New Year 2025: अगले साल इन 3 चीजों से बनाएं दूरी, खुशियों से भर जाएगा जीवन
हम भौतिक जगत में कई वस्तुओं के प्रति आकर्षित होते हैं। किसी भी वस्तु को सुंदर या आकर्षक हमारा अपना मन और मनोभाव बनाता है। हम उनसे आनंद और संतोष की आशा करते हैं। किंतु उनसे प्राप्त सुख क्षणिक होता है। शीघ्र ही उनका आकर्षण फीका पड़ जाता है और हम किसी और वस्तु की इच्छा करने लगते हैं ।

माता अमृतानंदमयी अम्मा (आध्यात्मिक गुरु)। अभी हम सब काल की अनंत धारा के एक अनमोल बिंदु पर खड़े हैं: वर्ष 2024 को विदा करते और 2025 के स्वागत को तैयार! हर सूर्योदय क्षितिज को सुंदर रंगों से सजा देता है, उसी प्रकार यह नूतन वर्ष तुम सब पर आनंद, शांति, प्रेम, समृद्धि, सौभाग्य एवं अन्य भौतिक व आध्यात्मिक संपदा की अनूठी सुंदरता की वर्षा करे! विश्व के कई देश युद्धों व प्राकृतिक आपदाओं के चलते मुसीबत में हैं। प्रार्थना है कि नया वर्ष इन देशों में शांति लेकर आए।
प्रत्येक व्यक्ति से समाज बनता है। व्यक्ति से राष्ट्र बनता है और राष्ट्रों से विश्व। हम अविवेकी बोल बोलेंगे तो युद्ध जैसी स्थितियां भी बन सकती हैं! जीवन के हर पहलू में सावधानी बरतनी चाहिए- अपने श्वास-प्रश्वास, देखने, स्पर्श करने, सोचने और भावनाओं में..। यही विवेक ही सच्ची जागरूकता है।
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हम भौतिक जगत में कई वस्तुओं के प्रति आकर्षित होते हैं। किसी भी वस्तु को सुंदर या आकर्षक हमारा अपना मन और मनोभाव बनाता है। हम उनसे आनंद और संतोष की आशा करते हैं। किंतु उनसे प्राप्त सुख क्षणिक होता है। शीघ्र ही उनका आकर्षण फीका पड़ जाता है और हम किसी और वस्तु की इच्छा करने लगते हैं। अगली वस्तु की प्राप्ति के बाद, उसकी भी प्रसन्नता समाप्त। शीघ्र ही हम नई वस्तु से भी ऊब जाते हैं। वही वस्तु दुख का कारण बन सकती है।
जीवन-यात्रा का अर्थ ही अपने भीतर नित्य आनंद को पा लेना है। हमारे निरंतर जन्म-मृत्यु का हेतु यही है। इसीलिए काल चक्र चलता रहता है। सप्ताह, मास, ऋतुएं और दशक आते-जाते रहते हैं। जिन्होंने गलतियां की, उन्हें सुधारने का अवसर मिलता है। जो लोग सत्कर्म करना भूल ही गए हैं, उन्हें दूसरा अवसर दिया जाता है, ताकि बीते कल से बेहतर समाज और आज से बेहतर आने वाले कल के निर्माण का अवसर मिले।
हर क्षेत्र में विकास और प्रगति का अवसर मिले। जन्मों के प्रवाह द्वारा हमें अपनी प्रगति एवं उत्थान के असंख्य अवसर प्रदान किए जाते हैं। हमारे जीवन का लक्ष्य ही है: ईश्वर द्वारा उपहार-स्वरूप प्रदत्त इस जीवन को पूर्णता तक ले चलना। यह हर मानव-जन्म का लक्ष्य है।
घृणा, ईर्ष्या-द्वेष जैसे दुर्गुणों को हटाकर हम अपने दिलों में प्रेम, विश्वास और सहयोग जैसे गुणों को स्थापित करने का प्रयास करें तो जीवन निर्विघ्न बहती नदी सा हो जाएगा। इस नए वर्ष में हमारा मन शांत, निर्भय, तनाव-मुक्त, घृणा-मुक्त और क्रोध-मुक्त हो!
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