तथा भाषा को सुधारने में भी मदद कर सकता है। हालांकि, अपने जवाब के आखिर में चैटजीपीटी आगाह भी करता है कि रचनात्मक लेखन जैसे कार्य व्यक्ति के मौलिक सोच से जुड़े होते हैं यानी मशीनी दिमाग का सारा काम एक परिधि में ही होता है।

    वैश्विक कंपनियां कैसे कर रही हैं प्रयोग

    चैटजीपीटी का प्रयोग कंटेंट जेनरेट करने और मार्केटिंग जैसे कार्यों के लिए हो रहा है। इससे किसी विषय पर कंटेंट तैयार, छोटे प्रारूप में संदेश भेजने और ब्लाग बनाने में मदद मिल सकती है। इससे बहुत तेजी से संवाद किया जा सकता है। खास बात है कि यह गलत और अप्रसांगिक प्रश्नों का जवाब देने से इनकार कर देता है। वैश्विक तकनीकी कंपनी माइक्रोसाफ्ट चैटजीपीटी में प्रयुक्त एआइ साफ्टवेयर का इस्तेमाल विभिन्न माइक्रोसाफ्ट उत्पादों, सर्च इंजन आदि में करने की योजना बना रहा है। इससे इंटरनेट पर जानकारी खोजने का तरीका बदल जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए गूगल भी अपने एआइ को दायरे को व्यापक बनाने की तैयारी में जुट गया है।

    बैंकों और वित्तीय सेवाओं में प्रयोग

    बेसिक कम्युनिकेशन और कस्टमर क्वैरी के लिए लगभग सभी बैंक अब चैटबोट का प्रयोग कर रहे हैं। आइसीआइआइ बैंक की वेबसाइट पर चैटबाट आइ-पाल और एचडीएफसी बैंक का इवा चैटबाट यूजर सेवाओं में मदद करता है। यहां यूजर जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। भविष्य में चैटजीपीटी के आटोमेटेड रिस्पांस सिस्टम को बैंक प्रशिक्षित कर उसे अपने सिस्टम में शामिल कर सकते हैं। इससे ग्राहक सेवाओं का तरीका बदल जायेगा। हालांकि, बैंकों को इस तरह का सिस्टम विकसित करने में अभी समय लगेगा।

    इन कार्यों में हो सकता है मददगार

    • -गणित के कठिन प्रश्नों को हल करने के लिए।
    • -प्रोग्रामिंग में कोड लिखने और उसे जांचने में।
    • -जटिल विषयों को आसान भाषा में समझाने में।
    • -रिज्यूमे और कवर लेटर लिखने में।
    • -किसी विषय पर निबंध तैयार करने में।
    • -ग्राहक सेवाओं में समस्याओं और शिकायतों के निदान में।

    क्या नौकरियों के लिए बन रहा है खतरा

    हालांकि इस सवाल के जवाब में खुद चैटजीपीटी कहता है कि मशीन इंटेलीजेंस से कुछ तरह की नौकरियां खत्म हो सकती हैं, लेकिन इस तकनीक से रोजगार के नये मौके भी बनेंगे। चूंकि मशीन इंटेलीजेंस का कार्य पुनरावृत्ति, अनुमान और डेटा पर आधारित होता है, ऐसे में आटोमेशन इस तरह कार्यों के लिए खतरा बन सकता है। हालांकि, रचनात्मक, मानव संपर्क और क्रिटिकल थिंकिंग वाली नौकरियों पर इस तरह के आटोमेशन का प्रभाव न्यूनतम ही रहेगा। मशीन इंटेलिजेंस का प्रयोग करके नयी-नयी तरह की नौकरियों का सृजन किया जा सकता है।

    खतरे भी हैं मशीनी दिमाग के

    चैटजीपीटी से भले ही बेशुमार फायदों की उम्मीद की जा रही हो, लेकिन इससे कुछ खतरे भी हैं। चूंकि यह इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों को एक्सेस करता है, ऐसे में इससे गलत और भ्रामक जानकारी भी मिल सकती है। दूसरा, इसका प्रयोग वित्तीय धोखाधड़ी, गोपनीयता में सेंध और डेटा चोरी में भी हो सकता है। विशेषज्ञ इसके प्रयोग से पहले सुरक्षा को लेकर आगाह कर रहे हैं। एआइ राइटिंग टूल्स का प्रयोग कर फिशिंग और स्कैमिंग की जा सकती है। ऐसे में इसे लेकर पहले से सचेत रहने की जरूरत है।

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