बुलंदी पर भारत का 'मोबाइल बाजार', दूसरों पर निर्भरता खत्म; प्रोडक्शन के साथ बढ़ा निर्यात
IT मिनिस्टर ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत को मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मेक इन इंडिया पहल की बड़ी भूमिका रही है। पिछला एक दशक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से भारत के लिए अच्छा रहा है। अब देश में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत फोन भारत में बनाए जाते हैं। IT मिनिस्टर ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की वैल्यू चेन पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चर करने वाला देश बन गया है। 2014 में इस क्षेत्र में सिर्फ दो फैक्ट्री थी, जो आज बढ़कर 300 से ज्यादा हो गई हैं। पिछले एक दशक में भारत को मोबाइल हब बनाने में 'मेक इन इंडिया' पहल की बड़ी भूमिका रही है। IT मंत्रालय के अनुसार, पिछले सालों में घरेलू प्रोडक्शन कई गुना बढ़ा है और दूसरे देशों पर निर्भरता कम हुई है। साथ ही इससे रोजगार के मौके भी बने हैं।
पिछले 10 साल में मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत को किन चीजों में कामयाबी हासिल हुई है। उसके बारे में भी आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने एक ओवरव्यू दिया है।
दूसरों पर निर्भरता हुई कम
- सरकार की मानें तो पिछला एक दशक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से भारत के लिए अच्छा रहा है।
- 2014-15 में भारत में बिकने वाले सिर्फ 26% मोबाइल फोन स्थानीय स्तर पर बनाए गए थे।
- अब नंबर गेम बदल गया है। चूंकि, 2024 में यह आंकड़ा 99.2% हो गया है।
- मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग वित्त वर्ष 2014 में 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 4,22,000 करोड़ रुपये हो गई है।
- भारत में हर साल 325 से 330 मिलियन मोबाइल फोन बनाए जाते हैं।
रोजगार के मौके भी बढ़े
भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने से लाखों रोजगार के मौके भी बने हैं। पिछले एक दशक में इससे करीब 12 लाख जॉब पैदा हुई हैं।
'मेक इन इंडिया' पहल की वजह से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को पंख मिले ही हैं, साथ में उन कंपनियों को भी इससे फायदा हुआ है, जो मोबाइल फोन से जुड़े छोटे-छोटे कॉन्पोनेंट्स बनाती हैं। चार्जर, बैटरी पैक, यूएसबी केबल बनाने वाली कंपनियों ने इस पहल का खूब लाभ उठाया है।
एडवांस कॉन्पोनेंट्स जैसे लिथियम-आयन सेल, स्पीकर, माइक्रोफोन, डिस्प्ले असेंबली और कैमरा मॉड्यूल भी इसमें शामिल हैं।
सेमीकंडक्टर्स पर सरकार का फोकस
IT मिनिस्टर ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की वैल्यू चेन पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसमें उन्होंने खासतौर पर सेमीकंडक्टर्स पर फोकस रखा। भारत सेमीकंडक्टर मिशन मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम को मजबूती देने के लिए पांच प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
- Micron
- Tata Electronics (दो प्रोजेक्ट)
- CG Power
- Keynes
इन प्रोजेक्ट का मकसद दुनियाभर में सेमीकंडक्टर के लिहाज से पहचान कायम करना है।
यह भी पढ़ें- 6000mAh बैटरी वाले सस्ते फोन; कीमत भी होगी बजट में फिट; आपके लिए कौन-सा बेस्ट?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।