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    Guru Teg Bahadur Ji: संपूर्ण मानवता में आत्मबल का संचार करना था गुरु तेग बहादुर जी का परम लक्ष्य

    Updated: Mon, 14 Apr 2025 10:13 AM (IST)

    सिखों के नवम गुरु श्री तेगबहादुर जी की चिंतन धारा भक्ति के स्वर को शक्ति के माध्यम से भी प्रस्तुत करती है। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा की सर्जना उनकी विरासत का ही एक भाग है। चलिए जानते हैं पद्मश्री हरमहेंदर सिंह बेदी द्वारा गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व (18 अप्रैल) पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

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    Guru Teg Bahadur Ji Prakash Parv 2025

    पद्मश्री हरमहेंदर सिंह बेदी, चांसलर, केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश। नवम गुरु तेग बहादुर जी को नमन करने का अर्थ है भारतीय अध्यात्म-चिंतन पर विचार करना। गुरु तेग बहादुर जी की भारतीय चिंतन धारा में अपना मौलिक योगदान है। गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगजेब के समय धर्मांतरण की लहर को अपने बलिदान के द्वारा केवल रोका ही नहीं, बल्कि एशिया के देशों के सामने भारतीय अध्यात्म का नया अध्याय खोला।

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    क्या था उनका परम लक्ष्य

    गुरु तेग बहादुर जी का अवदान उनकी शाश्वत जीवन-दृष्टि में निहित है। गुरु तेग बहादुर जी की दृष्टि केवल किसी एक भूखंड पर केंद्रित नहीं थी, वह पूरी सृष्टि की व्यथा को आत्मसात कर मानवीय दुख-दर्द को हर लेना चाहते थे।संपूर्ण मानवता में आत्मबल का शाश्वत संचार करना ही उनका परम लक्ष्य था। गुरु जी की इलाही वाणी में प्रकृति का मानवीकरण ही नहीं हुआ है, बल्कि अध्यात्मीकरण भी विलक्षित होता है।

    गुरु तेग बहादुर की वाणी

    गुरु तेग बहादुर की वाणी भारतीय काव्य का नया नैतिक शास्त्र प्रस्तुत करती है। उत्तर मध्यकाल में गुरु जी द्वारा प्रस्तुत चिंतन धारा भक्ति के स्वर को शक्ति के माध्यम से भी प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सफल होती है। खालसा की सर्जना गुरु गोबिंद सिंह जी का भक्ति और शक्ति का नव संकल्प गुरु तेग बहादुर की विरासत का ही अखंड हिस्सा है।

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    लोगों को दी ये सीख

    गुरु तेग बहादुर जी ब्रज भाषा के उच्च कोटि के वाणीकार है। ब्रज भाषा की साहित्यकता गुरु साहिब के श्लोकों और शब्दों में देखी जा सकती हैं। गुरु तेग बहादुर जी गुरु नानक देव जी के बाद दूसरे बड़े यात्री हैं, जिन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष की यात्राएं कीं। वे भारत के जन-जीवन को गुरमत दर्शन के माध्यम से नई चेतना देते है।

    लगभग 174 स्थानों पर अपनी यात्रा के बीच उस भारतीय नैतिक दृष्टि को त्याग, सेवा, समन्वय, भाईचारे के साथ जोड़कर भारतीय सांस्कृतिक जीवन मूल्यों को नई व्याख्या देने के साथ जनमानस के मन में उत्साह भर देते हैं। यह भी विलक्षण बात हुई कि जहां-जहां भी नवम गुरु गए, लोगों ने नशा करना छोड़ दिया।

    धन्न गुरु तेग बहादुर

    धन्न नवम गुरु की वाणी

    धन्न गुरु तेग बहादुर की कुर्बानी

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