Vastu Tips: घर में शू रैक को गलत दिशा में रखकर मुसीबत को न्योता तो नहीं दे रहे आप, जानिए किस दिशा में रखें
आजकल हर घर में शू रैक की जरूरत होती है लेकिन गलत दिशा में रखने से कई मुश्किलें आ सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार शू रैक को पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना शुभ होता है। इसे मेन गेट सीढ़ियों के नीचे किचन बेडरूम और मंदिर के पास रखने से बचना चाहिए। गंदे जूते-चप्पल रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज-कल हर किसी के पास कई जूते-चप्पल होते होती हैं। फॉर्मल ड्रेस के लिए लेदर के शूज, कैजुअल ड्रेस के लिए स्पोर्ट्स शूज, बाहर जाने के लिए चप्पल और सैंडल के अलावा नागरे और लोफर्स वगैरह-वगैरह।
घर में जितने सदस्य, उतनी ही ज्यादा संख्या में जूते-चप्पल की जोड़ियां। ऐसे में इन्हें रखने के लिए शू रैक की जरूरत होती है, जो कि आजकल हर घर में होती ही है। यदि आप इस शू रैक को गलत दिशा में और गलत तरीके से रखते हैं, तो आप कई तरह की मुश्किलों को न्योता दे रहे हैं।
सबसे पहली बात तो आप यदि इसे अव्यवस्थित रखते हैं, तो निगेटिव एनर्जी पैदा होने के कारण मानसिक उलझनों में घिर सकते हैं। वहीं, मेन गेट के पास गंदे तरीके से रखने पर आप घर में मां लक्ष्मी के आगमन को बाधित करते हैं और इसकी वजह से आर्थिक संकटों में घिर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र अनुसार, शू रैक रखने की भी खास दिशा होती हैं। वहां उन्हें रखने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं कि घर में किस दिशा में रखनी चाहिए शू रैक और किस तरह की शू रैक का करना चाहिए चुनाव।
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शू रैक रखने की सही जगह
शू रैक को पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। हॉल या बरामदे के दक्षिण-पश्चिम कोने में शू रैक रखने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। शू रैक को कभी भी मेन गेट पर, सीढ़ियों के नीचे, किचन में, बेडरूम में और मंदिर के पास नहीं रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, शू रैक में कभी भी गंदे जूते-चप्पल भी नहीं रखने चाहिए। इससे न सिर्फ नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, बल्कि गंदगी की वजह से परिवार से सदस्यों को बीमारियां भी घेर सकती हैं। इसलिए शू रैक में जूते हमेशा साफ-सुथरे और व्यवस्थित ढंग से रखें।
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इसके साथ ही खुली शू रैक की जगह बंद दरवाजों वाली शू रैक को हमेशा चुनना चाहिए। दरअसल, यह निगेटिव एनर्जी को फैलने नहीं देती है और आपको किसी तरह की परेशानी नहीं होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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